असम में प्रतिबंधित उग्रवादी समूह नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ बोरोलैंड, ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन और केन्द्र सरकार के बीच सोमवार को एक समझौता होने जा रहा है. इस समझौते में केन्द्र की तरफ से गृह मंत्री अमित शाह, राज्य की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनवाल और एनडीएफ़बी के चार धड़ों के शीर्ष नेतृत्व शामिल होंगे. ये समझौता दिल्ली में होगा. समझौते में अलग बोडोलैंड राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश की मांग के बिना आदिवासियों को राजनीतिक और आर्थिक लाभ हासिल करने की बात होगी. त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की मौजूदगी में एनडीएफबी के चार धड़ों के शीर्ष नेतृत्व, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण द्वारा किये जाएंगे. इस बारे में जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'समझौता असम में रहने वाले बोडो आदिवासियों को कुछ राजनीतिक अधिकार और समुदाय के लिए कुछ आर्थिक पैकेज मुहैया कराएगा.' हालांकि अधिकारी ने स्पष्ट किया कि असम की क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रखी जाएगी तथा एनडीएफबी की अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की प्रमुख मांग पर विचार नहीं किया जाएगा.
एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'समझौता राज्य के विभाजन के बिना संविधान की रूपरेखा में अंदर होगा.' अधिकारी ने कहा कि गृहमंत्री समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने को लेकर बहुत उत्सुक हैं ताकि असम में बोडो उग्रवाद समाप्त किया जा सके और राज्य के बोडो बहुल क्षेत्रों में दीर्घकालिक शांति लौटे. समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले एनडीएफबी के चार धड़ों का नेतृत्व रंजन दाईमारी, गोविंद बासुमातरी, धिरेन बोरो और बी साओरायगरा द्वारा किया जा रहा है. साओरायगरा ने एनडीएफबी धड़े का नेतृत्व उसके प्रमुख आई के सोंगबीजीत को हटाकर 2015 में संभाला था. एनडीएफबी..साओरायगरा धड़ा म्यामांर स्थित अपने आधार से करीब 15 दिन पहले लौटा था और सरकार के साथ अभियान रोकने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. दाईमारी को दो दिन पहले असम में एक जेल से रिहा किया गया था जिससे उसका समझौते में शामिल होना सुविधाजनक बन सके. एनडीएफबी अभी भी एक प्रतिबंधित संगठन है.
एनडीएफबी के कुछ उग्रवादी उन 644 उग्रवादियों में शामिल थे जिन्होंने गत गुरुवार को गुवाहाटी में मुख्यमंत्री सोनोवाल के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. समझौते में सरकार द्वारा बोडो भाषा, संस्कृति और संबंधित मामलों की रक्षा सुनिश्चित किये जाने की उम्मीद है. साथ ही एक आयोग का गठन किये जाने की भी उम्मीद है जो बोडो लोगों को कुछ विशिष्ट राजनीतिक अधिकार मुहैया कराने के संबंध में असम में विभिन्न वर्गों के लोगों के विचार लेगी. एक खेल विश्वविद्यालय और रोजगार उन्मुखी उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना का वादा समझौते में शामिल होने की संभावना है. हालांकि यह तत्काल स्पष्ट नहीं हो पाया कि वर्तमान बोडोलैंड टेरीटोरियल काउंसिल (बीटीसी) का दर्जे को बढ़ाया जाएगा या नहीं. यह हस्ताक्षर गत 27 वर्षों में होने वाला तीसरा बोडो समझौता है.
वहीं असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से रविवार को अपील की कि वे बोडो समूहों के साथ किसी भी शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले सभी पक्षकारों को विश्वास में लें. असम के कुछ मौजूदा जिलों से 'यूनियन टेरिटोरियल कौंसिल' बनाने की कुछ समूहों की मांग पर राज्य सरकार के विचार करने संबंधी खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए सैकिया ने मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा कि इन इलाकों में कई गैर-बोडो लोग भी रहते हैं. सैकिया ने कहा, '2001 के बाद से 30 से अधिक गैर बोडो समूह मांग कर रहे हैं कि उनसे विचार विमर्श किए बिना किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए जाए. वे मौजूदा बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट्स (बीटीएडी) में कई गैर-बोडो बहुल इलाकों को शामिल किए जाने से पहले ही नाखुश हैं.'
उन्होंने कहा कि इस स्थिति में यदि उनकी सहमति के बिना नए समझौते पर हस्ताक्षर किए जाते हैं तो यह विभिन्न समूहों के बीच शांति लाने के बजाए विभाजनकारी साबित होगा. कांग्रेस नेता ने कहा, 'इसीलिए मैं आपके संज्ञान में यह मामला लेकर आया हूं ताकि सभी समुदायों के सम्मानजनक जीवन संबंधी हर पहलू पर विचार किया जाए.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं