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जेल में स्टेन स्वामी ने सिपर कप की गुहार लगाई, NIA ने जवाब देने को 20 दिन का वक्त मांगा

83 साल के फादर स्टेन ने पर्किंसन रोग का हवाला देते हुए स्ट्रॉ और सिपर कप मांगा है. स्टेन पर्किंसन रोग से ग्रसित हैं. उनका नर्वस सिस्टम कमजोर होता जा रहा है और उनके हाथ-पैर में कंपन होता है.

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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी हैं स्टेन स्वामी (फाइल)
मुंबई:

आदिवासियों के अधिकार के लिए कार्य करने वाले फादर स्टेन स्वामी (Father Stan Swamy) ने पर्किंसन रोग (Parkinson) का हवाला देते हुए जेल में चाय आदि पीने के लिए स्ट्रा-सिपर कप (बंद कप और पाइप) की मांग की है. हालांकि एनआईए (NIA) ने इस पर जवाब देने के लिए 20 दिन का वक्त मांगा है. 

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फादर स्टेन ने मुंबई स्थित विशेष कोर्ट के समक्ष यह मांग रखी थी. उन्हें भीमा कोरेगांव हिंसा (Bhima-Koregaon case) के मामले में पिछले माह आठ अक्टूबर को रांची से गिरफ्तार किया गया था. कोर्ट जेल परिसर के बाहर से यह सामग्री लाने की इजाजत दे सकती है. उसने इस मामले की सुनवाई 26 नवंबर तक के लिए टाल दी है.

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स्टेन स्वामी (Stan Swamy) पर्किंसन रोग से ग्रसित हैं, इससे उनका नर्वस सिस्टम कमजोर होता जा रहा है और अचानक ही उनके हाथ-पैर में कंपन होता है या मांसपेशियों में अकड़न होती है. इस कारण उन्हें रोजमर्रा के कामकाज यहां तक कि कुछ खाने-पीने में भी दिक्कत होती है. यहां तक कि फादर स्टेन स्वामी को कुछ चबाने या निगलने में भी परेशानी महसूस हो रही है. करीब एक माह तक तलोजा सेंट्रल जेल में बंद स्टेन स्वामी ने कोर्ट को दिए अपने आवेदन में कहा कि वह पर्किंसन के कारण अपने हाथ में एक गिलास भी नहीं पकड़ सकते. फिलहाल वह जेल के अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.

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पिछले माह विशेष एनआईए अदालत (NIA Court) ने स्वामी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. स्वामी ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत मांगी थी. एनआईए ने जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि स्वामी को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम के सख्त कानून (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया है, लिहाजा उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए.

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भीमा कोरेगांव (Bhima-Koregaon) में बने युद्ध स्मारक पर एक जनवरी 2018 को हिंसा भड़क उठी थी. पुणे के एक इलाके में एक दिन पहले हुई एल्गार परिषद में दिए गए भड़काऊ भाषणों को कथित तौर पर इसके लिए जिम्मेदार माना गया. एनआईए का आरोप है कि स्वामी के सीपीआई (माओवादी) से रिश्ते हैं और हिंसा को भड़काने में उनका भी हाथ था. स्वामी को पिछले माह गिरफ्तार करने की भारी आलोचना हुई थी. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि केंद्र ने सारी मर्यादाएं लांघ ली हैं.

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