
महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)
श्रीनगर:
पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के कयास लगाए जाने को कायम रखते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह तभी जाकर कोई फैसला करेगी, जब बीजेपी गठबंधन के उद्देश्य को इसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने का उसे विश्वास दिलाएगी। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक भी की।
इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सरकार गठन में देर करने को लेकर पीडीपी की आलोचना करते हुए उसे बीजेपी के साथ गठबंधन पर शीघ्र ही हां या, ना करने को कहा। पीडीपी ने हालांकि राज्य में नए सिरे से चुनाव कराए जाने को पूर्वधारणा करार दिया। राज्य में 8 जनवरी से राज्यपाल शासन लागू है, जिसे मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद लगाया गया था।
अपने दिवंगत पिता की उत्तराधिकारी के तौर पर देखी जा रहीं महबूबा ने सरकार गठन पर एवं शांति तथा विकास के मुफ्ती की दूरदृष्टि को आगे बढ़ाने के तरीकों के बारे में पार्टी नेताओं के साथ चार घंटे लंबी बैठक की, जिनमें सांसद, विधायक, क्षेत्रीय अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख शामिल थे। बीजेपी के साथ गठजोड़ का खुलकर विरोध कर रहे सांसद तारिक कारा बैठक में मौजूद नहीं थे।
पार्टी नेता नईम अख्तर ने बताया कि सरकार का गठन नहीं अटका है, लेकिन यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो आगे बढ़ेगी। बैठक का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि महबूबा को पार्टी ने सरकार गठन पर फैसला करने के लिए पहले ही अधिकृत कर दिया है। उन्होंने बताया कि महबूबा ने बैठक में कहा कि वह तभी जाकर कोई फैसला करेंगी, जब उन्हें विश्वास दिला दिया जाएगा कि गठबंधन के उद्देश्य को उसके तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाएगा। यह गठबंधन मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ किया था।
पीडीपी प्रमुख ने कहा कि उसका (गठबंधन का) उद्देश्य सरकार गठन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे जम्मू-कश्मीर को संकट से निकालना है। महबूबा ने अपने आवास पर हुई बैठक में कहा कि मुफ्ती के लिए गठजोड़ विश्वास पर आधारित था, जो राज्य के लोगों को वास्तविक राहत में तब्दील हो सके, जो आखिरकार राष्ट्रीय हित की पूर्ति करेगा और भारत एवं पाकिस्तान के बीच उपमहाद्वीप में शांति लाएगा।
इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सरकार गठन में देर करने को लेकर पीडीपी की आलोचना करते हुए उसे बीजेपी के साथ गठबंधन पर शीघ्र ही हां या, ना करने को कहा। पीडीपी ने हालांकि राज्य में नए सिरे से चुनाव कराए जाने को पूर्वधारणा करार दिया। राज्य में 8 जनवरी से राज्यपाल शासन लागू है, जिसे मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद लगाया गया था।
अपने दिवंगत पिता की उत्तराधिकारी के तौर पर देखी जा रहीं महबूबा ने सरकार गठन पर एवं शांति तथा विकास के मुफ्ती की दूरदृष्टि को आगे बढ़ाने के तरीकों के बारे में पार्टी नेताओं के साथ चार घंटे लंबी बैठक की, जिनमें सांसद, विधायक, क्षेत्रीय अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख शामिल थे। बीजेपी के साथ गठजोड़ का खुलकर विरोध कर रहे सांसद तारिक कारा बैठक में मौजूद नहीं थे।
पार्टी नेता नईम अख्तर ने बताया कि सरकार का गठन नहीं अटका है, लेकिन यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो आगे बढ़ेगी। बैठक का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि महबूबा को पार्टी ने सरकार गठन पर फैसला करने के लिए पहले ही अधिकृत कर दिया है। उन्होंने बताया कि महबूबा ने बैठक में कहा कि वह तभी जाकर कोई फैसला करेंगी, जब उन्हें विश्वास दिला दिया जाएगा कि गठबंधन के उद्देश्य को उसके तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाएगा। यह गठबंधन मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ किया था।
पीडीपी प्रमुख ने कहा कि उसका (गठबंधन का) उद्देश्य सरकार गठन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे जम्मू-कश्मीर को संकट से निकालना है। महबूबा ने अपने आवास पर हुई बैठक में कहा कि मुफ्ती के लिए गठजोड़ विश्वास पर आधारित था, जो राज्य के लोगों को वास्तविक राहत में तब्दील हो सके, जो आखिरकार राष्ट्रीय हित की पूर्ति करेगा और भारत एवं पाकिस्तान के बीच उपमहाद्वीप में शांति लाएगा।
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