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UP में BSP, कांग्रेस की हालत पहले से ज़्यादा खराब, पंजाब में भी कांग्रेस ने गंवाई सत्ता

Congress BSP Resluts : कांग्रेस ने 2017 में 7 सीटें मिली थीं औऱ करीब 6.50 प्रतिशत वोट मिला था. जबकि सपा को 28.3 फीसदी वोटों के साथ 47 सीटें मिली थीं. बीएसपी को पिछले चुनाव में 20 फीसदी से ज्यादा वोट प्रतिशत हासिल हुआ था और 19 सीटों पर जीत मिली थी. 

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UP Election News : कांग्रेस और बसपा का निराशाजनक प्रदर्शन
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे-रुझानों (UP Election Congress Results) की बात करें तो इस बार पूरा नजारा बीजेपी और सपा के गठबंधन के बीच सिमटता दिखाई दे रहा है. बसपा और कांग्रेस का बुरा हाल दिख रहा है. यूपी में बीजेपी को फिर से 40 फीसदी से ज्यादा वोट मिलते दिख रहे हैं. साथ ही योगी आदित्यनाथ के गठबंधन में बीजेपी 273 सीटों पर आगे रहकर सत्ता में लौटती दिख रही है. हालांकि अभी भी वो पिछली बार से 49 सीटें पीछे है. सपा गठबंधन 120 सीटों पर आगे दिख रहा है, जो पिछली बार 68 सीटें ज्यादा हैं. मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी (BSP) महज 4 सीटों पर आगे है और पिछली बार से 15 सीटों का नुकसान होते उसे दिख रहा है. कांग्रेस भी महज 4 सीटों पर आगे है और वो पिछली बार के सात सीटों के प्रदर्शन से भी नीचे जाते दिख रही है. कांग्रेस ने 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ गठबंधन में मिलकर लड़ा था. उसे 7 सीटें मिली थीं औऱ करीब 6.50 प्रतिशत वोट मिला था. जबकि सपा को 28.3 फीसदी वोटों के साथ 47 सीटें मिली थीं. बीएसपी को पिछली बार के चुनाव में 20 फीसदी से ज्यादा वोट प्रतिशत हासिल हुआ था और 19 सीटों पर जीत मिली थी. 

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प्रियंका गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान यूपी की योगी आदित्यनाथ और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोला था. खुद वो लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने की घटना के बाद वहां पीड़ितों से मिलने पहुंचीं थीं और करीब दो दिन तक हिरासत में भी बिताए थे. हालांकि इस सत्ता विरोधी असंतोष को कांग्रेस भुना नहीं पाई. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार सिंह लल्लू भी पीछे चल रहे हैं.

पंजाब में कांग्रेस सत्ता गंवाती दिख रही है. कांग्रेस के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) चमकौर साहिब औऱ दूसरी सीट से पीछे चल रहे हैं. नवजोत सिद्धू (Navjot Sidhu) अमृतसर सीट से पीछे चल रहे हैं. पंजाब में पिछली बार कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव के चार महीनों पहले उन्हें हटा दिया गया था. कांग्रेस ने दलित चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाने के साथ नवजोत सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी. हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर चुनाव में दिखी. चन्नी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने के बाद सिद्धू ने उतनी सक्रियता से प्रचार नहीं किया. वो कई मुद्दों पर अपनी ही पार्टी को घेरते दिखे.

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कांग्रेस सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) की पत्नी परनीत कौर खुलकर पार्टी के खिलाफ प्रचार करती दिखीं. सीएम पद के चेहरे को लेकर सुनील जाखड़ भी नाराज दिखे. उन्होंने इस चुनाव के बीच ही आगे के लिए सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी भी खुलकर सिद्धू और चन्नी को घेरते रहे.

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