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This Article is From Feb 27, 2016

NDTV की विशेष रिपोर्ट : बहुत पीछे चला गया है हरियाणा का रोहतक

NDTV की विशेष रिपोर्ट : बहुत पीछे चला गया है हरियाणा का रोहतक
सीसीटीवी से ली गई तस्वीर
नई दिल्ली: वो 22 फरवरी सोमवार की सुबह थी, जब हम दिल्ली से रोहतक जाने के लिए टीकरी बॉर्डर पहुंचे। वहां पहले से ही जाट समुदाय के लोगों ने रास्ता बंद किया हुआ था। ट्रक और ट्राले आढ़े तिरछे लगाकर रोड को ऐसे बंद किया गया था कि वहां से साइकिल भी न निकल पाए। रोजाना बहादुरगढ़ से दिल्ली आने-जाने वाले अपना सामान लादे पैदल ही बॉर्डर पार कर रहे थे। मुझे किसी से पूछताछ में पता चला कि थोड़ा पीछे जाकर अंदर से एक पतली गली बहादुरगढ़ में खुलती है। हमारी एनडीटीवी की 4 गाड़ियों का काफिला था, 2 कारें और 2 ओबी बैन।

हाथों में लाठियां, तलवारें और फरसे थे...
पतली गली से हम दाखिल होकर बहादुरगढ़ पहुंच गए। शहर में पुलिस तो नहीं दिखी, लेकिन बड़ी संख्या में जाट समुदाय के लोग जाट एकता जिंदाबाद के नारे लगाते हुए दिल्ली बॉर्डर की तरफ बढ़ रहे थे, उनके हाथों में लाठियां, तलवारें और फरसे थें। पूरे शहर में एक अजब डर और खामोशी थी। हमारे चार गाड़ियों का काफिला बहादुरगढ़ से रोहतक की तरफ बढ़ा। मैं कार में बैठे अपने सहयोगी सिद्धार्थ पांडे से बात कर रहा था कि हम पहुंच पाएंगे या नहीं? रास्ते में कई जगह हाइवे बंद हैं, कहीं कोई हम पर हमला न कर दे।

बात करते-करते हम बहादुरगढ़ शहर के बाहरी हिस्से में पहुंचे तो जाटों ने एनएच-10 फिर से बंद किया हुआ था। हमने कार से उतरकर सड़क पर बैठे लोगों से बात की और उन्हें बताया कि हम कश्मीर में शहीद हुए कैप्टन पवन कुमार के पैतृक घर जींद जा रहे हैं, उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए। कुछ लोगों को ये बात समझ में आई और उन्होंने रास्ता खोल दिया। रास्ता खुलते ही हम तेजी से आगे बढ़े। हाइवे पर गाडियां नहीं थीं, इसलिए हम पूरी रफ्तार से चलते रहे।

बेहद मुश्किल था लोगों को समझा पाना...
करीब 20-25 किलोमीटर आगे चलने के बाद सांपला इलाके में टोल के पास कई ट्रक खड़े थे, जिनके जरिए रास्ता बंद किया गया। सड़के नीचे कच्चे रास्ते को भी खोदकर खाई बना दी गई थी। एक बाइक वाले ने निकलने की कोशिश कि तो उसकी डंडो से पिटाई की गई। हिंसा पर आमादा इन लोगों को समझाना बेहद मुश्किल था। वहां मौजूद एक ट्रक ड्राइवर ने कहा कि सर पीछे गांव के रास्ते नहर पार करते हुए निकल जाओ यहां मत रूको खतरा है।

हमने गांव का रास्ता लिया। ऊबड़ खाबड़ और बेहद संकर के रास्ते से चलते हुए हम टोल तो पार गए, लेकिन जब हम दुबारा हाइवे पर पहुंचे तो वहां फिर से रास्ता बंद था। यहां बड़ी संख्या में जाट समुदाय के लोग टैंट लगाकर बैठे हुए थे। एक साथ जब हमारी 4 गाडियां पहुंची तो भीड़ हमारी तरफ बढ़ी, हमने कार से उतरकर बड़े प्यार से उन्हें बताया कि हम शहीद कैप्टन पवन कुमार के घर जा रहे हैं। दरअसल, हमारे अग्रेंजी चैनल के संवाददाता सिदार्थ पांडे को जींद जाकर कैप्टन का अंतिम संस्कार कवर करना था और मुझे रोहतक पहुंचना था।  

