
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए हुए मतदान के नतीजे 23 मई को आएंगे. लेकिन इससे पहले 19 मई को आए एग्जिट पोल के नतीजों ने विपक्ष को सकते में डाल दिया है. एक ओर जहां बीजेपी कार्यकर्ता जश्न की तैयारी कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस सहित विपक्ष का कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा नजर आ रहा है. हालांकि विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि इस 23 मई को नतीजे उल्टे होंगे. बात करें एनडीटीवी पोल ऑफ पोल्स की तो बीजेपी गठबंधन को 300 से अधिक सीटें, यूपीए 122 और अन्य को118 सीटें मिलती दिख रही हैं. एग्जिट पोल सामने आने के बाद से राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यालयों में लोगों की मनोदशा प्रभावित हुई है. बीजेपी मुख्यालय के एक कार्यकर्ता ने कहा कि उन्होंने ‘‘23 मई को लोकसभा चुनाव के परिणामों का शानदार तरीके से जश्न मनाने की” तैयारियां पहले से शुरू कर दी हैं. कांग्रेस मुख्यलाय में सोमवार सुबह सामान्य हलचल गायब थी जिसके बारे में पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा कि एक्जिट पोल द्वारा “झूठा माहौल” बनाने की वजह से ऐसा है. कांग्रेस के एक कार्यकर्ता राम सिंह ने कहा, “हम निश्चित तौर पर बेहतर प्रदर्शन करेंगे और अगर हम नहीं करते तो ईवीएम में गड़बड़ी की गई होगी.” अगर 23 मई को आने वाले नतीजे भी ऐसे रहते हैं तो क्या माना जाए कि पीएम मोदी की प्रमुख योजनाओं का असर जमीन पर दिखाई पड़ा है. हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि ऑपरेशन बालाकोट ने भी बीजेपी के पक्ष में हवा बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है.
राष्ट्रवाद का मुद्दा
ऑपरेशन बालाकोट के बाद से पूरा चुनाव मुद्दों के बजाए राष्ट्रवाद के आसपास सिमटता नजर आया है. पीएम मोदी ने भी एक रैली में पुलवामा में हुए शहीदों के नाम पर वोट डालने की अपील की थी. हालांकि बाद में उन्होंने अपने शब्दों को बदल दिया और चुनावी रैलियों में एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए मतदाताओं को 'राष्ट्रवाद' से प्रभावित करने की कोशिश की.
'TINA'फैक्टर काम कर गया
बीजेपी ने इस चुनाव में विपक्ष में पीएम मोदी की तुलना में किसी और विकल्प का मुद्दा भी जमकर उठाया. वहीं कांग्रेस की ओर से पीएम पद के उम्मीदवार राहुल गांधी विपक्ष के साथ आम सहमति बनाने में नाकामयाब रहे और पूरे चुनाव में पीएम मोदी के मुकाबले एक सर्वमान्य नेता कोई नहीं बन पाया. यानी पीएम मोदी के आगे There is No Alternative (TINA) फैक्टर ने विपक्ष को नुकसान पहुंचा दिया.
लोकसभा चुनाव : बीजेपी को इस बार कितनी सीटें? बहुत कुछ तय कर सकता है अंकगणित
राफेल के मुद्दे पर आक्रामक रणनीति
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दो सालों से राफेल को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की. राहुल गांधी की ओर से 'चौकीदार चोर है' जैसे भी नारे लगाए गए. लेकिन पीएम मोदी ने भी उसी अंदाज में 'मैं हूं चौकीदार' का नारा लगाया. इस मुद्दे पर बीजेपी एक बार भी बैकफुट पर जाने के लिए तैयार नहीं हुई. इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इसी जुड़े एक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में माफी भी मांगनी पड़ गई.
इस बार महंगाई नहीं बन पाया मुद्दा
इस चुनाव की खास बात यह रही कि मोदी सरकार को महंगाई जैसे मुद्दों का सामना नहीं करना पड़ा. साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार के सामने महंगाई के एक बड़ा मुद्दा बन गई थी. इसकी बड़ी वजह यह रही है कि मोदी सरकार ने पूरे 5 साल तक पूरी तरह से नियंत्रण में रखा. सरकार में आते ही पीएम मोदी ने कालाबाजारियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया था. जिसका असर साफ दिखाई दिया.
उज्जवला, किसान निधि और घर-शौचालय
बीजेपी सरकार की जीत में इन योजनाओं का भी बड़ा असर हो सकता है. चुनाव से पहले ही 2-2 हजार रुपये की दो किश्त किसानों के खाते में जा चुकी थी औ पूरे पांच साल मोदी सरकार ने जो स्वच्छता अभियान शुरू किए उसी के तहत मिलने वाले शौचालयों को चर्चा गांव-गांव हो रही है. दूसरी ओर उज्जवला योजना की तरह कई लाख घरों में सिलेंडर भी पहुंचाए गए. माना जा रहा है कि इन योजनाओं का असर भी वोटरों पर पड़ा होगा.
MP Exit Poll Results 2019: मध्य प्रदेश में बीजेपी को मिल सकती हैं 24 सीटें
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं