बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह.
नई दिल्ली:
राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के वर्चस्व के 65 साल के इतिहास को बीजेपी ने तोड़ दिया. मध्य प्रदेश के सम्पतिया उइके ने जैसे ही सदस्यता ग्रहण की बीजेपी के राज्यसभा में 58 सदस्य हो गए और वह कांग्रेस पार्टी के 57 सदस्यों से एक सदस्य की संख्या से आगे हो गई. नरेंद्र मोदी सरकार के मई 2014 में सत्ता में आने के बाद यह पहला मौका है जब राज्यसभा में भगवा पार्टी के सबसे ज्यादा सांसद हैं. वहीं, सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी बीजेपी 245 सीटों वाली राज्यसभा में बहुमत से अभी भी काफी पीछे हैं.
वैसे कांग्रेस पार्टी 2018 तक राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में रहती लेकिन उसके दो सदस्यों की मृत्यु के बाद इस साल उसके सदस्यों की संख्या कम हो गई. उइके का चुनाव निर्विरोध हो गया. वह केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के स्थान पर राज्यसभा पहुंचे हैं. दवे का निधन इसी साल मई में हो गया था.
अगले मंगलवार को राज्यसभा की 9 सीटों के चुनाव होने हैं. इनमें से 6 पश्चिम बंगाल से हैं और तीन गुजरात से हैं. इस चुनाव से बीजेपी की बढ़त पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बीजेपी को उम्मीद है कि वह दो सीटें गुजरात की जीत जाएगी और तीसरी सीट पर वह कांग्रेस के अहमद पटेल को जीतने नहीं देना चाहती.
यह भी पढ़ें : राज्यसभा चुनाव : अहमद पटेल ने NOTA की अनुमति देने पर सवाल उठाया
वहीं, बंगाल से दो कांग्रेस सांसदों का कार्यकाल समाप्त हुआ है. लेकिन पार्टी केवल एक ही सांसद को वापस राज्यसभा भेज पाएगी. वहीं ममता बनर्जी ने जिस प्रकार से विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है उससे साफ है कि पार्टी पांच सीटें आसानी से जीत लेगी.
बीजेपी को राज्यसभा में अगले साल काफी फायदा होने वाला है. यूपी की 9 में से आठ सीटों पर बीजेपी के जीतने की उम्मीद है क्योंकि बीजेपी ने हाल ही में राज्य में हुए चुनाव में बहुत बड़ी जीत हासिल की है. लोकसभा में पार्टी के बहुमत जरूर है लेकिन राज्यसभा में पार्टी को सहयोगी दलों की ओर बहुमत के लिए देखना पड़ता है. इसमें एआईएडीएमके और बीजद उनकी मदद करते हैं.
यह भी पढ़ें : सचिन तेंदुलकर और रेखा को राज्यसभा से क्यों न निकाला जाए : भड़के सपा नेता का बयान
बीजेपी को जेडीयू के साथ आने से लाभ मिल सकता है. जेडीयू के 10 सांसद राज्यसभा में हैं और पार्टी ने अभी तक केंद्र में साझा सरकार में शामिल होने का निर्णय नहीं लिया है. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पार्टी का जनाधार बढ़ रहा है और कई राज्यों में पार्टी की सरकार है इसलिए राज्यसभा में पार्टी सांसदों की संख्या बढ़ती जा रही है.
VIDEO : राज्यसभा चुनाव में नोटा का प्रयोग
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने माना कि यह एक प्रक्रिया है. वे कई राज्यों में जीत गए हैं और राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है. डीएमके नेता कनिमोई ने कहा कि वह उम्मीद करती हैं कि राज्यसभा में राज्य की पार्टियों की आवाज को सम्मान मिलेगा. वहीं जेटली ने कहा कि वह प्रयास करेंगे की राज्यसभा में ज्यादातर मुद्दों पर आम सहमति से काम हो न की वोट के जरिए.
वैसे कांग्रेस पार्टी 2018 तक राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में रहती लेकिन उसके दो सदस्यों की मृत्यु के बाद इस साल उसके सदस्यों की संख्या कम हो गई. उइके का चुनाव निर्विरोध हो गया. वह केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के स्थान पर राज्यसभा पहुंचे हैं. दवे का निधन इसी साल मई में हो गया था.
अगले मंगलवार को राज्यसभा की 9 सीटों के चुनाव होने हैं. इनमें से 6 पश्चिम बंगाल से हैं और तीन गुजरात से हैं. इस चुनाव से बीजेपी की बढ़त पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बीजेपी को उम्मीद है कि वह दो सीटें गुजरात की जीत जाएगी और तीसरी सीट पर वह कांग्रेस के अहमद पटेल को जीतने नहीं देना चाहती.
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वहीं, बंगाल से दो कांग्रेस सांसदों का कार्यकाल समाप्त हुआ है. लेकिन पार्टी केवल एक ही सांसद को वापस राज्यसभा भेज पाएगी. वहीं ममता बनर्जी ने जिस प्रकार से विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है उससे साफ है कि पार्टी पांच सीटें आसानी से जीत लेगी.
बीजेपी को राज्यसभा में अगले साल काफी फायदा होने वाला है. यूपी की 9 में से आठ सीटों पर बीजेपी के जीतने की उम्मीद है क्योंकि बीजेपी ने हाल ही में राज्य में हुए चुनाव में बहुत बड़ी जीत हासिल की है. लोकसभा में पार्टी के बहुमत जरूर है लेकिन राज्यसभा में पार्टी को सहयोगी दलों की ओर बहुमत के लिए देखना पड़ता है. इसमें एआईएडीएमके और बीजद उनकी मदद करते हैं.
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बीजेपी को जेडीयू के साथ आने से लाभ मिल सकता है. जेडीयू के 10 सांसद राज्यसभा में हैं और पार्टी ने अभी तक केंद्र में साझा सरकार में शामिल होने का निर्णय नहीं लिया है. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पार्टी का जनाधार बढ़ रहा है और कई राज्यों में पार्टी की सरकार है इसलिए राज्यसभा में पार्टी सांसदों की संख्या बढ़ती जा रही है.
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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने माना कि यह एक प्रक्रिया है. वे कई राज्यों में जीत गए हैं और राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है. डीएमके नेता कनिमोई ने कहा कि वह उम्मीद करती हैं कि राज्यसभा में राज्य की पार्टियों की आवाज को सम्मान मिलेगा. वहीं जेटली ने कहा कि वह प्रयास करेंगे की राज्यसभा में ज्यादातर मुद्दों पर आम सहमति से काम हो न की वोट के जरिए.
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