चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दलों को 2000 रुपये तक की कमाई के स्रोत को सार्वजनिक करना चाहिए.
नई दिल्ली:
देश में राजनीतिक दलों की कमाई पर नेशनल इलेक्शन वॉच की ताजा रिपोर्ट ने एक नई बहस छेड़ दी है. बुधवार को चुनाव आयोग ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को 2000 रुपये तक की कमाई के स्रोत को सार्वजनिक करना चाहिए. फिलहाल 20,000 तक की कमाई का स्रोत नहीं बताने की छूट है.
मंगलवार को जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 2004-05 से 2014-15 के बीच राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के पास कुल 11,367.34 करोड़ रुपये आए. इसमें से 69% रकम अनजान स्रोतों से आई. अब चुनाव आयोग ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 29 (सी) में संशोधन की जरूरत है.
चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार, एसके मेंदीरत्ता ने एनडीटीवी से कहा, "कानून में कमी है. चुनाव आयोग ने सिफारिश की है कि 20000 रुपये से कम की कमाई के स्रोत का खुलासा करने की सीमा घटाकर 2000 की जाए. इसके लिए कानून में संशोधन करना होगा."
इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट से उठे सवालों पर फिलहाल राजनीतिक दल संभलकर जवाब दे रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एनडीटीवी से कहा, "हर दल को पारदर्शी होना चाहिए. लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जो कुछ भी कार्रवाई कर सकते हैं अच्छी नियत से करना चाहिए."
चुनाव आयोग ने साफ शब्दों में कहा है कि देश में पॉलिटिकल फंडिंग की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए मौजूदा जन प्रतिनिधित्व कानून में अहम संशोधन का सवाल उठाया है. लेकिन सवाल है कि क्या राजनीतिक दलों में इस पर राजनीतिक सहमति बन पाएगी?
मंगलवार को जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 2004-05 से 2014-15 के बीच राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के पास कुल 11,367.34 करोड़ रुपये आए. इसमें से 69% रकम अनजान स्रोतों से आई. अब चुनाव आयोग ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 29 (सी) में संशोधन की जरूरत है.
चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार, एसके मेंदीरत्ता ने एनडीटीवी से कहा, "कानून में कमी है. चुनाव आयोग ने सिफारिश की है कि 20000 रुपये से कम की कमाई के स्रोत का खुलासा करने की सीमा घटाकर 2000 की जाए. इसके लिए कानून में संशोधन करना होगा."
इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट से उठे सवालों पर फिलहाल राजनीतिक दल संभलकर जवाब दे रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एनडीटीवी से कहा, "हर दल को पारदर्शी होना चाहिए. लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जो कुछ भी कार्रवाई कर सकते हैं अच्छी नियत से करना चाहिए."
चुनाव आयोग ने साफ शब्दों में कहा है कि देश में पॉलिटिकल फंडिंग की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए मौजूदा जन प्रतिनिधित्व कानून में अहम संशोधन का सवाल उठाया है. लेकिन सवाल है कि क्या राजनीतिक दलों में इस पर राजनीतिक सहमति बन पाएगी?
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