Engineering नहीं, अमेरिका पढ़ने जाने वाले छात्रों की पहली पसंद है फिजिकल साइंस, ग्रेजुएट रिकॉर्ड एक्जामिनेशन के आंकड़ों में हुआ खुलासा

Study in America: आंकड़े बताते हैं कि इंजीनियरिंग के लिए ग्रेजुएट रिकॉर्ड एक्जामिनेशन (GRE) देने वाले भारतीय छात्रों का प्रतिशत सिकुड़ रहा है. इस समय,फिजिक्स, केमिस्ट्री और अर्थ साइंस अब अमेरिका में डिग्री का सबसे लोकप्रिय विकल्प है.

Engineering नहीं, अमेरिका पढ़ने जाने वाले छात्रों की पहली पसंद है फिजिकल साइंस, ग्रेजुएट रिकॉर्ड एक्जामिनेशन के आंकड़ों में हुआ खुलासा

Engineering नहीं, अमेरिका पढ़ने जाने वाले छात्रों की पहली पसंद है फिजिकल साइंस, ग्रेजुएट रिकॉर्ड एक्जामिनेशन के आंकड़ों में हुआ खुलासा

नई दिल्ली:

Study in America: इंडियन छात्रों (Indian students) का सपना होता है अमेरिका में पढ़ाई करने का. इसी सपने के साथ हर साल बड़ी संख्या में छात्र ग्रेजुएट रिकॉर्ड एक्जामिनेशन (GRE) के लिए आवेदन करते हैं. जीआरई के लिए आवेदन करने छात्रों की पहली पसंद इंजीनियरिंग (engineering) हुआ करती थी, जो अब बदल गई है.  जीआरई के आंकड़ों के मुताबिक फिजिकल साइंस (physical science) में डिग्री करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है. अमेरिका में ग्रेजुएशन करने की तैयारी कर रहे भारतीयों के बीच डिग्री के सबसे लोकप्रिय विकल्प के रूप में फिजिकल साइंस ने इंजीनियरिंग की जगह ले ली है. आंकड़े बताते हैं कि इंजीनियरिंग के लिए ग्रेजुएट रिकॉर्ड एक्जामिनेशन (जीआरई) देने वाले भारतीय छात्रों का प्रतिशत सिकुड़ रहा है. इस समय,फिजिक्स, केमिस्ट्री और अर्थ साइंस अब अमेरिका में डिग्री का सबसे लोकप्रिय विकल्प है. 

जीआरई यानी ग्रेजुएट रिकॉर्ड एक्जामिनेशन, मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका (अमेरिका में ग्रेजुएट) में पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रमों में एडमिशन के लिए एक प्रवेश परीक्षा है. हालांकि यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड के उच्च शिक्षा संस्थान में भी जीआरई स्कोर को स्वीकार किया जाता है. यह विश्वविद्यालयों को एक सामान्य मानदंड प्रदान करता है जिसके द्वारा दुनिया भर के आवेदकों का चयन किया जाता है. अमेरिकी एजुकेशनल टेस्टिंग सर्विसेज (ETS) द्वारा जीआरई का आयोजन किया जाता है. इस परीक्षा के जरिए छात्रों के मैथमेटिक्स, रीडिंग और राइटिंग प्रोफिशिएंसी का आंकलन किया जाता है. 

अमेरिका में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के उम्मीदवारों की संख्या में गिरावट हुई है, जो दस साल पहले 34% थी जो अब  वर्ष 2021-22 में 17% हो गई है. वहीं फिजिकल साइंस में रुचि रखने वाले जीआरई उम्मीदवारों की संख्या 27% से बढ़कर 37% हो गई है. 
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार मान्या - द प्रिंसटन रिव्यू, विदेश में परामर्श देने वाली एक स्टडी के अनुसार, इस प्रवृत्ति को इस तथ्य के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है कि अमेरिका में फिजिकल साइंस ग्रेजुएट प्रोग्रामों में इंजीनियरिंग की तुलना में जीआरई स्कोर मांगने की अधिक संभावना है. 

इंजीनियरिंग में आई गिरावट और फिजिकल साइंस के बढ़ती डिमांड की पुष्टि अमेरिकी विदेश विभाग और गैर-लाभकारी संस्थान अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा द्वारा संकलित ओपन डोर रिपोर्ट में की गई है. यह रिपोर्ट बाताया है कि अमेरिका में इंजीनियरिंग करने वाले भारतीयों का अनुपात साल साल 2009-10 में 38.8% था जो साल 2021-22 में 29.6% हो गया है. 

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इसके अलावा अधिक छात्र बिजनेस में आगे की पढ़ाई का विकल्प चुन रहे हैं. साल  2012-13 में केवल 1,697 लोगों ने बिजनेस में मास्टर डिग्री हासिल करने के इरादे से जीआरई लिया. साल 2021-22 में, यह संख्या चौगुनी से अधिक होकर 7,912 हो गई. ह्यूमैनटिजी और आर्ट्स विषयों में अप्लाई करने वाले छात्रों की संख्या साल 2012-13 में 0.3% से घटकर 2020-21 और 2021-22 में 0.1% हो गई है.