राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सात सदस्यीय दल ने शनिवार को उस जगह का दौरा किया जहां पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए आरोपी कथित मुठभेड़ में मारे गए थे. इस बीच तेलंगाना पुलिस ने कहा कि उसने चारों आरोपियों के खिलाफ उनके साथ गए पुलिस वालों पर “हमला” करने का मामला दर्ज किया गया है. पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवालों के बीच मारे गए आरोपियों में से एक की पत्नी शनिवार को नारायणपेट जिले में स्थित अपने गांव में कुछ अन्य लोगों के साथ सड़क पर बैठ गई और चक्का जाम किया. उसका आरोप था कि उसके साथ नाइंसाफी हुई है.
मारे गए आरोपी चेन्नकेशावुलू की गर्भवती पत्नी रेणुका ने कहा, “...गलती करने पर कितने लोग जेल में हैं...उन्हें भी उसी तरह गोली मार दी जाना चाहिए जैसे इन्हें (महिला पशुचिकित्सक मामले के आरोपी) मारी गई...हम तब तक शवों को नहीं दफनाएंगे...”
एनएचआरसी का दल यहां से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित चट्टनपल्ली गांव पहुंचा जहां यह कथित मुठभेड़ हुई थी. यह मुठभेड़ स्थल उस जगह से थोड़ी ही दूर स्थित है जहां 27 नवंबर की रात पशु चिकित्सक से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या किए जाने के बाद उसका जला हुआ शव बरामद हुआ था. अधिकारियों ने कहा कि दल ने पोस्टमार्टम के बाद महबूबनगर के सरकारी अस्पताल में रखे गए आरोपियों के शव का भी निरीक्षण किया. आरोपियों के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी कराई गई. देश में मानवाधिकार की सर्वोच्च संस्था ने कहा था कि मुठभेड़ चिंता का विषय है और इसकी सावधानीपूर्वक जांच किए जाने की जरूरत है.
तेलंगाना एनकाउंटर में मारे गए चारों आरोपियों के खिलाफ पुलिस पर 'हमला' करने का मुकदमा दर्ज
एनएचआरसी ने कहा, “आयोग की राय है कि इस मामले की जांच बेहद सावधानीपूर्वक किए जाने की जरूरत है. इसी के अनुरूप, उसने अपने महानिदेशक (अन्वेषण) को तत्काल एक तथ्यान्वेषी दल मामले की जांच के लिए मौके पर भेजने को कहा है.” तेलंगाना उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वह चारों आरोपियों के शव नौ दिसंबर को रात आठ बजे तक सुरक्षित रखे. इससे पहले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर उनसे इस मामले में न्यायिक दखल का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया था कि यह न्यायेतर हत्या है. उच्च न्यायालय ने यह निर्देश भी दिया था कि पोस्टमार्टम का वीडियो उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपा जाए.
एनएचआरसी के तथ्यान्वेषी जांच शुरू करने के बीच पुलिस ने कहा कि उसने चारों आरोपियों के खिलाफ पुलिसकर्मियों पर ‘हमला' करने का मामला दर्ज किया गया है. आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (हत्या की कोशिश), धारा 176 और भारतीय शस्त्र कानून की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि चारों आरोपियों के साथ गए पुलिस दल के प्रभारी की शिकायत के आधार पर शुक्रवार को प्राथमिकी दर्ज की गई.
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साइबराबाद पुलिस ने बताया था कि दो आरोपियों ने उनके हथियार छीनकर उन पर गोलियां चलाईं और बाकी के आरोपियों ने पत्थर तथा डंडों से हमला किया जिसमें दो पुलिसकर्मी जख्मी हो गए. इसके बाद पुलिस को ‘‘जवाबी'' कार्रवाई करनी पड़ी. पुलिस पीड़िता का फोन बरामद करने के लिए आरोपियों को मौका-ए-वारदात पर लेकर गई थी.
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इस बीच कथित पुलिस मुठभेड़ में चारों आरोपियों के मारे जाने को लेकर यहां दूसरे दिन भी लोगों में खुशी का माहौल बरकरार है. महिलाओं के एक समूह ने यहां मुठभेड़ में आरोपियों के मारे जाने पर खुशी जताई तथा पुलिस और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की प्रशंसा में नारेबाजी की. पीड़िता के पिता ने शनिवार को कहा कि जिन आरोपियों ने उनकी बेटी के साथ राक्षसों से भी बदतर सलूक किया वे ऐसी ही सजा के हकदार थे जैसी पुलिस ने कार्रवाई की. उन्होंने एक बार फिर पुलिस और मुख्यमंत्री को पुलिस की कार्रवाई के लिए शुक्रिया कहा.
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इस बीच कांग्रेस विधायक दल के नेता एम भट्टी विक्रमार्क के नेतृत्व में पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां राज्यपाल तमिलसाई सुंदराराजन से शनिवार को मुलाकात की और इस बात के लिए पुलिस की शिकायत की कि उसने अधिकार क्षेत्र का हवाला देकर पीड़िता के परिवार की शिकायत दर्ज नहीं की थी. विक्रमार्क ने संवाददाताओं से कहा कि प्रदेश में हालात ऐसे हैं कि पुलिस तब तक शिकायत दर्ज नहीं करती जब तक वे (सत्ताधारी) टीआरएस या उसके पदाधिकारियों से जुड़े न हों या उनकी तरफ से फोन करके उन्हें ऐसा करने के लिए कहा जाए. इसकी वजह से तेलंगाना का बड़ा नुकसान हो रहा है. हम यह उनके (राज्यपाल के) संज्ञान में लाए.
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मामले में 20 और 26 साल की आयु के बीच के चारों आरोपियों को 29 नवंबर को गिरफ्तार किया गया. पुलिस की कार्रवाई को लेकर हालांकि राजनेताओं और महत्वपूर्ण लोगों की राय बंटी हुई है. कुछ का मानना है कि इससे जहां दोषियों को सख्त संदेश जाएगा तो वहीं अन्य पुलिस के दावे पर सवाल उठा रहे हैं और इसे “न्यायेत्तर हत्या” बताकर इसकी निंदा कर रहे हैं.
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना को लेकर शनिवार को कहा कि तालिबान शैली वाले न्याय से अदालतें अप्रासंगिक हो जाएंगी. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि तेलंगाना मुठभेड़ पर वाहवाही कर रहे लोगों से कहना चाहता हूं कि उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाने की बजाय खून का बदला खून का रास्ता अपनाने और तालिबान शैली वाले न्याय से अदालतें अप्रासंगिक हो जाएंगी.
केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा कि देश की महिलाएं पीड़ा और तनाव में हैं तथा न्याय की गुहार लगा रही हैं जिसे ध्यान में रखते हुए अदालतों में मामलों के तेजी से निपटारे पर निगरानी की कोई व्यवस्था बनाना बहुत महत्वपूर्ण है. प्रसाद ने कहा, ‘‘मैं प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) और अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों से आग्रह करूंगा कि अब इन मामलों के निपटारे पर निगरानी के लिए कोई तंत्र होना चाहिए ताकि विधि शासित गर्वित देश के रूप में भारत के कद को जल्द से जल्द बहाल किया जा सके.''
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश की महिलाएं तनाव और दबाव में हैं. वे न्याय की गुहार लगा रही हैं. जघन्य तथा अन्य अपराधों के लिए हमारे यहां 704 फास्ट ट्रैक अदालतें पहले ही हैं तथा हम पोक्सो और बलात्कार से जुड़े अपराधों के लिए 1123 विशेष फास्ट ट्रैक अदालत स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं.
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