लोकसभा में हर तीसरा नवनिर्वाचित सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि वाला है। इस आशय का खुलासा सांसदों द्वारा भरे गए शपथ पत्र के आधार पर हुआ है।
नेशनल इलेक्शन वाच (एनईडब्ल्यू) और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने 543 में 541 सदस्यों के शपथ पत्र के विश्लेषण के आधार पर कहा है कि 186 या 34 प्रतिशत नवनिर्वाचित सांसदों ने अपने शपथ पत्र में खुलासा किया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले हैं।
2009 में 30 प्रतिशत लोकसभा सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले थे। इसमें अब चार प्रतिशत की वृद्धि हो गई है।
एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक 2014 के चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले एक प्रत्याशी के जीतने की संभावना 13 प्रतिशत रही, जबकि साफ छवि के प्रत्याशियों के मामले में यह पांच प्रतिशत रही।
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 186 नए सांसदों में से 112 (21) ने अपने खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध आदि जैसे गंभीर आपराधिक मामले होने की घोषणा की है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि झारखंड के जमशेदपुर से विजयी रहे भाजपा प्रत्याशी और महाराष्ट्र के सतारा से विजयी रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रत्याशी के शपथ पत्रों का विश्लेषण नहीं हो पाया है क्योंकि निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर दिए गए उनके शपथ पत्र अधूरे-अस्पष्ट मिले हैं।
पार्टी वार विश्लेषण में सबसे ज्यादा सदस्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं। पार्टी के 281 सदस्यों में से 98 या 35 प्रतिशत ने अपने शपथ पत्र में आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। भाजपा ने 282 सीटें जीती हैं।
कांग्रेस के 44 में से 8 (18 प्रतिशत), एआईएडीएमके के 37 में से 6 (16 प्रतिशत), शिवसेना के 18 में से 15 (83 प्रतिशत) और तृणमूल के 34 विजेताओं में से 7 (21 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले दर्ज होने का खुलासा किया है।
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