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This Article is From Jul 27, 2016

CAG की रिपोर्ट में नौसैनिक फाइटर जेट मिग-29के में पाई गईं संचालनात्मक कमियां

CAG की रिपोर्ट में नौसैनिक फाइटर जेट मिग-29के में पाई गईं संचालनात्मक कमियां
  • भारत के पास फिलहाल करीब एक दर्जन मिग-29के सुपर सोनिक जेट हैं
  • सीएजी रिपोर्ट में मिग-29के के इंजन व फ्लाई-बाई-वायर में खामी बताई गई
  • एक समय में 10 में से सिर्फ 3 जेट ही इस्तेमाल किए जा सकते हैं
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नई दिल्ली: भारत का मुख्यधारा का नौसैनिक लड़ाकू विमान मिग-29के इंजन, एयरफ्रेम और फ्लाई-बाई-वायर प्रणाली में खामी की वजह से संचालनात्मक कमियों का सामना कर रहा है, जिसकी वजह से बेहद कम उपलब्धता है। शीर्ष सरकारी लेखाकार ने स्वदेशी विमान वाहक के निर्माण में विलंब के लिए आलोचना भी की।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने संसद में मंगलवार को पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा कि विमान को विसंगतियों के बावजूद तकनीकी तौर पर स्वीकार किया जा रहा है।

सीएजी ने कहा, 'मिग-29के जो अनेक भूमिकाएं निभाने में सक्षम विमान है और हवाई रक्षा बेड़े का अभिन्न हिस्सा वह एयरफ्रेम, आरडी एमके-33 इंजन और फ्लाई-बाई-वायर प्रणाली में समस्याओं से ग्रस्त है।' युद्धक विमानों की सर्विसेबिलिटी बेहद कम है। यह 15.93 फीसदी से 37.63 फीसदी तक है और मिग-29केयूबी की सर्विसेबिलिटी 21.30 प्रतिशत से 47.14 फीसदी तक है।

सर्विसेबिलिटी से आशय किसी समय में समूची क्षमता से संचालन के लिए उपलब्ध विमानों की संख्या से है। सीएजी ने कहा कि विशाखापत्तनम में आधारभूत संरचना का विस्तार 2009 में मंजूरी दिए जाने के छह साल बाद भी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के चरण में है।

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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