विज्ञापन
This Article is From Aug 31, 2017

निजी क्षेत्र द्वारा तैयार पहले सैटेलाइट की ISRO द्वारा लॉन्चिंग रही नाकामयाब

बताया जा रहा है कि सैटेलाइट से हीटशील्ड अलग नहीं हुई और पीएसएलवी का लॉन्य बेकार गया. बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी ने 'नाविक' श्रृंखला का एक उपग्रह बनाया है. जिससे देशी जीपीएस की क्षमता बढ़ेगी.

निजी क्षेत्र द्वारा तैयार पहले सैटेलाइट की ISRO द्वारा लॉन्चिंग रही नाकामयाब
इसरो द्वारा छोड़ा गया सैटेलाइट.
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) एक बार फिर एक बड़ी छलांग की कोशिश की जो नाकामयाब रही. इस बार एक ऐसे सैटेलाइट को लॉन्च किया गया जिसे पूरी तरह से देश के निजी क्षेत्र ने मिलकर तैयार किया था. इसरो का  यह प्रयास विफल रहा. इसरो ने इस बार 41वां सैटेलाइट भेजने की तैयारी की थी, लेकिन यह विफल रही. बताया जा रहा है कि सैटेलाइट से हीटशील्ड अलग नहीं हुई और पीएसएलवी का लॉन्य बेकार गया. बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी ने 'नाविक' श्रृंखला का एक उपग्रह बनाया है. जिससे देशी जीपीएस की क्षमता बढ़ेगी.

पढ़ें: भारत को पहला उपग्रह 'आर्यभट्ट' देने वाले वैज्ञानिक यूआर राव नहीं रहे, जानें उनकी उपलब्धियों के बारे मेें

बीते तीन दशकों में इसरो के लिए यह पहला मौका है जब उसने नेविगशन सैटेलाइट बनाने का मौका निजी क्षेत्र को दिया गया. इसरो प्रमुख एएस किरण कुमार ने बताया कि हमने सैटेलाइट जोड़ने में निजी संस्थानों की मदद ली है.
 
isro private satellite launch
(इसरो द्वारा छोड़ा गया निजी क्षेत्र का सैटेलाइट)

इसके लिए रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने वाले बेंगलुरु के अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी को पहला मौका मिला. 70 इंजीनियरों ने कड़ी मेहनत के बाद इस सैटेलाइट को तैयार किया.

70 वैज्ञानिकों के दल इस सैटेलाइट को तैयार किया है
isro satellite

अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी दो सैटेलाइट्स तैयार कर रही है. यह सैटलाइट भारत के देशी जीपीएस सिस्टम का आठवां सदस्य होगा. कर्नल एचएस शंकर इंजीनियरों की इस टीम के मुखिया हैं. उन्होंने बताया कि इस सैटेलाइट को विदेशों में बनने वाले किसी भी सैटेलाइट की लागत के मुकाबले लगभग एकतिहाई से भी कम दाम में इसे तैयार किया है. 

FBLIVE:  एनडीटीवी के साइंट एडिटर पल्लव बागला का इस मिशन पर एक आकलन
 
आईआरएनएसएस-1एच के प्रक्षेपण को गुरुवार की शाम अंतरीक्ष में स्थापित किया जाएगा. इसके लिए बुधवार से ही 29 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉंच पैड से शाम सात बजे इसका प्रक्षेपण किया गया.

IRNSS-1H नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1ए की जगह लेगा, जिसकी तीन रूबीडियम परमाणु घड़ियों (एटॉमिक क्लॉक) ने काम करना बंद कर दिया था. IRNSS-1ए ‘नाविक’श्रृंखला के सात उपग्रहों में शामिल हैं. भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली है, जिसे भारत ने अमेरिका के जीपीएस की तर्ज पर विकसित किया है. 1,420 करोड़ रुपये लागत वाला भारतीय उपग्रह नौवहन प्रणाली, नाविक में नौ उपग्रह शामिल हैं, जिसमें सात कक्षा में और दो विकल्प के रूप में हैं. एक विकल्प में IRNSS-1H है. यह सैटलाइट 1,400 किलोग्राम से ज्यादा वजनी है.  

VIDEO: इसरो एक और बड़ी छलांग के लिए तैयार
इसरो के अनुसार, 'नाविक' मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए संभावित क्षेत्र में पहुंचने में मददगार साबित होगा. वह मछुआरों को खराब मौसम, ऊंची लहरों और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास पहुंचने से पहले सतर्क होने का संदेश देगा. यह सेवा स्मार्टफोन पर एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के द्वारा उपलब्ध होगी.

बता दें कि स्वदेशी जीपीएस सिस्टम में 7 उपग्रह काम कर रहे हैं, जिनमें से एक ने काम करना बंद कर दिया है. इसरो इस नाकाम उपग्रह के स्थान पर नए उपग्रह को स्थापित करेगा. भारत 104 सैटलाइट्स एकसाथ छोड़कर विश्व रिकॉर्ड बना चुका है. मंगल यान को बेहद कम लागत में मंगल ग्रह पर भेजने का कीर्तिमान भी इसरो ने कायम किया है. निजी क्षेत्र द्वारा सैटलाइट तैयार करना भारत के अंतरिक्ष विभाग की बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
जम्मू कश्मीर चुनाव को लेकर महिलाओं में कैसा उत्‍साह... जानें किस पार्टी के उम्‍मीदवार सबसे ज्‍यादा अमीर?
निजी क्षेत्र द्वारा तैयार पहले सैटेलाइट की ISRO द्वारा लॉन्चिंग रही नाकामयाब
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Next Article
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com