अपने बिजली के मीटर लगे घर के बाहर राम किशोर।
आनंदपुर (उत्तर प्रदेश):
राम किशोर लंबे समय से अपने बेटे के लिए बहू की तलाश में लगे थे, लेकिन उनकी यह कोशिशें तब साकार हुईं जब इस वर्ष उनके गांव में बिजली आई। यूपी के आनंदपुर गांव के अपने एक कमरे की घर में बल्ब की रोशनी के नीचे बैठे राम किशोर के चेहरे पर अब मुस्कुराहट है। देश की राजधानी दिल्ली से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में इससे पहले तक बिजली नहीं थी और जिंदगी तमाम मुश्किलों से भरी हुई थी। आनंदपुर गांव में बिजली आने के बाद अपने घर में खुशी की मुद्रा में एक परिवार।
बहू के परिवार को मीटर देखने के लिए बुलाऊंगा
60 साल के श्रमिक राम किशोर अपने घर में बिजली कनेक्शन लगने के बाद गर्व से कहते हैं, 'मैं निजी तौर पर अपनी बहू के परिवार को यहां आकर बिजली का मीटर देखने का न्यौता दूंगा।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष अगस्त में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान 18,452 गांवों में बिजली लाने की घोषणा की थी, आनंदपुर इस महत्वाकांक्षी योजना से लाभान्वित होने वाला एक गांव है। पिछले साल सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश की 30 करोड़ की आबादी अभी भी बिजली की सुविधा से वंचित थी। यही नहीं, हमारे यहां प्रति व्यक्ति बिजली की खपत वैश्विक औसत की महज एक तिहाई है।
अब तक 7, 700 गांवों को ग्रिड से जोड़ा गया
लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त के अवसर पर पीएम ने कहा था कि इन ग्रामीणों को विकास की किरणों से वंचित रखा गया है। उन्होंने इस काम को 1000 दिन में पूरा करने का संकल्प दोहराते हुए कहा था कि देश इससे लिए 10 साल का इंतजार करने को तैयार नहीं है। इसके बावजूद चुनौती आसान नहीं थी। ऊर्जा मंत्रालय के लिए योजना चलाने वाले दिनेश अरोरा कहते हैं कि योजना के तहत ऐसे समुदायों को चिन्हित किया गया था तो देश के सुदूर इलाकों में रहते हैं। इनमें से कई गांवों तक तो सड़क मार्ग से पहुंच तक नहीं है या फिर ये हिंसा से प्रभावित हैं। अरोरा के दो इंजीनियरों को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था जबकि एक अन्य टीम को नदी से तैरकर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ा था। इन तमाम चुनौतियों के बावजूद पीएम की ओर से इस योजना की शुरुआत किए के बाद से अब तक 7, 700 गांवों को ग्रिड से जोड़ा जा चुका है।
बहू के परिवार को मीटर देखने के लिए बुलाऊंगा
60 साल के श्रमिक राम किशोर अपने घर में बिजली कनेक्शन लगने के बाद गर्व से कहते हैं, 'मैं निजी तौर पर अपनी बहू के परिवार को यहां आकर बिजली का मीटर देखने का न्यौता दूंगा।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष अगस्त में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान 18,452 गांवों में बिजली लाने की घोषणा की थी, आनंदपुर इस महत्वाकांक्षी योजना से लाभान्वित होने वाला एक गांव है। पिछले साल सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश की 30 करोड़ की आबादी अभी भी बिजली की सुविधा से वंचित थी। यही नहीं, हमारे यहां प्रति व्यक्ति बिजली की खपत वैश्विक औसत की महज एक तिहाई है।
गांव में बिजली न होने के कारण महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था।
अब तक 7, 700 गांवों को ग्रिड से जोड़ा गया
लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त के अवसर पर पीएम ने कहा था कि इन ग्रामीणों को विकास की किरणों से वंचित रखा गया है। उन्होंने इस काम को 1000 दिन में पूरा करने का संकल्प दोहराते हुए कहा था कि देश इससे लिए 10 साल का इंतजार करने को तैयार नहीं है। इसके बावजूद चुनौती आसान नहीं थी। ऊर्जा मंत्रालय के लिए योजना चलाने वाले दिनेश अरोरा कहते हैं कि योजना के तहत ऐसे समुदायों को चिन्हित किया गया था तो देश के सुदूर इलाकों में रहते हैं। इनमें से कई गांवों तक तो सड़क मार्ग से पहुंच तक नहीं है या फिर ये हिंसा से प्रभावित हैं। अरोरा के दो इंजीनियरों को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था जबकि एक अन्य टीम को नदी से तैरकर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ा था। इन तमाम चुनौतियों के बावजूद पीएम की ओर से इस योजना की शुरुआत किए के बाद से अब तक 7, 700 गांवों को ग्रिड से जोड़ा जा चुका है।
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