प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
रेलवे बजट को आम बजट में मिलाने की बात हो रही है और अगर ऐसा हुआ तो वित्त मंत्री अरुण जेटली नया समग्र बजट पेश करते समय नई रेल लाइनों व रेलगाड़ियों के बारे में लंबे चौड़े प्रस्ताव शायद नहीं पढ़ें और इससे संबंधित विवरणों को बजट पत्रों में अटैचमेंट के रूप में रखा जाएगा.
सरकार बजट से जुड़ी प्रक्रिया में आमूल चूल बदलाव पर काम कर रही है. इसके तहत वह बजट पेश करने की तारीख भी फरवरी के आखिरी कार्य दिवस की जगह जनवरी महीने के आखिर में करने का विचार कर रही है ताकि बजट पारित कराने से जुड़ी सारी प्रक्रिया नये वित्त वर्ष के प्रारंभ से पूर्व पूरी हो जाए. नया वित्त वर्ष एक अप्रैल से शुरू होता है.
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘बजट पेश करने की तारीख को पहले कर जनवरी के आखिर में करने का सुझाव है. डेटा से जुड़े कुछ मामले हैं. हम इस पर विचार कर रहे हैं.’ अधिकारी ने कहा कि अगर आम बजट पेश करने की तारीख एक महीने पहले कर जनवरी आखिर में की जाती है तो इससे प्रक्रिया चुस्त दुरूस्त होगी. अधिकारी ने कहा, ‘फिलहाल पूर्ण बजट मई तक पारित होता है, ज्यादातर खर्च वित्त वर्ष की तीसरी या चौथी तिमाही में होता है. अगर बजट जनवरी में हो जाता है तो, खर्च को चुस्त दुरूस्त किया जा सकेगा.
उल्लेखनीय है कि संविधान में बजट पेश करने की तारीख तय नहीं है लेकिन आमतौर पर इसे फरवरी के अंतिम कार्यदिवस को पेश किया जाता है. इसे संसदीय मंजूरी दिलवाने की दो स्तरीय प्रक्रिया के कारण यह मई मध्य तक पारित हो पाता है. रेल बजट को आम बजट में मिलाने के सवाल पर अधिकारी ने कहा कि अभी फैसला किया जाना है.
उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसा होता भी है तो वित्त मंत्री लोकसभा में अपने बजट भाषण में नई रेल लाइन बिछाने या नयी रेलगाड़ियों के बारे में प्रस्ताव नहीं पढ़ेंगे.’ अधिकारी ने कहा कि इसे बजट अटैचमेंट में रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अलग रेल बजट पेश करने की परंपरा को समाप्त करने का पक्ष लिया है. वे चाहते हैं कि इसे भी आम बजट में मिला दिया जाए.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सरकार बजट से जुड़ी प्रक्रिया में आमूल चूल बदलाव पर काम कर रही है. इसके तहत वह बजट पेश करने की तारीख भी फरवरी के आखिरी कार्य दिवस की जगह जनवरी महीने के आखिर में करने का विचार कर रही है ताकि बजट पारित कराने से जुड़ी सारी प्रक्रिया नये वित्त वर्ष के प्रारंभ से पूर्व पूरी हो जाए. नया वित्त वर्ष एक अप्रैल से शुरू होता है.
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘बजट पेश करने की तारीख को पहले कर जनवरी के आखिर में करने का सुझाव है. डेटा से जुड़े कुछ मामले हैं. हम इस पर विचार कर रहे हैं.’ अधिकारी ने कहा कि अगर आम बजट पेश करने की तारीख एक महीने पहले कर जनवरी आखिर में की जाती है तो इससे प्रक्रिया चुस्त दुरूस्त होगी. अधिकारी ने कहा, ‘फिलहाल पूर्ण बजट मई तक पारित होता है, ज्यादातर खर्च वित्त वर्ष की तीसरी या चौथी तिमाही में होता है. अगर बजट जनवरी में हो जाता है तो, खर्च को चुस्त दुरूस्त किया जा सकेगा.
उल्लेखनीय है कि संविधान में बजट पेश करने की तारीख तय नहीं है लेकिन आमतौर पर इसे फरवरी के अंतिम कार्यदिवस को पेश किया जाता है. इसे संसदीय मंजूरी दिलवाने की दो स्तरीय प्रक्रिया के कारण यह मई मध्य तक पारित हो पाता है. रेल बजट को आम बजट में मिलाने के सवाल पर अधिकारी ने कहा कि अभी फैसला किया जाना है.
उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसा होता भी है तो वित्त मंत्री लोकसभा में अपने बजट भाषण में नई रेल लाइन बिछाने या नयी रेलगाड़ियों के बारे में प्रस्ताव नहीं पढ़ेंगे.’ अधिकारी ने कहा कि इसे बजट अटैचमेंट में रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अलग रेल बजट पेश करने की परंपरा को समाप्त करने का पक्ष लिया है. वे चाहते हैं कि इसे भी आम बजट में मिला दिया जाए.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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