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This Article is From Apr 22, 2020

जम्‍मू-कश्‍मीर के पुलिस अधिकारी को याद दिलाया गया नरेंद्र मोदी के खिलाफ उन्‍हीं का लिखा पुराना ट्वीट..

पुराना ट्वीट मंगलवार को चर्चा आया क्योंकि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक 26 वर्षीय महिला फोटो जर्नलिस्ट पर उसके सोशल मीडिया पोस्ट्स के लिए कठोर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आरोपित किया.

जम्‍मू-कश्‍मीर के पुलिस अधिकारी को याद दिलाया गया नरेंद्र मोदी के खिलाफ उन्‍हीं का लिखा पुराना ट्वीट..
ताहिर अशरफ जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस के साइबर क्राइम विंग में एसपी हैं
नई दिल्ली:

सोशल मीडिया पोस्ट के लिए मंगलवार को एक पत्रकार से पूछताछ करने के कुछ घंटों बाद ही जम्मू-कश्मीर पुलिस के साइबर सेल के प्रमुख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को "परपीड़ाअभिलाषी" (दूसरे के दु:ख पर खुश होने वाला) करार देने वाले उनके ही पुराने ट्वीट की याद दिलाई गई. विवाद के बीच, साइबर पुलिस विंग के पुलिस अधीक्षक ताहिर अशरफ को 2013 में पोस्ट किए गए अपने ट्वीट को हटाने के लिए मजबूर किया गया था. अपने उस ट्वीट में इस पुलिस अधिकारी ने 2002 के गुजरात दंगों पर पीएम नरेंद्र मोदी के एक NDTV इंटरव्‍यू का हवाला दिया था जिसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह "एक पिल्ला भी कार के नीचे आता है तो उन्‍हें दु:ख होता है." इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अशरफ ने ट्वीट किया था: "2002 के दंगों पर नरेंद्र मोदी की पिल्ला वाली तुलना उनके वास्तविक चरित्र ... परपीड़ाअभिलाषी" को दर्शाता है. पुराना ट्वीट मंगलवार को चर्चा  आया क्योंकि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक 26 वर्षीय महिला फोटो जर्नलिस्ट पर उसके सोशल मीडिया पोस्ट्स के लिए कठोर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आरोपित किया. 2014 में पार्टी के सत्ता में आने से पहले भाजपा और हिंदुत्व के बारे में उनके विवादित ट्वीट्स के लिए अधिकारी को आलोचना का शिकार भी बनना पड़ा था.

गौरतलब है कि मंगलवार को, फोटो जर्नलिस्ट मसर्रत ज़हरा को पुलिस के साइबर सेल द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया गया था यह सेल अशरफ को रिपोर्ट करता है. इस फोटो जर्नलिस्‍ट को अपने सोशल मीडिया पोस्ट्स के लिए सख्त आतंकवाद-रोधी कानून UAPA के तहत आरोपित किया गया है, जिसे पुलिस "राष्ट्र-विरोधी" कहती है. चूंकि केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म कर दिया था और पिछले साल अगस्त में इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया था, ऐसे में श्रीनगर में काम करने वाले कई पत्रकारों को पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया है.

इस हफ्ते की शुरुआत में, श्री अशरफ ने एक कहानी पर सवाल करने के लिए एक अंग्रेजी अखबार के संवादादाता पीरज़ादा आशिक को भी पूछताछ के लिए बुलाया था. इस पत्रकार को बाद में जांच में शामिल होने के लिए अनंतनाग जिले में जाने के लिए कहा गया. पुलिस का कहना है कि "फर्जी" समाचार रिपोर्ट के बारे में एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन श्री आशिक या अखबार का नाम एफआईआर में नहीं है. पत्रकार समूहों का कहना है कि कश्मीर में पत्रकारों के उत्पीड़न का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता का हनन है और मांग की है कि उनके खिलाफ मामले वापस ले लिए जाएं. एक बयान में, मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों की धमकी को रोकने का आग्रह किया.

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