
कर्नाटक की आइपीएस डी रूपा की फाइल फोटो.
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महिला आईपीएस डी रूपा के नाम से इंस्टाग्राम पर चल रहा फेक अकाउंट
आईपीएस ने ट्वीट कर दी जानकारी, कहा- इस नाम से नहीं है कोई अकाउंट
डीआइजी जेल रहते सुर्खियों में रह चुकीं हैं डी रूपा
Disclaimer: I'm not on Instagram and these in my name are not mine. These have popped up in last few days. pic.twitter.com/QsjM4Zdukq
— D Roopa IPS (@D_Roopa_IPS) November 22, 2018
डीआइजी जेल रहते मचा दिया था तहलका
जब डी रूपा कर्नाटक में डीआइजी जेल के पद पर रहीं तो 2017 में उन्होंने एआईएडीएमके नेता शशिकला को जेल में वीवीआइपी सुविधाएं मिलने का खुलासा किया था. डी रूपा की रिपोर्ट ने खलबली मचा दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि जेल के अधिकारियों ने दो करोड़ रुपये लेकर जेल के अंदर शशिकला के लिए किचेन बनवाई. दरअसल, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की बेहद करीबी शशिकला ने उनके निधन के बाद पार्टी की कमान अपने हाथ में ले थी. बाद में भ्रष्टाचार के केस में उन्हें जेल जाना पड़ा था. स्टांप घोटाले में दोषी करार होने के बाद जेल में बंद घोटालेबाज अब्दुल करीम तेगी को जेल में मिल रही वीआइपी सुविधाओंका भी खुलासा डी रूपा कर चुकीं हैं. उनकी जांच रिपोर्ट से चौंकाने वाला खुलासा हुआ था. पता चला था कि जिस करीम तेलगी के व्हीलचेयर के लिए एक शख्स को साथ रखने की अनुमति मिली थी, वह जेल में चार लोगों से मालिश करवाता था. हालांकि शशिकला को जेल में मिल रही सुविधाओं के खुलासे के कुछ समय बाद डी रूपा का ट्रांसफर होने पर सवाल भी उठे थे.
18 साल के करियर में 41 ट्रांसफर
खाकी से डी रूपा की मोहब्बत ऐसी रही कि यूपीएससी की परीक्षा में 43 वीं रैंक हासिल करने के बाद भी उन्होंने आईपीएस बनना पसंद किया. वह कर्नाटक की पहली महिला आईपीएस अफसर हैं. डी रूपा अच्छी भरतनाट्यम डांसर भी हैं.वर्ष 2000 बैच की आईपीएस डी रूपा अपने करियर में कई चर्चित कार्रवाइयों के लिए जानीं जातीं हैं. उन्होंने आईएएस मुनीश मौदगिल(Munish Moudgil) से शादी की है. कई बार नेताओं से टकराव के कारण डी रूपा को अब तक 18 वर्ष के करियर में 41 से अधिक बार ट्रांसफर झेलने पड़े हैं.
उमा भारती को जब गिरफ्तार करने निकलीं थीं
डी रूपा ही वह आईपीएस हैं, जो 2004 में एक वारंट को तामील कराने के लिए कर्नाटक से उमा भारती को गिरफ्तार करने एमपी के लिए निकल पड़ीं थी, वो भी जब उमा भारती मुख्यमंत्री थीं. हालांकि डी रूपा के पहुंचते से पहले तक उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दियाथा.. तब डी रूपा कर्नाटक के धारवाड़ जिले की पुलिस अधीक्षक(एसपी) थीं. दरअसल, जब 2003 के चुनाव में उमा भारती मुख्यमंत्री बनीं तो उनके खिलाफ दस साल पुराने मामले में गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था. यह मामला कर्नाटक के हुबली से जुडा था. जहां 15 अगस्त 1994 को ईदगाह पर तिरंगा फहराने के मामले में उनके खिलाफ वारंट जारी हुआ था. आरोप था कि उनकी इस पहल से सांप्रदायिक सौहार्द खतरे में पड़ा. वारंट जारी होने पर उमा भारती को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. बाद में कोर्ट में उमा भारती को पेश होना पड़ा.
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