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This Article is From Aug 10, 2013

अशोक खेमका का दावा, रॉबर्ट वाड्रा ने जमीन के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया

आईएएस अधिकारी अशोक खोमका ने आरोप लगाया है कि वाड्रा ने गुड़गांव में 3.53 एकड़ जमीन के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया और वाणिज्यिक कॉलोनी के लाइसेंस पर बड़ा मुनाफा हासिल किया।
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चंडीगढ़: हरियाणा के गांव में रॉबर्ट वाड्रा का भूमि सौदा एक बार फिर कांग्रेस पार्टी और उसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए परेशानी का सबब बनता दिख रहा है।

आईएएस अधिकारी अशोक खोमका ने आरोप लगाया है कि वाड्रा ने गुड़गांव में 3.53 एकड़ जमीन के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया और वाणिज्यिक कॉलोनी के लाइसेंस पर बड़ा मुनाफा हासिल किया। समझा जाता है कि खेमका ने वाड्रा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गुड़गांव के शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन के लिए फर्जी लेनदेन किया।

खेमका ने आरोप लगाया कि वाड्रा ने वाणिज्यिक लाइसेंस पर बड़ी राशि प्राप्त की। आईएएस अधिकारी खेमका ने आरोप लगाया कि हरियाणा के शहरी एवं क्षेत्रीय योजना विभाग (डीटीसीपी) ने नियमों एवं नियमन को नजरंदाज करते हुए दलालों के रूप में काम करने से संबंधित सांठगांठ वाले पूंजीवादियों को फलने-फूलने की अनुमति दी। खेमका ने आरोप लगाया, डीटीसीपी की मदद से वाड्रा ने फर्जी लेनदेन किया।

खेमका ने 21 मई को अपना जवाब पेश किया था। इसमें कहा गया कि 12 फरवरी, 2008 के बिक्री के दोनों अनुबंध में वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज से जमीन खरीदी और मार्च, 2008 में डीटीसीपी की ओर से उनकी कंपनी को वाणिज्यिक लाइसेंस प्रदान करने के लिए जारी आशय पत्र फर्जी लेनदेन है, ताकि वाड्रा को बाजार से मुनाफा हासिल हो सके।

समझा जाता है कि खेमका ने 100 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि कोई राशि का भुगतान नहीं किया गया, जैसा कि पंजीकृत दस्तावेज में दावा किया गया। इस दस्तावेज में बिक्री के पंजीकरण को सही अर्थों में कानूनी या नैतिक रूप में बिक्री नहीं कहा जा सकता और यह नहीं कहा जा सकता कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी दस्तावेज में बिक्री के पंजीकरण के माध्यम से जमीन का मालिक हो गया। खेमका का जवाब सार्वजनिक होने पर, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने पीटीआई से कहा, वह इस मुद्दे पर मीडिया में कुछ नहीं कहेंगे।

हरियाणा के मुख्य सचिव पीके चौधरी ने कहा, हम जवाब (खेमका के) की पड़ताल कर रहे हैं। हरियाणा सरकार की समिति ने इस वर्ष के प्रारंभ में कहा था कि वाड्रा से जुड़े भूमि सौदों की जांच के लिए खेमका की ओर से जारी आदेश नियमों या प्रावधानों के दायरे में नहीं आते हैं और उपयुक्त नहीं हैं। इसके साथ ही समिति ने यह भी कहा था कि खेमका का जमीन का म्यूटेशन रद्द करने का आदेश उपयुक्त नहीं है।

(चित्र परिचय : आईएएएस अफसर अशोक खेमका की फाइल तस्वीर)

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