
Muharram Day of Ashura: मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है. हालांकि, मुसलमानों के लिए ये महिना सबसे पवित्र होता है. मुसलमान समुदाय के लिए यह महीना बेहद ही पाक होता है और इसे गम के महीने के तौर पर मनाया जाता है. शिया मुसलमानों के लिए ये महीना खास महत्व रखता है. वैसे तो इस पूरे महीने को ही खास माना जाता है लेकिन इस महीने का 10वां दिन सबसे अधिक खास होता है, जिसे रोज-ए-अशुरा कहते हैं. इस दिन को मुस्लिम समुदाय मोहम्मद हुसैन के नाती हुसैन की शहादत के तौर पर मनाता है.
अशुरा का दिन (Muharram Day of Ashura 2020)
जैसा कि हमने आपको बताया कि मुहर्रम का महीना इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है. इस महीने के 10वें दिन को रोज-ए-अशुरा कहा जाता है. इस साल अशूरा का यह दिन 29 या फिर 30 अगस्त को है. यहां आपको बता दें कि इस्लामिक और ग्रेगोरियन कैलेंडर की तारीखें आपस में मेल नहीं खाती हैं. एक ओर जहां इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित है तो वहीं दूसरी ओर ग्रैगोरियन कैलेंडर में तारीखें सूर्य के उदय और अस्त होने के आधार पर तय की जाती है.
अशूरा का महत्व (Importance of Ashura)
दरअसल, मुहर्रम शब्द का अर्थ निषिद्ध होता है. मुहर्रम सुन्नी और शिया दोनों ही मुस्लिम समुदाय मनाते हैं लेकिन दोनों ही इसे अलग-अलग तरीके से मनाते हैं. शिया समुदाय के लोगों को मुहर्रम के महीने में 1 से 9 तारीख तक रोजा रखने की छूट होती है. शिया उलेमा के मुताबिक मुहर्रम के 10वें दिन रोजा रखना हराम होता है. वहीं सुन्नी समुदाय इस महीने की 9 और 10 तारीख को रोजा रखते हैं.
वहीं, शिया मुसलमान इस दिन जुलूस में हिस्सा लेते हैं और इमाम हुसैन के ताजिया को ले जाते हैं. हुसैन इब्न अली (इमाम हुसैन) ने कर्बला (आधुनिक इराक की एक जगह) की लड़ाई में सिर कलम कर दिया था और उनकी याद में इस महीने के 10वें दिन जुलूस निकाला जाता है. शिया समुदाय में ये सिलसिला पूरे 2 महीने और 8 दिनों तक चलता है. मुहर्रम का चांद दिखाई देने के बाद शिया महिलाएं और लड़कियां अपनी चूड़ियां तोड़ देती हैं. साथ ही वो श्रंगार की चीजों से 2 महीने 8 दिनों के लिए दूरी बना लेती हैं. मुहर्रम के महीने में शिया समुदाय के लोग किसी तरह की खुशी नहीं मनाते हैं न ही उनके घरों में 2 महीने 8 दिनों के लिए कोई शादी होती है. साथ ही वो किसी अन्य के यहां खुशी के मौके पर शामिल भी नहीं होते हैं.
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