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This Article is From May 29, 2021

IMA ने कहा, एलोपैथी पर बहस करने की बाबा रामदेव की चुनौती स्वीकार, लेकिन एक शर्त है... 

IMA उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. अजय खन्ना ने एक बयान में योग गुरु रामदेव (Yoga guru Ramdev) के बयान को गैरजिम्मेदाराना और स्वार्थपूर्ण ठहराया है.

IMA ने कहा, एलोपैथी पर बहस करने की बाबा रामदेव की चुनौती स्वीकार, लेकिन एक शर्त है... 
IMA ने पिछले हफ्ते Ramdev को लीगल नोटिस भेजा था.(फाइल)
देहरादून:

योग गुरु रामदेव के एलोपैथी को लेकर दिए गए विवादित बयान और वैज्ञानिक चिकित्सा प्रक्रिया पर सवाल उठाए जाने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की उत्तराखंड इकाई (Indian Medical Association (IMA) ने उन्हें सार्वजनिक मंच पर मीडिया के सामने खुली बहस की चुनौती दी थी. आईएमए उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. अजय खन्ना ने एक बयान में योग गुरु रामदेव (Yoga guru Ramdev) के बयान को गैरजिम्मेदाराना और स्वार्थपूर्ण ठहराया है. IMA की कई और शाखाओं ने भी रामदेव को मानहानि का नोटिस भेजा है.रामदेव का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने एलोपैथी को बेवकूफी भरा बताया था.

खन्ना ने रामदेव को संबोधित पत्र में कहा, आईएमए उत्तराखंड आपको सूचित करता है कि आप पतंजलि योगपीठ के पंजीकृत आयुर्वेदाचार्यों की एक टीम गठित करें, जो आईएमए के डॉक्टरों के साथ आमने-सामने बहस करें. आईएमए उत्तराखंड ने एक ऐसी टीम पहले ही गठित कर ली है. इस संवाद का इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया द्वारा प्रसारण किया जाएगा. उन्हें इस परिचर्चा में भी शामिल किया जाएगा. पत्र में यह भी कहा गया है कि रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण भी इन आयुर्वेदाचार्यों की टीम में शामिल हो सकते हैं, लेकिन वे सिर्फ दर्शक की तरह होंगे. वे आईएमए की ओर से तय योग्यता के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं. 

आईएमए उत्तराखंड ने कहा, इस स्वस्थ परिचर्चा का समय और तिथि तय करने की जिम्मेदारी आप पर है. लेकिन उसकी जगह हम तय करेंगे. एसोसिएशन ने कहा, यह प्रस्ताव आपके ध्यानार्थ इसलिए हैं कि जल्द से जल्द गतिरोध दूर हो और आपके द्वारा पैदा किया गया भ्रम खत्म हो सके.  इससे एलोपैथी और आयुर्वेद के बीच एक सौहार्द्र का माहौल भी दोबारा बहाल किया जा सकेगा. आपके हालिया गैर जिम्मेदाराना बयानों और स्वार्थपूर्ण व्यवहार के कारण इसमें अड़चन पैदा हो गई थी.

आईएमए ने सोशल मीडिया पर उस वायरल वीडियो पर आपत्ति जताई थी, जिसमें रामदेव ने दावा किया है कि एलोपैथी ‘बेवकूफी भरा विज्ञान' है. रामदेव ने इस पर माफी मांगने के साथ 25 सवाल भी आईएमए से पूछे थे.उन्होंने कहा था कि कोरोना के इलाज के लिए स्वीकृत रेमडेसिविर, फेवीफ्लू और ऐसी अन्य दवाएं कोविड-19 मरीजों का इलाज करने में असफल रही हैं. रामदेव ने यह भी पूछा कि क्या दवा उद्योग के पास थायराइड, गठिया, अस्थमा और कोलाइटिस जैसी बीमारियों का स्थायी उपचार उपलब्ध है?

आईएमए की राष्ट्रीय इकाई ने कहा था, सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि टीके की दोनों खुराक लेने के बाद भी 10,000 डॉक्टरों की मौत हो गयी और एलोपैथिक दवाएं लेने के कारण लाखों लोगों की मौत हो गयी, जैसा कि पतंजलि प्रोडक्ट्स के मालिक रामदेव ने कहा है.'' हम आधुनिक चिकित्सा पेशेवरों के प्रतिनिधि कहना चाहते हैं कि हम अस्पतालों में आने वाले लाखों लोगों के उपचार में आईसीएमआर या राष्ट्रीय कार्यबल के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों तथा प्रोटोकॉलों का पालन करते हैं. अगर कोई दावा कर रहा है कि एलोपैथिक दवाओं से लोगों की जान गई तो यह मंत्रालय को चुनौती देने का प्रयास है जिसने हमें इलाज के लिए प्रोटोकॉल जारी किया.

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