यह ख़बर 04 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

म.प्र. सरकार ने संघ के मामले पर केन्द्र को नहीं दिया जवाब

खास बातें

  • शासकीय कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने की अनुमति दिए जाने के मामले में भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं।
भोपाल:

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में जाने की अनुमति दिए जाने के मामले में भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। राज्य सरकार ने इस मामले में केन्द्र सरकार द्वारा प्राप्त पत्र का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को इस बात की पुष्टि की कि प्रधानमंत्री कार्यालय में संसदीय कार्य राज्य मंत्री नारायण सामी के कार्यालय से इस संबंध में पत्र प्राप्त हुआ है लेकिन उन्होंने कहा कि इस पत्र का जवाब दिया जाना शेष है। केन्द्र सरकार द्वारा भेजे गए पत्र में शासकीय कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने की अनुमति दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए शासकीय कर्मचारियों के राजनीतिक तटस्थता के सिद्धांत का उल्लंघन बताया गया है। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2006 में एक आदेश के माध्यम से शासकीय कर्मचारियों को संघ की शाखाओं में जाने की अनुमति दी थी। उधर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता बिजेश लूनावत ने केन्द्र सरकार द्वारा इस संबंध में राज्य सरकार को लिखे पत्र का विरोध करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने इस पत्र को जारी कर संघ जैसे राष्ट्रवादी संगठन को राजनीति में घसीटने का कुत्सित प्रयास किया है। लूनावत ने कहा कि संघ की शाखाओं में देशभक्ति, अनुशासन और राष्ट्रीय एकता का परिचय दिया जाता है। यहां कोई राष्ट्र विरोधी गतिविधियां संचालित नहीं की जाती हैं लेकिन कांग्रेस बेवजह इस मामले को तूल देकर अपनी ओछी मानसिकता प्रदर्शित करने से नहीं चूक रही है। इधर प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी प्रमोद गुगालिया ने भाजपा सरकार पर शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संघ की शाखाओं में जाने की छूट देकर उनका संघीकरण किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कार्यवाही सिविल सेवा आचरण नियमों के खिलाफ है। प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्य मंत्री नारायण सामी द्वारा राज्य सरकार को भेजे गए पत्र को पूरी तरह उचित बताते हुए गुगालिया ने कहा कि ऐसी ही गलती गुजरात सरकार द्वारा भी की गयी थी लेकिन केन्द्र सरकार की सलाह पर उसने अपने इस विवादग्रस्त आदेश को वापस ले किया था। उन्होंने कहा कि म.प्र सरकार को भी तत्काल अपने इस आदेश को वापस ले लेना चाहिए।


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