असम में ढोला-सादिया पुल पर टहलते हुए पीएम नरेंद्र मोदी.
असम के तिनसुकिया में ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सबसे बड़े ढोला-सादिया पुल का उद्घाटन किया. इस दौरान एक खास नजारा देखने को मिला. पीएम मोदी सुरक्षा का चाक-चौबंद घेरा तोड़ते हुए कुछ देर पुल पर अकेले भी टहले. इस दौरान सुरक्षा घेरा पीछा छूट गया. दरअसल इस पुल को भी पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की एक उपलब्धि माना जा रहा है. यह इसलिए भी खास है क्योंकि शुक्रवार को ही मोदी सरकार के कार्यकाल के तीन साल पूरे हो रहे हैं.
देश का यह पुल देश के दो पूर्वोत्तर राज्यों असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने का काम करेगा. सादिया और ढोला को जोड़ने वाले इस पुल को ढोला-सादिया ब्रह्मपुत्र पुल का नाम दिया गया है. इस पुल की अहमियत ना सिर्फ यहां के लोगों के विकास से जुड़ी है, बल्कि सामरिक तौर पर भी यह अहम भागीदारी निभाएगा. इस पुल के बन जाने से सुदूर उत्तर पूर्व के लोगों के लिए आने जाने की सुविधा हो जाएगी, कारोबार को बढ़ावा मिलेगा साथ ही इसके चालू होने से सेना को असम के पोस्ट से अरुणाचल-चीन बॉर्डर पर पहुंचने में आसानी होगी.
आइये जानते हैं इस शानदार पुल की खासियतें
देश का यह पुल देश के दो पूर्वोत्तर राज्यों असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने का काम करेगा. सादिया और ढोला को जोड़ने वाले इस पुल को ढोला-सादिया ब्रह्मपुत्र पुल का नाम दिया गया है. इस पुल की अहमियत ना सिर्फ यहां के लोगों के विकास से जुड़ी है, बल्कि सामरिक तौर पर भी यह अहम भागीदारी निभाएगा. इस पुल के बन जाने से सुदूर उत्तर पूर्व के लोगों के लिए आने जाने की सुविधा हो जाएगी, कारोबार को बढ़ावा मिलेगा साथ ही इसके चालू होने से सेना को असम के पोस्ट से अरुणाचल-चीन बॉर्डर पर पहुंचने में आसानी होगी.
आइये जानते हैं इस शानदार पुल की खासियतें
- ढोला-सादिया पुल की लंबाई 9.15 किमी है
- इस लिहाज से यह बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से भी 30% लंबा है
- यह पुल असम की राजधानी दिसपुर से 540 किमी और अरुणाचल की राजधानी ईटानगर से 300 किमी दूर है
- चीन की सीमा का एरियल डिस्टेंस या हवाई दूरी 100 किमी से भी कम की है
- तेजपुर के करीब कलाईभोमोरा पुल के बाद ब्रह्मपुत्र पर अगले 375 किमी याली ढोला तक बीच में कोई दूसरा पुल नहीं है
- अभी तक इस इलाके में नदी के आरपार सारे कारोबार नावों के जरिए ही होते रहे हैं.
- इसे बनाने का काम 2011 में शुरू हुआ और इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत 950 करोड़ की है.
- ये पुल 182 खंभों पर टिका है
- जो पूर्वोत्तर के दो राज्यों असम-अरुणाचल को जोड़ेगा
- जनता के आने-जाने और कारोबार के अलावा, इससे सेना की आवाजाही में भी बेहद सुविधा होगी
- इससे चीन सीमा तक के सफर में 4 घंटे की कटौती होगी
- पुल इतना मजबूत बनाया गया है कि 60 टन के मेन बैटल टैंक भी गुजर सकें
- इतना ही नहीं ये भूकंप के झटके भी आसानी से झेल सकता है.
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