सर्वोच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता और राज्यसभा सदस्य अमर सिंह को अदालत का समय बर्बाद करने के लिए आड़े हाथों लिया।
New Delhi:
सर्वोच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता और राज्यसभा सदस्य अमर सिंह को अदालत का समय बर्बाद करने के लिए बुधवार को आड़े हाथों लिया। ज्ञात हो कि अमर सिंह ने अपने उस आरोप को वापस ले लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2005 में उनकी टेलीफोन वार्ता टैप करने के पीछे कांग्रेस पार्टी का हाथ था। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ ने कहा, "क्या इस अदालत के लिए यह उचित है कि वह फर्जी दस्तावेजों पर आधारित याचिका पर अपना समय बर्बाद करे?" पीठ ने कहा, "अदालत आपके हलफनामे से पीड़ित है। यह मामला अदालत का ध्यान बंटा रहा है। आपकी याचिका पर अदालत का कितना समय बर्बाद हुआ है। और अब आपकी याचिका के एक प्रमुख हिस्से को वापस लिया जा रहा है। यहां न्यायाधीशों के पास बहुत काम है। लेकिन देखिए तो, यहां किस तरीके से व्यवहार किया जा रहा है।" सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी तब की है, जब सिंह ने एक हलफनामा दायर कर पूर्व के अपने उस आरोप को वापस ले लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2005 में कांग्रेस के कहने पर सरकार ने उनकी टेलीफोन वार्ता टैप की थी। उल्लेखनीय है कि फोन टैपिंग की घटना की जांच के दौरान यह पाया गया था कि फोन सेवा प्रदान करने वाली एक कम्पनी का एक कर्मचारी अनधिकृत तरीके से सिंह का फोन टैप करने में लिप्त था। इस काम के लिए उसके पास दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार द्वारा जारी दो कथित पत्र उपलब्ध थे। अमर सिंह 2006 में इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय चले गए थे। उन्होंने टेलीफोन वार्ता मीडिया में प्रकाशित होने से रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से मांग की थी।