लखनऊ:
पार्टी में राहुल गांधी की बड़ी भूमिका का संकेत देते हुए गुरुवार को उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
वरिष्ठ नेताओं अहमद पटेल, जनार्दन द्विवेदी, दिग्विजय सिंह, मधुसूदन मिस्त्री और जयराम रमेश को राहुल गांधी के नेतृत्व वाली चुनाव समन्वय समिति का सदस्य बनाया गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने यह ऐलान किया।
उन्होंने तीन उप-समूह बनाने की भी घोषणा की, जिनमें एक चुनाव पूर्व गठबंधन के महत्वपूर्ण मामले पर फैसला करेगा। वरिष्ठ नेता एके एंटनी इसके अध्यक्ष होंगे।
रक्षामंत्री घोषणापत्र और सरकारी कार्यक्रमों से सम्बंधित उपसमूह के भी अध्यक्ष होंगे, जबकि दिग्विजय सिंह संचार और प्रचार उप समूह के प्रमुख होंगे।
द्विवेदी, जो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा, ‘‘सूरजकुंड में संवाद बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गोधी द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप उन्होंने 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक चुनाव समन्वय समिति और तीन उप समूहों का गठन किया है।’’
42 वर्षीय राहुल गांधी को चुनाव समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया जाना 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में उनके बढ़ते कद का परिचायक है और इसे आगामी चुनावी जंग में उन्हें पार्टी के चेहरे के तौर पर पेश करने की शुरूआत के तौर पर देखा जा रहा है।
चुनाव पूर्व गठबंधन के मामले संबंधी उपसमूह के अन्य सदस्यों में एम वीरप्पा मोइली, मुकुल वासनिक, सुरेश पचौरी, जितेन्द्र सिंह और मोहन प्रकाश को शामिल किया गया है। चुनाव घोषणापत्र और सरकारी कार्यक्रम संबंधी उपसमूह, जिसकी अध्यक्षता भी एंटनी के हाथों में होगी, में पी चिदंबरम, सुशील कुमार शिंदे, आनंद शर्मा, सलमान खुर्शीद, संदीप दीक्षित, अजित जोगी, रेणुका चौधरी और पीएल पुनिया को सदस्य बनाया गया है।
दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाले संचार और प्रसार समूह में पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, उनके उत्तराधिकारी मनीष तिवारी, दीपेन्द्र हुड्डा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजीव शुक्ला और भक्त चरण दास को सदस्य बनाया गया है।
सूरजकुंड में 9 नवंबर को पार्टी की संवाद बैठक में समन्वय समिति और उपसमूहों के गठन की घोषणा करते हुए संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था, ‘‘लोकसभा चुनाव के लिए डेढ़ वर्ष बचा है, फिर से जनादेश हासिल करने के लिए पार्टी और सरकार दोनों को मिलकर काम करना होगा।’’
इस घोषणा से कुछ दिन पहले ही यह बताया गया था कि पार्टी का चिंतन शिविर जनवरी के मध्य में जयपुर में होने की संभावना है, जिसमें गठबंधन के मामले के साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति को ठोस आकार दिया जा सकता है।
पार्टी की यह सरगर्मियां इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे इस वर्ष के अंत में आने वाले हैं और अगले वर्ष मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और दिल्ली सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी सचिवालय में भी एक सप्ताह के भीतर फेरबदल हो सकता है। इसमें राहुल गांधी के लिए कुछ नये ओहदों का ऐलान हो सकता है, जिन्हें पार्टी में नंबर दो का दर्जा पहले ही हासिल है।
दिनभर चली सूरजकुंड बैठक में सोनिया गांधी ने स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी और सरकार के बीच बेहतर समन्वय और समझ की जरूरत है। आर्थिक सुधार उपायों के प्रतिकूल राजनीतिक परिणाम और एक के बाद एक घोटालों से चिंतित सोनिया ने पार्टी और सरकार से कहा था कि अगले आम चुनाव में जनादेश हासिल करने के लिए तैयारी कर लें।
सोनिया द्वारा सरकार को यह स्पष्ट संदेश दिया गया था कि यह पार्टी है, जिसने उसे सत्ता तक पहुंचाया है और सरकार में जो लोग हैं उन्हें संगठन की परेशानियों को समझना चाहिए।
बैठक में 2009 के लोकसभा चुनाव के चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों के कार्यान्वयन की समीक्षा भी की गई। बताया जाता है कि बैठक में एंटनी ने जोर देकर कहा कि पार्टी को उसकी ‘‘आम आदमी’’ से जुड़े होने की छवि से दूर जाते हुए नहीं देखा जाना चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने नये मीडिया में पार्टी की मौजूदगी की कमी पर चिंता जमाई, जबकि मनीष तिवारी सहित कुछ नेताओं ने मीडिया में सरकार के खिलाफ किए जा रहे दुष्प्रचार का सख्ती से जवाब दिए जाने की जरूरत की बात कही।
सिंह और तिवारी को संचार और प्रसार उप समूह में जिम्मेदारी दी गई है। दिग्विजय उस समन्वय समिति में भी रहेंगे, जिसकी कमान राहुल गांधी को सौंपी गई है।
एंटनी चुनाव पूर्व गठबंधन सहित दो उप समूहों के प्रमुख हैं। वह केरल के मुख्यमंत्री रहे हैं, जहां कांग्रेस ने युनाइटिड डेमोक्रेटिक फ्रंट के झंडे तले लंबे समय तक गठबंधन निभाया।
