पश्चिम बंगाल की राजनीति में अब तक मुख्य धारा से दूर रही भाजपा ने अभी अभी संपन्न लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया है और पार्टी की नजर राज्य के राजनीतिक समीकरणों को बदलने पर है।
पार्टी ने केवल दो महत्वपूर्ण दार्जिलिंग और आसनसोल सीट पर जीत ही नहीं हासिल की बल्कि तीन अन्य सीट कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्तर और मालदा दक्षिण में दूसरे स्थान पर रही।
कुल मिलाकर पार्टी को यहां पर 17 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिला, जो अब तक का श्रेष्ठ प्रदर्शन है। इससे पहले 1991 में 13 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ था।
2009 लोकसभा चुनावों में पार्टी को 6.15 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था। पार्टी ने एक समय पश्चिम बंगाल की बड़ी ताकत वाम मोर्चे के वोट आधार में सेंध लगाकर तीसरा स्थान हासिल किया है।
पार्टी का राज्य और केंद्रीय नेतृत्व 2016 विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के साथ निकट की लड़ाई के लिए अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर भाजपा यही रफ्तार बरकरार रखती है तो पार्टी राज्य में चार दशक पुराने राजनीतिक समीकरणों में उलटफेर कर सकती है।
बंगाल प्रभारी भाजपा प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, 'पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मुझे कहा है कि राज्य में 2016 विधानसभा चुनावों को नजर में रखते हुए इस प्रदर्शन को मजबूती देना चाहिए। अगला विधानसभा चुनाव ममता और भाजपा के बीच होगा।'
राज्य में भाजपा के बेहतर परिणाम को आकार देने वालों में से एक सिंह को लगता है कि वाम की विश्वसनीय विपक्षी ताकत की गैर-मौजूदगी में ममता विरोधी वोट भाजपा के खाते में जाएगा। माकपा नीत वाम मोर्चा बंगाल में राजनीतिक मौजूदगी का भी संकट झेल रहा है।
पिछले लोकसभा में पार्टी को जहां 43.66 प्रतिशत वोट मिला था, वहीं 2014 लोकसभा चुनाव में यह घटकर 29 प्रतिशत पर आ गया। भाजपा ने पार्टी के वोट आधार में सबसे ज्यादा सेंध लगाई है।
2011 विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा और आरएसएस बंगाल में खासकर राज्य के ग्रामीण इलाके में पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है और पिछले तीन साल में कई उपचुनावों और नगर निगम चुनावों में यह नजर भी आया है।
चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के बनर्जी पर हमले से भाजपा को ममता विरोधी वोट बटोरने में मदद मिली।
राजनीतिक विश्लेषक उदयन बंदोपाध्याय ने कहा कि दूसरे राज्यों की तरह ही बंगाल में मोदी के पक्ष में या उनको वोट नहीं देने का रूख रहा है। अगर मोदी को वोट नहीं देने वाले वोट आधार में ममता ने बड़ी हिस्सेदारी हासिल की तो भाजपा ने मोदी को समर्थन देने वाला वोट तो हासिल किया ही वाम के क्षेत्र में ममता विरोधी वोट भी प्राप्त किया। भाजपा की उम्मीदों को इस तथ्य से भी पंख लग रहा है कि पार्टी राज्य में 42 संसदीय क्षेत्रों में से 29 सीट पर तीसरे स्थान पर रही।
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