वाराणसी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को संवेदनशील बेनिया बाग मैदान में रैली की अनुमति न देने को लेकर बीजेपी भले वाराणसी के जिलाधिकारी प्रांजल यादव की आलोचना कर रही हो, लेकिन प्रांजल अब भी स्थानीय लोगों के चहेते हैं।
वाराणसी से पहले प्रांजल आजमगढ़ के जिलाधिकारी थे। आईआईटी रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियर, 34-वर्षीय प्रांजल 2006 बैच के आईएएस अफसर हैं। वह अपने आधिकारिक भवन में पत्नी और एक बेटी के साथ रहते हैं।
बीजेपी के आरोपों के बावजूद वाराणसी की जनता मजबूती से प्रांजल के समर्थन में है। यहां तक कि कुछ बीजेपी कार्यकर्ता भी प्रांजल के लिए अच्छे विचार रखते हैं।
प्रांजल की सलाह पर सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए निर्वाचन आयोग ने शहर में मोदी की रैली को अनुमति नहीं दी थी। इस फैसले पर भाजपा ने आपत्ति जताई थी और पक्षपात का आरोप लगाया था।
गोदौलिया इलाके में एक साइबर कैफे चलाने वाले सुनील चौरसिया ने बताया, उन्होंने अतिक्रमण को काफी सख्ती से संभाला। यहां तक कि उन्होंने राजनेताओं और अन्य दिग्गजों को भी नहीं छोड़ा। सुनील ने वाराणसी की बेहतर सड़कों का श्रेय भी प्रांजल को दिया। छावनी क्षेत्र में अधिकारी के एक सहयोगी ने कहा, वह एक अच्छे इंसान हैं। उनका मिशन लोगों के लिए अच्छे काम करना है।
प्रांजल ने अभी तक मीडिया में कोई टिप्पणी नहीं की है। उनके सहयोगी ने बताया कि वह मीडिया को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने बताया, उनके व्यक्तिगत जीवन पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। उन्हें यह पसंद नहीं। बीजेपी ने कहा था कि प्रांजल समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता रामगोपाल यादव के रिश्तेदार हैं। हालांकि रामगोपाल ने अधिकारी के साथ किसी भी पारिवारिक संबंध से इनकार किया है।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्र श्रीनिवास ने बताया, जिलाधिकारी ने गंगा के तटों की सुरक्षा के लिए रूपरेखा बनाई है। आईएएनएस को बताया गया कि प्रांजल ने गंगा घाटों की समस्याएं दूर करने के लिए 2013 में एक समिति गठित की थी। एक बीजेपी कार्यकर्ता कृष्णेंदु ने बताया कि सामान्य तौर पर उनकी पार्टी को जिले में हर रैली के लिए प्रशासन का सहयोग मिला है। उन्होंने कहा, प्रशासन के सहयोग के बिना इतनी भीड़ का संभालना मुश्किल है।
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