बिहार BJP के असली हीरो सुशील मोदी कहीं अनसुने तो नहीं रह जाएंगे, ये था पहला तीर...

बिहार में 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में मिली हार से अगर राजनीतिक तौर पर किसी नेता को सबसे बड़ी हानि पहुंची तो वह थी केवल सुशील कुमार मोदी को.

बिहार BJP के असली हीरो सुशील मोदी कहीं अनसुने तो नहीं रह जाएंगे, ये था पहला तीर...

बिहार बीजेपी के असली हीरो 'छोटे मोदी'

खास बातें

  • सुशील मोदी के नरम रुख पर उठने लगे थे सवाल
  • विधानसभा चुनाव में हाथ के बाद करियर था दांव पर
  • सुशील मोदी ने लालू परिवार पर एक के बाद एक हमले किए
नई दिल्ली:

बिहार में नीतीश कुमार छठी बार सूबे के मुख्यमंत्री बन गए हैं. राज्य में कोई विधानसभा चुनाव नहीं हुआ. केवल गठबंधन के घटक दल बदल गए हैं. कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू के महागठबंधन की बजाय अब जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन हो गया है. बीजेपी के सुशील कुमार मोदी राज्य के उपमुख्यमंत्री बन गए हैं. हालांकि उन्हें राजनीतिक पद जरूर मिल गया है, लेकिन अभी भी सबका फोकस सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार ही हैं. सवाल ये भी हैं कि नीतीश कुमार जैसे नेता के सामने सुशील मोदी बीजेपी को अलग से कितना मजबूत कर सकते हैं. सुशील मोदी पर कुछ समय पहले तक बीजेपी में ही आरोप लगने लगे थे. विधानसभा चुनावों में हार के बाद बीजेपी के ही नेता उन्हें कहने लगे थे कि वे आक्रामक नहीं हैं.

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आरजेडी और जेडीयू में झगड़ा तो काफी दिनों से चल रहा था, लेकिन गुरुवार को कुछ ही घंटों के अंदर बिहार की पूरी की पूरी राजनीति की चाल ही बदल गई. नीतीश कुमार ने जिस तरह लालू यादव का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है, उसे उनकी घर वापसी कहा जा रहा है. लेकिन इस घर वापसी के असली हीरो बिहार में बीजेपी के बड़े नेता सुशील कुमार मोदी हैं. सुशील मोदी ने लालू परिवार पर आरोपों की बौछार करके महागठबंधन को नीतीश के लिए बोझ बना डाला. 

विधानसभा चुनावों के बाद उठने लगे थे सुशील मोदी पर सवाल
बिहार में 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में मिली हार से अगर राजनीतिक तौर पर किसी नेता को सबसे बड़ी हानि पहुंची तो वह थी केवल सुशील कुमार मोदी को. पार्टी ने पूरा जोर लगाया. खुद पार्टी प्रमुख हर राज्य की तरह बिहार में डेरा डाले बैठे रहे और पूरा चुनाव वहीं पर नजदीक से देखा. खुद पीएम मोदी ने कई रैली की. इसके बावजूद मोदी लहर के होते हुए भी बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी बन कर उभरी और राज्य का महागठबंधन हार गया. बीजेपी ने इस पर बहुत मंथन किया और कुछ लोगों ने यह भी कहा कि इस हार की वजहों में एक राज्य के बीजेपी नेताओं का विपक्षी नेता और खासकर नीतीश कुमार पर कम आक्रामक होना भी था. बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं का नीतीश कुमार से अच्छा संबंध रहा है और ऐसे में वह नीतीश कुमार के सीधे निशाने पर नहीं ले पाए. 

सुशील मोदी के सामने आ गई थी करियर बचाने की चुनौती
पार्टी ने हार के बाद भी हार नहीं मानी. पार्टी ने राज्य की इकाई को हार के बाद भी जीत के लिए प्रयास करने का निर्देश दिया. पार्टी यह नहीं चाह रही थी कि राज्य इकाई के बीजेपी अगले पांच साल तक खाली बैठें और अगले चुनाव का इंतजार करें. माना जा रहा है कि ऐसे सब माहौल में सुशील कुमार मोदी जो राज्य के कद्दावर बीजेपी नेताओं में शुमार रहे हैं, बीजेपी के ओर से राज्य में मंत्री पद से लेकर उपमुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं, के सामने यह चुनौती आ गई कि कैसे अपना राजनीतिक करियर बचाया जाए.

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सुशील मोदी के नरम रुख को बताने लगे थे कमी
कई पार्टी के नेताओं का रुख ऐसा भी रहा कि सुशील कुमार मोदी के नीतीश कुमार के प्रति नरम रुख से पार्टी की पकड़ लोगों में कमजोर होती जा रही है. पार्टी नेताओं ने सुशील कुमार मोदी तक पर हमला शुरू कर दिया. जब राजनीतिक बिसात से चाल तो दूर टिके रहने की चुनौती तक सुशील कुमार मोदी के सामने आ गई तब उन्होंने पार्टी के ही रुख को अपनाया और भ्रष्टाचार का तीर निकाले और एक एक कार लालू यादव पर दागने लगे. ये तीर भले ही लालू यादव और उनके परिवार पर चले, लेकिन इन मार नीतीश कुमार और उनकी छवि पर पड़ने लगा. यानि यह साफ है कि सुशील कुमार जो नीतीश कुमार के काफी करीबी नेताओं में शुमार है, जानते थे कि नीतीश कुमार की दुखती रग क्या है.  उन्होंने अपना काम लगातार ईमानदारी से किया और अंतत: कामयाब हो गए.
 
VIDEO: बिहार की जनता के हित में काम किया
याद करें सुशील कुमार मोदी ने कब चलाया पहला तीर...
4 अप्रैल 2017 को सुशील कुमार मोदी ने लालू परिवार के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पर मिट्टी घोटाले का पहला आरोप लगाया. इसके बाद सुशील मोदी एक-एक कर लालू यादव और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के नए नए आरोप लगाते रहे. कभी लालू यादव के पटना में मॉल का मुद्दा उठाया तो कभी बेनामी संपत्ति बनाने का आरोप लगाया. लगातार कई दिनों तक सुशील मोदी दस्तावेजों के साथ लालू परिवार पर हमला बोलते रहे. सुशील मोदी के लगाए आरोपों की जद में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बड़े बेटे तेज प्रताप यादव, छोटे बेटे तेजस्वी यादव, बड़ी बेटी मीसा भारती और उनके पति शैलेष, लालू की छोटी बेटी नंदिनी और चंदा यादव थे. इन्हीं आरोपों और कागजातों के दम पर सीबीआई और ईडी ने लालू परिवार पर शिकंजा कसना शुरू किया. सीबीआई ने जुलाई में लालू परिवार के खिलाफ केस दर्ज कर उनके कई ठिकानों पर छापा तक मारा. 


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