इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून सीज़न में औसत की 93 प्रतिशत बारिश होने की उम्मीद है जो कि औसत से कम है. प्राइवेट वेदर फोरकास्टर स्काईमेट ने बुधवार को यह दावा किया. मौसम विभाग ने भी माना है कि इस साल मानसून कुछ दिनों की देरी से केरल पहुंचेगा. कमजोर मानसून नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
महाराष्ट्र में सूखे के बढ़ते प्रकोप के बीच निजी मौसम पूर्वानुमान कंपनी स्काईमेट ने बुधवार को दावा किया कि
इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान पिछले दस साल के औसत की बस 93 फीसदी बारिश होगी. इससे पहले मौसम विभाग ने मानसून में औसत की 96 प्रतिशत बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया था.
स्काईमेट के एमडी जतिन सिंह ने कहा कि 'हमारी फोरकॉस्ट है कि मानसून इस बार सामान्य से कम रहेगा.' स्काईमेट के मुताबिक इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन में दीर्घावधि औसत की 93 प्रतिशत बारिश होगी. स्काईमेट के मुताबिक सबसे ज़्यादा चिंता महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और उत्तरी कर्नाटक को लेकर है. वहां सूखे से निपटने की आपात तैयारी अभी से शुरू करनी होगी. मध्य भारत में सबसे कम, यानी सिर्फ 91% बारिश होने की संभावना है.
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मौसम विभाग ने कहा है कि इस साल केरल में मानसून पांच दिन की देरी से पहुंचेगा. मौसम विभाग की वैज्ञानिक सोमा सेन राय ने एनडीटीवी से कहा, "इस बार केरल में मानसून के आगमन में देरी होगी. इस साल मानसून 6 जून तक केरल पहुंचेगा. सामान्य स्थिति में यह एक जून तक पहुंचता है. इस बार मानसून की चाल सुस्त है. इसी वजह से उसेके आगमन में देरी होगी."
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शरद पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आगाह किया है कि हालात 1972 के भयंकर सूखे से भी ज्यादा गंभीर हो रहे हैं. राज्य सरकार को बड़े स्तर पर प्रभावित लोगों को राहत देने की तैयारी शुरू करनी चाहिए.
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