इंटरव्यू लेने के बाद खोला गया रास्ता...
हमारी बात पर एक नौजवान लड़का बोला कि यहां इतने जाट शहीद हो गए हैं और तुम्हें शहीद कैप्टन की चिंता हो रही है। उसके बाद भीड़ ने हमें जो कहना था कहा... हम मुस्कराते हुए उनकी बात सुन भी रहे थे और समझाने की कोशिश भी कर रहे थे, तभी एक शख्स बोला आप हमारा कुछ नहीं दिखाते रोहतक जाकर ये दिखाओगे की आर्मी और पुलिस कितना बढ़िया काम कर रही। मीडिया बिकी हुई है, सरकार के हिसाब से काम कर रही है, हमारे बहुत ज्यादा लोग मारे गए हैं और आप लोग कम दिखा रहे हो।

हमने उनसे कहा कि आप लोगों को इंटरव्यू अभी करता हूं और अभी चलवाता हूं फिर तो हमें जाने दोगे। कुछ लोग इस शर्त पर तैयार हो गए। हम लोगों ने फौरन उनका इंटरव्यू किया और ऑफिस में बात कर सुबह 9 बजे के बुलेटिन में चलवाया, लेकिन फिर पता नहीं क्या हुआ वो सभी एक बार फिर बिगड़ गए। एक बाइक वाले को बैरीकेड से निकालने को लेकर जाटों में आपस में ही मारपीट हो गई। उसके बाद हम लोगों ने वहां बैठे कुछ बुजुर्ग लोगों से बात की और फाइनली उन्होंने रास्ता खोल दिया।

ऐसा लगा जैसे हमने पाकिस्तान बॉर्डर क्रास किया हो...
रास्ता खोलते ही इतना अच्छा लगा जैसे हमने पाकिस्तान बॉर्डर क्रास कर लिया हो। आगे जाट समुदाय के एक लड़के ने अपनी बाइक से बमें एस्कार्ट किया, जिससे 2-3 किलोमीटर हम पर कोई हमला न कर दे। सांपला से निकलने के बाद हमें एस्कार्ट कर रहा लड़का बोला सर अब आप सीधा रोहतक जा सकते हैं। हमने एक फिर अपनी गाड़ियों की रफ्तार तेज की और 20-22 किलोमीटर का सफर करते हुए रोहतक पहुंच गए। रोहतक के बाहरी हिस्से देखते ही हमें अहसास हो गया कि इस शहर में तबाही कितने बड़े पैमाने पर हुई है।

सड़कों पर सन्नाटा था। जगह-जगह जला हुआ सामान रास्तों पर पड़ा था। एक जली हुई पुलिस चौकी मिली, फिर जला हुआआईजी ऑफिस और हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का जला हुआ इंडस पब्लिक स्कूल मिला। सड़कों पर कोई नहीं था, इसलिए हमने कार से निकलना ठीक नहीं समझा। थोड़ा और आगे गए तो सड़क के दोनों तरफ बड़ी संख्या में दुकाने और मॉल जले हुए दिखाई दे रहे थे। हालात देखकर ऐसा लगा जैसे यहां आईएसआईएस ने हमला कर दिया हो। शहर में बड़े पैमाने तबाही का मंजर साफ दिख रहा था।

साफ झलक रहा था लोगों का दुख-दर्द...
गाड़ी से उतरकर कुछ लोगों से बात की तो उनका दुख दर्द साफ झलक रहा था। लोग अपने शहर को छोड़ने की बात कर रहे थे। कई लोग मीडिया से नाराज थे उनका कहना था कि मीडिया यहां क्यों नहीं आ रहा? क्यों ये सब नहीं दिखा रहा? हमने उन्हें बताया कि सभी रास्ते बंद हैं और हम भी बड़े मुश्किल हालात में यहां पहुंचे हैं। शहर के हालात देखकर हमने फैसला किया कि पहले हम अपनी ओबी वैन को किसी सुरक्षित जगह पर खड़ा करते हैं क्योंकि इन्हें देखकर भीड़ इकटठी हो रही है और भीड़ देखकर आर्मी वाले गोली चलाने की धमकी दे रहे थे।

हम रोहतक पुलिस लाइन पहुंचे पूरे शहर की पुलिस यहीं थी और पुलिस लाइन की दीवारों पर हथियारों से लैस आर्मी के तैनात थे। जैसे पुलिसकर्मियों की रखवाली आर्मी वाले कर रहे हों। वायुसेना के हेलीकॉप्टर लगातार उड़ाने भर रहे थे, जिससे आर्मी के जवान लगातार पुलिस जवान लाए जा रहे थे। पूरे शहर के होटल और दुकाने बंद थी। हमने एक मित्र को फोन किया तो सरकारी गेस्ट हाउस बड़े मुश्किल से 2 रूम मिले। अपनी ओबी बैन को हमने एक गुरूदारे में खड़ा करवा दिया।

