दिल्ली Vs केंद्र सरकार: अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का केस संविधान पीठ को भेजने पर फैसला सुरक्षित 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 239 AA की व्याख्या करते हुए कहा था कि दिल्ली क्लास सी राज्य है. दुनिया के लिए दिल्ली को देखना यानी भारत को देखना है. उन्होंने कहा था कि दुनिया दिल्ली को भारत के रूप में देखती है. मेहता ने कहा था कि इस सिलसिले में बालकृष्ण रिपोर्ट की भी बड़ी अहमियत है.

विज्ञापन
Read Time: 27 mins
दिल्ली सरकार ने मामले को 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेजने के केंद्र के सुझाव का विरोध किया था.
नई दिल्ली:

IAS अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार  (Delhi Government vs Union Government) के बीच चल रही खींचतान और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अदालती लड़ाई की सुनवाई संविधान पीठ करेगी या नहीं? इस पर सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने आज फैसला सुरक्षित रख लिया है. मामले की सुनवाई कर रहे CJI एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने आज इशारा किया कि वो मामले को पांच जजों के संविधान पीठ को भेज सकते हैं.

मामले में केंद्र सरकार की दलील है कि 2018 में संविधान पीठ ने सेवा मामले को छुआ नहीं था,  इसलिए मामले को पांच जजों के पीठ को भेजा जाए, जबकि दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले को संविधान पीठ भेजे जाने का विरोध किया. 

अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि आप लोग संविधान पीठ में इस मामले को भेजने की बात भी कर चुके हैं तो यहां इतने लोगों की इतनी लंबी-लंबी दलीलों का क्या मतलब रह जाता है,  क्योंकि संविधान पीठ के सामने फिर यही सारी बातें आनी हैं. सिंघवी ने कहा कि पीठ के ध्यान में ये रहे कि पांच जजों की पीठ फैसला दे चुकी है.  फैसला पूरा है या अधूरा है या सारे पहलू कवर करता है या नहीं? ये अलग बात है लेकिन उस पर अगर विचार होना है तो सात जजों की बड़ी पीठ के सामने ये मामला जाना चाहिए.

Advertisement

एलआईसी में 11 हजार भर्तियां करने का निर्देश देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, मुआवजे का आदेश

गौरतलब है कि बुधवार को दिल्ली सरकार ने मामले को 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेजने के केंद्र के सुझाव का विरोध किया था.  केंद्र की दलीलों पर दिल्ली सरकार ने आपत्ति जताई थी. हालांकि, पिछली दो-तीन सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार इस मामले को संविधान पीठ को भेजने की दलील देती रही है. इस दौरान को केंद्र ने अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर अपने अधिकार की वकालत की थी.

Advertisement

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 239 AA की व्याख्या करते हुए कहा था कि दिल्ली क्लास सी राज्य है. दुनिया के लिए दिल्ली को देखना यानी भारत को देखना है. उन्होंने कहा था कि दुनिया दिल्ली को भारत के रूप में देखती है. मेहता ने कहा था कि इस सिलसिले में बालकृष्ण रिपोर्ट की भी बड़ी अहमियत है. इस पर दिल्ली सरकार ने कहा था कि बालकृष्णन समिति की रिपोर्ट पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसे खारिज कर दिया गया था. 

Advertisement

SC ने केंद्र से पूछा- क्यों ना राजीव गांधी की हत्या के दोषी एजी पेरारिवलन को रिहा कर दिया जाए?

Advertisement

दिल्ली सरकार ने ये उस वक्त कहा गया, जब CJI  ने पूछा कि विधानसभा की शक्तियों पर पहले की पीठ ने क्या कहा था और केंद्र के सुझाव पर दिल्ली सरकार के विचार मांगे थे. रिफरेंस ऑर्डर के मुताबिक तीन मामलों की छोड़कर बाकी काम दिल्ली सरकार राज्यपाल को सूचित करते हुए करेगी.

एस बालाकृष्णन की अगुआई वाली कमेटी ने दिल्ली के प्रशासन को लेकर दुनिया भर के देशों के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की प्रशासन प्रणाली की गहन तुलना का अध्ययन करके रिपोर्ट बनाई है. रिपोर्ट में प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत निवारण के व्यावहारिक और सटीक उपाय सुझाए हैं.  बहु प्राधिकरण, एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र में दखल या अतिक्रमण को दूर किया गया है! CJI ने पूछा था, क्या अब सरकार विधान सभा के अधिकारों को लेकर पीछे हट रही है?

SG तुषार मेहता ने  दुनिया के कई विकसित देशों मसलन जापान, अमेरिका, ब्रिटेन की राष्ट्रीय राजधानियों के प्रशासन की तरह संविधान के मुताबिक दिल्ली की विधानसभा को दिए अधिकारों का हवाला दिया और कहा कि विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होते हुए भी दिल्ली की स्थिति पुदुच्चेरी से अलग है. 

तीन विषयों के विधानसभा और दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर करने के पीछे भी बड़ी प्रशासनिक और संवैधानिक वजह है.  यहां केंद्र राज्य यानी संघीय स्वरूप पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर को रोकने के लिए ये व्यवस्था की गई है. राष्ट्रीय राजधानी होने से यहां केंद्र के पास अहम मुद्दे होने जरूरी हैं.
इससे राज्य और केंद्र के बीच सीधे तौर पर संघर्ष नहीं होगा.  दिल्ली में पब्लिक सर्विसेज का अधिकार केंद्र के पास होना जरूरी है.

मेहता ने कहा, पब्लिक सर्वेंट की नियुक्ति और तबादले का अधिकार केंद्र के पास होना जरूरी है क्योंकि ये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है.  इस मामले में भी पुदुच्चेरी से यहां का प्रशासनिक ढांचा अलग है. उन्होंने कहा कि राजधानी का विशिष्ट दर्जा होने से यहां के प्रशासन पर केंद्र का विशेषाधिकार होना आवश्यक है. मेहता ने अपनी दलील के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का भी हवाला दिया. मेहता ने जस्टिस एके सीकरी के लिखे फैसले का एक हिस्सा पढ़ते हुए अपनी दलील दी. 

इससे पहले 12 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सरकार विधान सभा के प्रति जवाबदेह है ना कि उप राज्यपाल के प्रति क्योंकि दिल्ली के उपराज्यपाल को भी उतने ही अधिकार हैं जितने उत्तर प्रदेश या किसी भी राज्य के राज्यपाल को. दिल्ली में उपराज्यपाल को भी चुनी हुई सरकार की मदद और सलाह से ही काम करना होगा. दिल्ली सरकार ने कहा था कि केंद्र सरकार कानून बनाकर दिल्ली सरकार के संविधान प्रदत्त अधिकारों में कटौती नहीं कर सकती.

दिल्ली सरकार के उठाए इन सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल तक केंद्र से जवाब मांगा था. पीठ ने SG तुषार मेहता को कहा था कि वो 27 अप्रैल को इस मुद्दे पर केंद्र की ओर से बहस करें. 

Featured Video Of The Day
Russia Ukraine War: यूक्रेन पर मिसाइल दागकर Vladimir Putin ने मददगारों को धमकाया | NDTV India