संसद में यशवंत सिन्हा।
नई दिल्ली:
विपक्षी पार्टियों ने देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर मंगलवार को सरकार पर हमला बोला। विपक्षियों ने कहा कि सरकार देश के वित्तीय मामलों पर नियंत्रण खो चुकी है और समय पूर्व चुनाव कराना बेहतर रहेगा।
विपक्षी नेताओं ने महंगाई, विकास दर में कमी और रुपये के अवमूल्यन का हवाला दिया और कहा कि सरकार की नीति से अनिश्चितता और निराशा पैदा हुई है।
देश की आर्थिक स्थिति पर एक बहस में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि सरकार का अर्थव्यवस्था पर से नियंत्रण समाप्त हो चुका है। इसलिए मौजूदा आर्थिक संकट से देश को बाहर निकालने के लिए सरकार को सत्ता से बाहर हो जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को ही देश की मुद्रा रुपया डॉलर के मुकाबले गिर कर 66 के नीचे नए ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया और शेयर बाजार के एक प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में भी करीब 600 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। उन्होंने कहा, "निर्णय प्रक्रिया का पंगु हो जाना असली समस्या है।" उन्होंने कहा, "यदि वित्तीय घाटा बढ़ेगा, तो महंगाई बढ़ेगी ही। वित्तीय घाटा बढ़ने का असर चालू खाता घाटा पर भी पड़ेगा। यह एक दुष्चक्र है।"
सिन्हा ने कहा, "हम इस सरकार को और बर्दाश्त नहीं कर सकते। अब हमें जनता के पास जाना चाहिए। अगर आपके पास हिम्मत है, तो जनता के पास चलिए। एक ही समाधान है, चलिए। जनता को फैसला करने दीजिए।"
बहस की शुरुआत करते हुए भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा, "सरकार की विवेकहीन नीतियों के कारण देश भयानक आपदा और आर्थिक सूनामी झेल रहा है।" उन्होंने कहा कि सरकार को इस निराशा, डर और अनिश्चितता की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
विपक्षी नेताओं ने महंगाई, विकास दर में कमी और रुपये के अवमूल्यन का हवाला दिया और कहा कि सरकार की नीति से अनिश्चितता और निराशा पैदा हुई है।
देश की आर्थिक स्थिति पर एक बहस में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि सरकार का अर्थव्यवस्था पर से नियंत्रण समाप्त हो चुका है। इसलिए मौजूदा आर्थिक संकट से देश को बाहर निकालने के लिए सरकार को सत्ता से बाहर हो जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को ही देश की मुद्रा रुपया डॉलर के मुकाबले गिर कर 66 के नीचे नए ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया और शेयर बाजार के एक प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में भी करीब 600 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। उन्होंने कहा, "निर्णय प्रक्रिया का पंगु हो जाना असली समस्या है।" उन्होंने कहा, "यदि वित्तीय घाटा बढ़ेगा, तो महंगाई बढ़ेगी ही। वित्तीय घाटा बढ़ने का असर चालू खाता घाटा पर भी पड़ेगा। यह एक दुष्चक्र है।"
सिन्हा ने कहा, "हम इस सरकार को और बर्दाश्त नहीं कर सकते। अब हमें जनता के पास जाना चाहिए। अगर आपके पास हिम्मत है, तो जनता के पास चलिए। एक ही समाधान है, चलिए। जनता को फैसला करने दीजिए।"
बहस की शुरुआत करते हुए भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा, "सरकार की विवेकहीन नीतियों के कारण देश भयानक आपदा और आर्थिक सूनामी झेल रहा है।" उन्होंने कहा कि सरकार को इस निराशा, डर और अनिश्चितता की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
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