New Delhi:
महाराष्ट्र के एक कांग्रेस विधायक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई रोकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की गंभीर आलोचनाओं का शिकार हो चुके विलासराव देशमुख को शीर्ष अदालत के एक और न्यायाधीश ने आड़े हाथ लेते हुए सरकार में उनके बने रहने पर सवाल उठाए हैं। न्यायमूर्ति एके गांगुली ने शनिवार को मुंबई में एक व्याख्यान में कहा, यह दु:खद और चौंका देने वाली बात है कि सरकार कैसे इस तरह के मंत्रियों को बने रहने देती है और उन्हें प्रोत्साहित करती है। यही नहीं, सरकार उन्हें कैबिनेट दर्जा भी देती है। यह गरिमापूर्ण नहीं है। मैं इसे शर्मनाक कृत्य करार दूंगा। न्यायमूर्ति गांगुली और उच्चतम न्यायालय के एक अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी ने देशमुख की हाल ही में एक मामले में आलोचना की थी, क्योंकि जब वह मुख्यमंत्री पद पर थे, तब उन्होंने गरीब किसानों की कर्ज से जुड़ी शिकायत पर कांग्रेस के एक विधायक के परिवार को बचाने की कोशिश की थी। न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा, मुझे इस बारे में और कुछ नहीं कहना। मैं जो कहना चाहता था, वह मैंने कह दिया। मैं उससे इनकार नहीं कर रहा हूं। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में हुए हालिया फेरबदल से पहले देखमुख के पास भारी उद्योग मंत्रालय का प्रभार था। उन्हें अब ग्रामीण विकास मंत्रालय दिया गया है। न्यायमूर्ति गांगुली की यह टिप्पणी कर्ज देने वालों के हाथों गरीब किसानों का शोषण होने के मुद्दे की पृष्ठभूमि में आई। उन्होंने उस मामले का संदर्भ दिया जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देशमुख ने एक विधायक सहित कर्ज देने वालों को पुलिस कार्रवाई से बचाने की कोशिश की थी। न्यायमूर्ति गांगुली ने यह बात यहां आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में कही। उच्चतम न्यायालय ने 14 दिसम्बर के अपने आदेश में देशमुख के व्यवहार को दोषयुक्त और असंगत करार दिया था। शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र सरकार पर लगाए गए दंड की राशि 25,000 रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी थी। न्यायालय ने कहा था कि देशमुख का बर्ताव निंदनीय है, क्योंकि वह राजनीतिक कारणों के लिए सभी कानूनी मानदंडों से परे चले गए। उन्होंने ऐसा इस तथ्य के बावजूद किया कि विदर्भ क्षेत्र से किसानों के आत्महत्या करने के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। पीठ ने कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश इतने दोषयुक्त और असंगत थे कि हम इस बात से बेहद विचलित हैं और हम स्पष्ट शब्दों में इसकी निंदा करते हैं। शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देती राज्य सरकार की अपील खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया था। बंबई उच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया था कि देशमुख ने बुलढाना के कलेक्टर और खामगांव पुलिस थाने को यह कहकर कानून का उल्लंघन किया कि विधायक दिलीप कुमार सानंदा और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया जाए।
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