यह ख़बर 08 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

न्यायाधीश-मुख्यमंत्री सम्मेलन : अदालत, जजों की संख्या होगी दोगुनी

खास बातें

  • क़ानूनों में सुधार कैसे किया जाए ताकि आम आदमी को इंसाफ़ जल्दी मिले... इस बारे में रविवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाइकोर्ट के न्यायाधीशों के बीच बातचीत हुई।
नई दिल्ली:

क़ानूनों में सुधार कैसे किया जाए ताकि आम आदमी को इंसाफ़ जल्दी मिले... इस बारे में रविवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाइकोर्ट के न्यायाधीशों के बीच बातचीत हुई।

फ़ैसला हुआ कि अदालतें और जजों को बढ़ा कर दोगुना किया जाएगा। चीफ़ जस्टिस अल्तमस कबीर ने कहा कि फांसी की सज़ा जल्दी होनी चाहिए और परिवार वालों को उसकी जानकारी दी जानी चाहिए।

दिल्ली के विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों और न्यायधीशों के सम्मेलन में कई अहम फ़ैसले हुए। इनमें 18,871 अदालतों को बढ़ाकर दोगुना यानी 37 हजार किया जाना, नाबालिग़ों और बुज़ुर्गों के ख़िलाफ़ अपराधों के लिए फ़ास्ट ट्रैक अदालतें बनाना, अदालतों का कंप्यूटरीकरण और राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड का बनाना और महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता बरतना शामिल हैं।

सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने क़ानून के साथ साथ सामाजिक और राजनीतिक न्याय की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाइकोर्ट के न्यायाधीशों की इस कॉन्फ्रेंस में बुलाए तो सभी मुख्यमंत्री गए थे लेकिन पहुंचे सिर्फ़ ग्यारह।

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नरेंद्र मोदी ने ताल्लुक़ों में अदालतें बनाने और तकनीक के इस्तेमाल करने की सलाह दी। सरकार ने सबकी बातें सुनकर उनपर अमल करने का भरोसा दिलाया।