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कभी सोचा..गोल ही क्यों होते हैं ऑयल टैंकर्स? कैसे पहुंचता है आपके शहर में पेट्रोल-डीजल?

तेल को ले जाने वाले टैंकर्स स्पेशल होते हैं. ये साइज में बड़े मजबूत और स्पेशल डिजाइन से बने होते हैं, जिससे एक जगह से दूसरी जगह तेल को सुरक्षित पहुंचाया जा सके.

कभी सोचा..गोल ही क्यों होते हैं ऑयल टैंकर्स? कैसे पहुंचता है आपके शहर में पेट्रोल-डीजल?

आज तमिलनाडु के तिरुवल्लूर में बड़ा हादसा हुआ. मालगाड़ी से डीजल ले जाया जा रहा था, तभी चार टैंकरों में भीषण आग लग गई. गनीमत रही कि आग लगते ही मालगाड़ी को तुरंत रोक दिया. आग कितनी भीषण थी इसका पता इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे आसमान में सिर्फ धुआं-धुआं ही नजर आया.

ट्रेन या ट्रक से डीजल और कच्चे तेल को ले जाना रिस्की होता ही है. क्या आप जानते हैं कैसे कच्चे तेल का देश में ट्रांसपोर्ट किया जाता है, क्योंकि हम कच्चे तेल को दूसरे देशों से खरीदते हैं. ऐसे में कैसे इसे रिफाइनरी तक भेजा जाता है? इसके अलावा जिन टैंकरों में इसे भरा जाता है वो दूसरे टैंकरों से कितना अलग होते हैं. इन सभी सवालों के जबाव आपको देते हैं.

क्या होता है कच्चा तेल

कच्चे तेल को पेट्रोलियम के नाम से भी जाना जाता है. ये भूरे और काले रंग का होता है. पृथ्वी के अंदर चट्टानों में ये प्राकृतिक रूप से मिलता है. कच्चे तेल को रिफाइन करके ही पेट्रोल, डीजल, और प्लास्टिक बनाई जाती है. भारत की बात करें तो कच्चे तेल का इंपोर्ट और प्रोडक्शन दोनों होता है. हालांकि, जरूरतों को देखते हुए देश में इंपोर्ट ज्यादा होता है. रूस, इराक, यूएई जैसे देशों से कच्चा तेल देश में आता है. 

कैसे होता है देश में कच्चे तेल का ट्रांसपोर्ट

खाड़ी देशों से कच्चा तेल खरीदने के बाद ये भारत के अलग-अलग बंदरगाह पहुंचता है. वहां से पाइपलाइनों, जहाजों के साथ रेलगाड़ियों और टैंकरों के जरिए देश में मौजूद रिफाइनरी तक पहुंचाया जाता है. पाइलाइन को इसमें सबसे सस्ता और सेफ जरिया माना जाता है. जहां पाइपलाइन मौजूद नहीं होती वहां पर टैंकरों में भरकर मालगाड़ी या सड़क के रास्ते कच्चे तेल को ले जाते हैं. मालगाड़ी से ले जाएं या सड़क से, ये निर्भर करता है कि रिफाइनरी के लिए रास्ता कैसा है, इसे ले जाने में कॉस्ट कहां कम लगेगी.

कैसे होते हैं क्रूड ऑयल को ले जाने वाले टैंकर?

तेल को ले जाने वाले टैंकर्स स्पेशल होते हैं. ये साइज में बड़े मजबूत और स्पेशल डिजाइन से बने होते हैं, जिससे एक जगह से दूसरी जगह तेल को सुरक्षित पहुंचाया जा सके. साइज में ये 400 मीटर से भी बड़े हो सकते हैं, जिससे ये लाखों बैरल तेल ले जा पाते हैं. इन टैंकर्स में कच्चे तेल के ट्रांसपोर्टेशन के लिए स्पेशल सेफ्टी फीचर्स होते हैं, जैसे कि टैंकों को अलग-अलग करना, वेंटिलेशन सिस्टम और लीकेज को रोकना. 

राउंड शेप में होते हैं ऑयल के टैंकर्स

कभी सोचा है ऑयल टैंकर्स गोल ही क्यों होते हैं? ऐसा इसलिए क्योंकि गोल शेप होने से स्थिरता आती है, इसके अलावा मजबूती रहती है, सफाई आसानी से हो जाती है और इन्हें खाली करने में भी ज्यादा समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.

फॉलो किए जाते हैं इंटरनेशनल रूल्स और स्टैंडर्ड

कच्चे तेल को सुरक्षित रूप से रिफाइनरी तक पहुंचाने के लिए, टैंकरों को इंटरनेशनल रूल्स और स्टैंडर्ड को मानना होता है, जिसमें टैंक की सफाई, वेंटिलेशन सिस्टम और सेफ्टी के इक्विपमेंट शामिल हैं. 

ऐसा नहीं है कि सभी टैंकर्स का साइज एक जैसा रहता है. बल्कि कितना तेल ले जाना है इसके आधार पर टैंकर का सलेक्शन किया जाता है. कई तरह के टैंकर ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल किए जाते हैं.

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