जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के छोटे भाई सैयद याहिया बुखारी ने कांग्रेस को 'सबसे ज्यादा साम्प्रदायिक पार्टी' करार देते हुए सत्तारूढ़ पार्टी का समर्थन करने के किसी फैसले का गुरुवार को विरोध किया।
उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी को समर्थन करने के जामा मस्जिद के शाही इमाम के फैसले का मैं पूरी तरह से विरोध करता हूं और इसका कारण यह है कि यदि आप देश में ईमानदारी से किसी मुसलमान से पूछें तो मेरा मानना है कि कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा साम्प्रदायिक पार्टी बताया जाएगा।'
सैयद याहिया ने कहा, 'मुसलमान कहते हैं कि भाजपा साम्प्रदायिक पार्टी है, हां है। लेकिन भाजपा अल्पसंख्यकों पर हमले करती है, यह सामने से वार करती है, मुसलमान खुद को बचा लेते हैं लेकिन कांग्रेस ने हमेशा ही उनकी पीठ में छुरा घोंपा है।'
उन्होंने भाजपा को भी नहीं बख्शा और इस भगवा पार्टी पर हमला करते हुए दावा किया कि गुजरात में दंगों के पीछे भाजपा का हाथ था। यह जगजाहिर बात है कि इस बारे में हर कोई जानता है, लेकिन कांग्रेस ने भी मुसलमानों को नहीं छोड़ा है।
उन्होंने कहा, 'पिछले 30-35 साल का रिकार्ड उलट कर देख लीजिए, चाहे वह भागलपुर, मेरठ, मुरादाबाद या सूरत ही क्यों ना हो। यह सब कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान हुआ, यहां तक कि यह आज भी हो रहा है। बेकसूर मुसलमान जेल भेजे जा रहे हैं।'
जूनियर बुखारी ने कहा, 'जब-जब चुनाव आता है, कांग्रेस पाक साफ होने की कोशिश करती है और मुसलमानों के प्रति मेलजोल दिखाती है तथा उनका समर्थन मांगती है। मुझे कांग्रेस का समर्थन क्यों करना चाहिए?' यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष ने शाही इमाम को न्योता दिया था या मिलने का वक्त मांगकर वह खुद उनसे मिलने गए थे, इस पर उन्होंने कहा, 'मैं आश्वस्त नहीं हूं कि सोनिया गांधी ने उन्हें बुलाया था या उन्होंने खुद वक्त मांगा था और उनसे मिलने गए थे। लेकिन यह परंपरा रही है कि जामा मस्जिद के शाही इमाम अपना समर्थन देने के लिए किसी के पास नहीं जाते।
उन्होंने कहा, 'इसके बजाय, चाहे वह इंदिरा गांधी हों या वीपी सिंह या अन्य पूर्व प्रधानमंत्री वे लोग आए और शाही इमाम का समर्थन मांगा।'
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