(इनपुट भाषा से भी)
वरिष्ठ नेताओं अहमद पटेल, जनार्दन द्विवेदी, दिग्विजय सिंह, मधुसूदन मिस्त्री और जयराम रमेश को राहुल गांधी के नेतृत्व वाली चुनाव समन्वय समिति का सदस्य बनाया गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने यह ऐलान किया।
उन्होंने तीन उप-समूह बनाने की भी घोषणा की, जिनमें एक चुनाव पूर्व गठबंधन के महत्वपूर्ण मामले पर फैसला करेगा। वरिष्ठ नेता एके एंटनी इसके अध्यक्ष होंगे।
रक्षामंत्री घोषणापत्र और सरकारी कार्यक्रमों से सम्बंधित उपसमूह के भी अध्यक्ष होंगे, जबकि दिग्विजय सिंह संचार और प्रचार उप समूह के प्रमुख होंगे।
द्विवेदी, जो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा, ‘‘सूरजकुंड में संवाद बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गोधी द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप उन्होंने 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक चुनाव समन्वय समिति और तीन उप समूहों का गठन किया है।’’
42 वर्षीय राहुल गांधी को चुनाव समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया जाना 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में उनके बढ़ते कद का परिचायक है और इसे आगामी चुनावी जंग में उन्हें पार्टी के चेहरे के तौर पर पेश करने की शुरूआत के तौर पर देखा जा रहा है।
चुनाव पूर्व गठबंधन के मामले संबंधी उपसमूह के अन्य सदस्यों में एम वीरप्पा मोइली, मुकुल वासनिक, सुरेश पचौरी, जितेन्द्र सिंह और मोहन प्रकाश को शामिल किया गया है। चुनाव घोषणापत्र और सरकारी कार्यक्रम संबंधी उपसमूह, जिसकी अध्यक्षता भी एंटनी के हाथों में होगी, में पी चिदंबरम, सुशील कुमार शिंदे, आनंद शर्मा, सलमान खुर्शीद, संदीप दीक्षित, अजित जोगी, रेणुका चौधरी और पीएल पुनिया को सदस्य बनाया गया है।
दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाले संचार और प्रसार समूह में पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, उनके उत्तराधिकारी मनीष तिवारी, दीपेन्द्र हुड्डा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजीव शुक्ला और भक्त चरण दास को सदस्य बनाया गया है।
सूरजकुंड में 9 नवंबर को पार्टी की संवाद बैठक में समन्वय समिति और उपसमूहों के गठन की घोषणा करते हुए संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था, ‘‘लोकसभा चुनाव के लिए डेढ़ वर्ष बचा है, फिर से जनादेश हासिल करने के लिए पार्टी और सरकार दोनों को मिलकर काम करना होगा।’’
इस घोषणा से कुछ दिन पहले ही यह बताया गया था कि पार्टी का चिंतन शिविर जनवरी के मध्य में जयपुर में होने की संभावना है, जिसमें गठबंधन के मामले के साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति को ठोस आकार दिया जा सकता है।
पार्टी की यह सरगर्मियां इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे इस वर्ष के अंत में आने वाले हैं और अगले वर्ष मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और दिल्ली सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी सचिवालय में भी एक सप्ताह के भीतर फेरबदल हो सकता है। इसमें राहुल गांधी के लिए कुछ नये ओहदों का ऐलान हो सकता है, जिन्हें पार्टी में नंबर दो का दर्जा पहले ही हासिल है।
दिनभर चली सूरजकुंड बैठक में सोनिया गांधी ने स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी और सरकार के बीच बेहतर समन्वय और समझ की जरूरत है। आर्थिक सुधार उपायों के प्रतिकूल राजनीतिक परिणाम और एक के बाद एक घोटालों से चिंतित सोनिया ने पार्टी और सरकार से कहा था कि अगले आम चुनाव में जनादेश हासिल करने के लिए तैयारी कर लें।
सोनिया द्वारा सरकार को यह स्पष्ट संदेश दिया गया था कि यह पार्टी है, जिसने उसे सत्ता तक पहुंचाया है और सरकार में जो लोग हैं उन्हें संगठन की परेशानियों को समझना चाहिए।
बैठक में 2009 के लोकसभा चुनाव के चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों के कार्यान्वयन की समीक्षा भी की गई। बताया जाता है कि बैठक में एंटनी ने जोर देकर कहा कि पार्टी को उसकी ‘‘आम आदमी’’ से जुड़े होने की छवि से दूर जाते हुए नहीं देखा जाना चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने नये मीडिया में पार्टी की मौजूदगी की कमी पर चिंता जमाई, जबकि मनीष तिवारी सहित कुछ नेताओं ने मीडिया में सरकार के खिलाफ किए जा रहे दुष्प्रचार का सख्ती से जवाब दिए जाने की जरूरत की बात कही।
सिंह और तिवारी को संचार और प्रसार उप समूह में जिम्मेदारी दी गई है। दिग्विजय उस समन्वय समिति में भी रहेंगे, जिसकी कमान राहुल गांधी को सौंपी गई है।
एंटनी चुनाव पूर्व गठबंधन सहित दो उप समूहों के प्रमुख हैं। वह केरल के मुख्यमंत्री रहे हैं, जहां कांग्रेस ने युनाइटिड डेमोक्रेटिक फ्रंट के झंडे तले लंबे समय तक गठबंधन निभाया।
(इनपुट भाषा से भी)
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