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This Article is From Nov 21, 2011

संसद में सरकार के खिलाफ एनडीए, लेफ्ट लामबंद

कई सत्रों के बाद मुख्य विपक्षी गठबंधन एनडीए और लेफ्ट ने सरकार की घेराबंदी में और कसाव लाने के लिए सदन में आपसी तालमेल का फैसला किया है।
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New Delhi: गृह मंत्री पी चिदंबरम का बहिष्कार करने और मंहगाई तथा काले धन पर एक-दूसरे के कार्यस्थगन प्रस्ताव नोटिसों का समर्थन करने के एनडीए तथा वाम दलों के बीच हुए समझौते तथा गृह मंत्री पी चिदंबरम के बहिष्कार के फैसले से सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार चारों ओर से घिरी नजर आ रही है। मंगलवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन वाम दलों की ओर से मंहगाई के खिलाफ कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है और एनडीए के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की ओर से कालेधन के मुद्दे पर ऐसा ही नोटिस दिया जाएगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि कई सत्रों के बाद इस बार मुख्य विपक्षी गठबंधन एनडीए और वाम दलों ने सरकार की घेराबंदी में और कसाव लाने के लिए सदन में आपसी तालमेल करने का निर्णय किया है। इसी के तहत दोनों ने एक-दूसरे के कार्यस्थगन प्रस्ताव नोटिसों का समर्थन करने का निर्णय किया। सरकार की फजीहत बढ़ाने के लिए एनडीए ने गृह मंत्री पी चिदंबरम का संसद में बहिष्कार करने का निर्णय किया है। 2जी मामले में बीजेपी चिदंबरम के इस्तीफे की मांग पहले से ही कर रही है। इससे पहले कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए एनडीए शासन के दौरान तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नान्डिस का ताबूत मामले में संसद में बहिष्कार किया था। यूपीए-1 शासन में एनडीए ने दागी मंत्रियों के नाम पर लालू प्रसाद और तस्लीमुद्दीन का संसद में बहिष्कार किया था।विपक्ष के इन तेवरों को देखते हुए शीतकालीन सत्र के काफी हंगामी रहने और शुरू के कुछ दिन संसद की कार्यवाही बाधित रहने के आसार हैं। कैग और 2जी संबंधी नई रिपोर्टों के आलोक में भ्रष्टाचार, मंहगाई और विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन को स्वदेश लाने के मुद्दों पर समूचे विपक्ष के बीच सरकार के खिलाफ तालमेल पर सहमति हो गई है। अगले साल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इन प्रदेशों से जुड़े मुद्दे भी किसी न किसी बहाने समय-समय पर संसद में उठते रहेंगे। उत्तर प्रदेश को चार पृथक राज्यों में बांटने का प्रस्ताव करके वहां की मुख्यमंत्री मायावती बहस का नया विषय पहले ही छेड़ चुकी हैं। उधर, पृथक तेलंगाना राज्य की मांग कर रहे उस क्षेत्र के सांसदों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि यह मांग मानी जाने तक वे संसद की कार्यवाही नहीं चलने देंगे। लोकपाल विधेयक सहित कई विषयों पर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद का मानसून सत्र काफी बाधित रहा था और सरकार का बहुत सा आवश्यक विधायी काम नहीं हो पाया था। कुल 21 दिन चलने वाले इस सत्र में कामकाज का एजेंडा बहुत बड़ा है। सरकार ने न्यायिक मानक एवं जवाबदेही विधेयक सहित 31 विधेयक विचार और चर्चा के लिए सूचीबद्ध किए हैं। प्रमुख विधेयकों में लोकपाल विधेयक शामिल है, जिसके 21 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र के अंतिम दिनों में आने की संभावना है। फिलहाल संसद की स्थायी समिति इस विधेयक का अध्ययन कर रही है और अनुमान है कि दिसंबर के प्रथम सप्ताह में वह संसद को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। विपक्ष भी संसद में उठाने के लिए लंबी चौड़ी सूची लेकर तैयार है। वह इस सत्र में कम से कम 45 विषयों पर चर्चा कराना चाहता है। इनमें काला धन, मंहगाई, पृथक तेलंगाना राज्य, दक्षेस शिखर सम्मेलन में भारत-पाक संबंध शामिल हैं।

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एनडीए, लेफ्ट, केंद्र सरकार, संसद, शीतकालीन सत्र
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