बीजेपी की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला एक बार फिर अल्पसंख्यक नेताओं के निशाने पर हैं। नजमा हेपतुल्ला ने शनिवार को मुंबई में अल्पसंख्यक नेताओं से मुलाकात की। दरअसल वह मुंबई में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्तीय प्राधिकरण और मौलाना आज़ाद नेशनल एकेडमी फॉर स्किल्स के कार्यक्रमों की देखरेख के लिए आईं थी।
मौलाना आज़ाद नेशनल एकेडमी फॉर स्किल्स के तहत केन्द्र सरकार 31 मार्च 2015 तक 10,000 युवाओं को नौकरी देने का लक्ष्य रखा है। लेकिन बैठक के दौरान विषय महाराष्ट्र में मुस्लिम और मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मुड़ गया। पिछले महीने राज्य सरकार ने विधानसभा में मराठा आरक्षण विधेयक तो रखा, लेकिन मुस्लिम आरक्षण विधेयक पर उसने पहले कानूनी मशविरे की बात कही।
दरअसल कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने विधानसभा चुनावों से ऐन पहले मराठा और मुस्लिम आरक्षण का वायदा किया था। इस पर
अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री हेपतुल्ला ने कहा, 'अगर कांग्रेस सरकार वाकई मुस्लमानों को आरक्षण देना चाहती, तो वह दस सालों तक इंतज़ार नहीं करती, उन्होंने चुनाव से महज़ 2 महीने पहले इसके बारे में ऐलान किया... जबकि उन्हें अच्छे से पता था कि वे चुनाव हारने वाले हैं। क्या अल्पसंख्यक उनके इस पैतरें पर भरोसा करेंगे।'
उन्होंने यह भी कहा कि ये सरकार वायदे नहीं बल्कि काम कर रही है। हम अल्पसंख्यकों को इस काबिल बना रहे हैं कि वे अपने लिए कुछ करें और आरक्षण के मोहताज ना रहें। धर्म के आधार पर आरक्षण पूरी तरह ग़लत है और ये नहीं होना चाहिए।
हालांकि इस दौरान नजमा हेपतुल्ला ने विवादित घर वापसी पर कोई सवाल लेने से इनकार कर दिया और कहा कि यह मामला उनके मंत्रालय से नहीं जुड़ा है।
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