शहर की बर्बादी पर रो रहे थे लोग...
फिर थोड़ी देर आराम करने के बाद हम सड़कों पर अपनी कार से एक बार फिर निकले। यकीन नहीं हुआ कि ये वही शहर से जिसे मैंने कुछ महीने पहले देखा। शहर के वाशिंदे अपने शहर की बर्बादी पर रो रहे थे। जायजा लेने पर चला कि शहर में जिन पर आगजनी हुई है, उनमें 4 बड़े स्कूल, एक कॉलेज करीब 110 दुकानें, दूध सप्लाई करने वाला वीटा मिल्क प्लांट, 2 बड़े मॉल, करीब 7-8 होटल, महंगी कारों के 4 शोरूम, हरिभूमि अखवार का दफ्तर, कई पुलिस चौंकियां, गन हाउस, कैप्टन अभिमन्यु की कोठी उनका दफ्तर और स्कूल शामिल हैं।

वीटा प्लांट में तो आग 3 दिन तक धधकती रही और प्लांट में मौजूद 3000 हजार लीटर का अमोनिया का सिलेंडर उसकी चपेट में आते-आते बचा। अगर ऐसा होता तो रोहतक शहर में तबाही मच जाती। आसपास गांवों से कारों और ट्रैक्टरों में भरकर आई भीड़ ने न सिर्फ शहर के आग के हवाले किया, बल्कि जमकर लूटपाट भी की। दंगाइयों ने चुन-चुन कर पंजाबी और सैनी सुमदाय के लोगों की दुकानों को निशाना बनाया।

सीसीटीवी में कैद हुई लूट की तस्वीर...
लूट की कई सीसीटीवी तस्वीरों में दिखता है कि कैसे लोग दुकानों में बैठकर बांड्रेड जूतों को पहनकर देख रहे हैं। सबसे ज्यादा लूट महंगी घड़ियों, कपड़ों, मोबाइल फोन, गहनों और शराब की हुई। जो लोग लूट में शामिल दिखे वो 15 से 30 साल के नौजवान हैं। रोहतक में अब हजारों बच्चे स्कूल नहीं जा सकेगें। वैसे जिन स्कूलों में आग लगाई गई है, उनमें हर समुदाय के बच्चे पढ़ते हैं और सबसे ज्यादा जाटों के पढ़ते हैं, फिर भी न जाने क्या सोचकर आग लगाई गई। कई जाट समुदाय के लोगों ने ये कहा कि हम भी जाट हैं, लेकिन इस तरह की हिंसा करने की सोच भी नहीं सकते। अपने शैक्षणिक संस्थानों के लिए जाना जाने वाला रोहतक अब गर्त में पहुंच गया है।

वहीं, रोहतक के पास झज्जर में भी आरक्षण की आग जातीय हिंसा में तब्दील हो गई। जाटों के लोकप्रिय नेता चौधरी छोटूराम की धर्मशाला में आग लगा दी गई और उनकी मूर्ति को तोड़ दिया। शहर में सैनी और पंजाबी समुदाय की करीब 30 दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। सैनी कॉलोनी में करीब 30 घरों को लूट के बाद जला दिया गया। सौनी समुदाय के 2 लोगों की हत्या कर दी गई। 5 सरकारी दफ्तर भी आग के हवाले कर दिए गए। पुलिस थाने और पुलिस चौकियों को भी नहीं बख्शा गया।

जाट आंदोलन से 35000 करोड़ का हुआ नुकसान
रेलवे स्टेशन भी जलकर राख हो गया। एसौचेम के अनुमान के मुताबिक हरियाणा में जाट आंदोलन से 35000 करोड़ का नुकसान हुआ है। आरक्षण की मांग का ऐसा जुनून और तांडव किसी ने नहीं देखा होगा। खुद की सुरक्षा में लगे प्रशासन ने जैसे हर किसी को अपने हाल पर छोड़ दिया था। करीब 30 मौतें हुई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। साफ है, इसके पीछे एक बड़ी साजिश है। इस हिंसा का एक बड़ा राजनीतिक पहलू भी है, किसे फायदा हुआ किसे नुकसान ये आंकलन राजनीतिक पंडित लगा रहे होगें।

हरियाणा में समाज के बीच एक बड़ी खाई पनप चुकी है और एक सिविल वार जैसा तो हो चुका है। अब आगे चौकस और सावधान रहने की जरूरत है। चुनौती ये भी है कि बड़ी संख्या में गांवों में रहने वाले बेरोजगार और अशिक्षित युवाओं को सही दिशा कैसे दी जाय?

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