एलपीजी सिलेंडरों के दाम चार रुपये महीने बढ़ेंगे.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद से लोगों से ऐच्छिक रूप से सब्सिडी छोड़ने की अपील की और अब सरकार का दावा है कि पिछले तीन साल में करीब 2 करोड़ लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी है. हर महीने घरेलू गैस के दाम में 4 रूपये की वृद्धि कर इस पर दी जाने वाली सब्सिडी को धीरे धीरे समाप्त करने के सरकार के फैसले पर विपक्षी दलों के सदस्यों ने लोकसभा में जबर्दस्त विरोध दर्ज कराया और सरकार से इस फैसले को वापस लिये जाने की मांग की. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा और वामपंथी दलों ने इस विषय पर सरकार से जवाब भी देने की मांग की और सरकार के कोई जवाब नहीं देने पर सदन से वाकआउट किया. शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार के कल किये गये ऐलान से आम आदमी बुरी तरह प्रभावित होने वाला है. सरकार ने साफ कर दिया है कि मार्च 2018 से वह एलपीजी सिलेंडरों पर दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त करने जा रही है. इससे आम जनता और खासतौर पर महिलाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी.
वेणुगोपाल ने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में इतनी गिरावट आ रही है तो एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी समाप्त कर आम आदमी पर बोझ डालने के पीछे सरकार के पास क्या स्पष्टीकरण है? उन्होंने कहा कि सरकार को इस फैसले को तत्काल वापस लेना चाहिए. तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने इसी विषय को उठाते हुए कहा कि एलपीजी सिलेंडरों के दामों पर जीएसटी का भी असर पड़ा है. धीरे धीरे पूरी सब्सिडी समाप्त करने से आम जनता पर बुरा असर पड़ेगा. यह जनविरोधी कदम है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए.
माकपा की पीके श्रीमती टीचर ने कहा कि सरकार के फैसले के बाद एलपीजी सिलेंडर के दाम 600 रुपये से ज्यादा हो जाएंगे. गरीब आदमी इस बोझ को कैसे सहन करेगा? उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से अनुरोध किया कि सरकार को इस फैसले को वापस लेने का निर्देश दिया जाए. आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने इस मामले में सरकार पर पारदर्शिता नहीं रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि हर महीने बिना सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर पर दो रुपये की बढ़ोतरी सरकार की सब्सिडी समाप्त करने की योजना का हिस्सा था और सरकार ने यह बात अब तक सार्वजनिक नहीं की. उन्होंने कहा कि अब सरकार सभी लोगों को एलपीजी पर सब्सिडी छोड़ने के लिए बाध्य कर रही है. कांग्रेस और वामपंथी दलों ने इस विषय पर सरकार से सदन में तत्काल कोई बयान देने की मांग की.
इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने इस विषय पर शून्यकाल में विभिन्न दलों को बोलने की अनुमति दी है. लेकिन शून्यकाल में वह सरकार के किसी मंत्री को इस संबंध में कोई जवाब देने के लिए बाध्य नहीं कर सकतीं. हालांकि सरकार से बयान की मांग पर अड़े कांग्रेस, वाम दलों के साथ राकांपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने इस विषय पर सदन से वाकआउट किया.
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गौरतलब है कि कल लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हर महीने घरेलू गैस के दाम में होने वाली वृद्धि को दो रुपये से दोगुना करके चार रुपये कर दिया गया है ताकि सब्सिडी को जीरो पर लाया जा सके. प्रधान ने यह जानकारी दी कि सरकार ने यह आदेश 30 मई 2017 को ही पास कर दिया था. इसमें तेल विपणन कंपनियों को एक जून 2017 से हर महीने प्रति सिलेंडर चार रुपये बढ़ाने को कहा है. यह आदेश मार्च 2018 तक या सिलेंडर पर दी जा रही सब्सिडी खत्म होने तक जारी रहेगा.
वेणुगोपाल ने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में इतनी गिरावट आ रही है तो एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी समाप्त कर आम आदमी पर बोझ डालने के पीछे सरकार के पास क्या स्पष्टीकरण है? उन्होंने कहा कि सरकार को इस फैसले को तत्काल वापस लेना चाहिए. तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने इसी विषय को उठाते हुए कहा कि एलपीजी सिलेंडरों के दामों पर जीएसटी का भी असर पड़ा है. धीरे धीरे पूरी सब्सिडी समाप्त करने से आम जनता पर बुरा असर पड़ेगा. यह जनविरोधी कदम है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए.
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माकपा की पीके श्रीमती टीचर ने कहा कि सरकार के फैसले के बाद एलपीजी सिलेंडर के दाम 600 रुपये से ज्यादा हो जाएंगे. गरीब आदमी इस बोझ को कैसे सहन करेगा? उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से अनुरोध किया कि सरकार को इस फैसले को वापस लेने का निर्देश दिया जाए. आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने इस मामले में सरकार पर पारदर्शिता नहीं रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि हर महीने बिना सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर पर दो रुपये की बढ़ोतरी सरकार की सब्सिडी समाप्त करने की योजना का हिस्सा था और सरकार ने यह बात अब तक सार्वजनिक नहीं की. उन्होंने कहा कि अब सरकार सभी लोगों को एलपीजी पर सब्सिडी छोड़ने के लिए बाध्य कर रही है. कांग्रेस और वामपंथी दलों ने इस विषय पर सरकार से सदन में तत्काल कोई बयान देने की मांग की.
इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने इस विषय पर शून्यकाल में विभिन्न दलों को बोलने की अनुमति दी है. लेकिन शून्यकाल में वह सरकार के किसी मंत्री को इस संबंध में कोई जवाब देने के लिए बाध्य नहीं कर सकतीं. हालांकि सरकार से बयान की मांग पर अड़े कांग्रेस, वाम दलों के साथ राकांपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने इस विषय पर सदन से वाकआउट किया.
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गौरतलब है कि कल लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हर महीने घरेलू गैस के दाम में होने वाली वृद्धि को दो रुपये से दोगुना करके चार रुपये कर दिया गया है ताकि सब्सिडी को जीरो पर लाया जा सके. प्रधान ने यह जानकारी दी कि सरकार ने यह आदेश 30 मई 2017 को ही पास कर दिया था. इसमें तेल विपणन कंपनियों को एक जून 2017 से हर महीने प्रति सिलेंडर चार रुपये बढ़ाने को कहा है. यह आदेश मार्च 2018 तक या सिलेंडर पर दी जा रही सब्सिडी खत्म होने तक जारी रहेगा.
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