शशिकला और राबड़ी देवी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
यूं तो बिहार और तमिलनाडु की राजनीति में दूर-दूर तक कोई समानता नहीं, लेकिन वीके शशिकला को देख राबड़ी की याद ताजा हो ही जाती है... दोनों के बीच कई समानताएं हैं, जो राजनीतिक पंडितों को एक बार फिर बिहार की राजनीति की याद दिला देती हैं. दरअसल, जयललिता की मौत के बाद पन्नीरसेल्वम को सीएम बनाया गया. लेकिन हाल ही में उन्होंने शशिकला के सीएम बनने का रास्ता साफ करते हुए पद से इस्तीफा दे दिया. लेकिन अब वह फिर चाह रहे हैं कि वही मुख्यमंत्री बने रहें, जबकि विधायक बल शशिकला के साथ है.
शशिकला और राबड़ी देवी दोनों ही सीधे घर से निकलकर राजनीति में पहुंची हैं. लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया था. राबड़ी देवी के पास राजनीति का कोई अनुभव नहीं था. राबड़ी को पत्नी होने का लाभ मिला जबकि शशिकला को करीबी दोस्त.
राबड़ी देवी जब मुख्यमंत्री बनीं तो उनके चुनाव न लड़ने को लेकर भी सवाल उठे थे. वहीं शशिकला को लेकर भी उठ रहे हैं कि वह कभी चुनावों में नहीं उतरीं. राबड़ी को भी परिस्थितवश मुख्यमंत्री बना दिया गया था. बस राबड़ी को यह फायदा था कि जेल में बैठे लालू प्रसाद यादव उस समय मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे थे, जबकि शशिकला के साथ ऐसा कोई नहीं दिखता.
जब राबड़ी सीएम बनी थीं तो लालू जेल में थे. राबड़ी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट रखकर सत्ता संभाले रखने की थी. पार्टी को एकजुट रखने की चुनौती शशिकला के सामने भी है. पार्टी में विधायकों की बड़ी संख्या शशिकला के साथ ही है लेकिन पार्टी में दो धड़े की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसलिए शशिकला की भी पहली कोशिश पार्टी को एकजुट रखना है.
इसके साथ ही यह प्रमुख बात रही कि लालू के मुख्यमंत्री होते हुए राबड़ी और जयललिता के सामने शशिकला मीडिया से दूर रहीं. या यूं कहें कि दोनों ही लॉ प्रोफाइल में रहीं और अचानक से हाई प्रोफाइल बन गईं.
राबड़ी पर आरोप लगा कि उन्हें कुर्सी भाग्यवश मिल गई क्योंकि उनके पति लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे. इससे लोग उनसे भी नाराज दिखे.. राबड़ी को जन समर्थन हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा. वही हाल शशिकला के साथ भी है. लोगों का कहना है कि वह जयललिता की दोस्त हैं सिर्फ इसलिए मुख्यमंत्री बना दिया जाए यह ठीक नहीं. लोगों की सहानुभूति पन्नीरसेलवम के साथ ज्यादा दिख रही है.
शशिकला और राबड़ी देवी दोनों ही सीधे घर से निकलकर राजनीति में पहुंची हैं. लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया था. राबड़ी देवी के पास राजनीति का कोई अनुभव नहीं था. राबड़ी को पत्नी होने का लाभ मिला जबकि शशिकला को करीबी दोस्त.
राबड़ी देवी जब मुख्यमंत्री बनीं तो उनके चुनाव न लड़ने को लेकर भी सवाल उठे थे. वहीं शशिकला को लेकर भी उठ रहे हैं कि वह कभी चुनावों में नहीं उतरीं. राबड़ी को भी परिस्थितवश मुख्यमंत्री बना दिया गया था. बस राबड़ी को यह फायदा था कि जेल में बैठे लालू प्रसाद यादव उस समय मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे थे, जबकि शशिकला के साथ ऐसा कोई नहीं दिखता.
जब राबड़ी सीएम बनी थीं तो लालू जेल में थे. राबड़ी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट रखकर सत्ता संभाले रखने की थी. पार्टी को एकजुट रखने की चुनौती शशिकला के सामने भी है. पार्टी में विधायकों की बड़ी संख्या शशिकला के साथ ही है लेकिन पार्टी में दो धड़े की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसलिए शशिकला की भी पहली कोशिश पार्टी को एकजुट रखना है.
इसके साथ ही यह प्रमुख बात रही कि लालू के मुख्यमंत्री होते हुए राबड़ी और जयललिता के सामने शशिकला मीडिया से दूर रहीं. या यूं कहें कि दोनों ही लॉ प्रोफाइल में रहीं और अचानक से हाई प्रोफाइल बन गईं.
राबड़ी पर आरोप लगा कि उन्हें कुर्सी भाग्यवश मिल गई क्योंकि उनके पति लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे. इससे लोग उनसे भी नाराज दिखे.. राबड़ी को जन समर्थन हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा. वही हाल शशिकला के साथ भी है. लोगों का कहना है कि वह जयललिता की दोस्त हैं सिर्फ इसलिए मुख्यमंत्री बना दिया जाए यह ठीक नहीं. लोगों की सहानुभूति पन्नीरसेलवम के साथ ज्यादा दिख रही है.
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