Delhi School Admission: दिल्ली के स्कूलों में नर्सरी एडमिशन शुरू होने जा रहा है. 4 दिसंबर से तमाम स्कूलों में फॉर्म जमा किए जा सकते हैं. इस बार सरकार की तरफ से पूरा प्रोसेस ऑनलाइन रखने की बात कही गई है, जिससे स्कूलों के चक्कर काटने में पेरेंट्स को परेशान नहीं होना पड़ेगा. बच्चों के एडमिशन के लिए लोग अपने पसंदीदा स्कूलों की लिस्ट बना रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें सीट मिल जाए. दिल्ली में स्कूलों के दाखिले में कई तरह के कोटे भी होते हैं, जिनमें एक मैनेजमेंट कोटा भी शामिल है. इस कोटे के तहत स्कूल अपने हिसाब से सीटों का बंटवारा कर सकता है.
क्या है मैनेजमेंट कोटा?
दिल्ली के स्कूलों में मैनेजमेंट कोटे को लेकर पिछले कई सालों से बहस चल रही है, पेरेंट्स आरोप लगाते हैं कि मैनेजमेंट कोटा का हवाला देकर दाखिले में गड़बड़ी होती है. कई बार स्कूलों पर मोटी रकम लेकर सीटें बेचने के भी आरोप लगे. 2016 में केजरीवाल सरकार ने इसे बंद करने की कोशिश की थी, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से इसे जारी रखने का आदेश दिया गया. इसके बाद हर साल स्कूल इस कोटे के तहत एडमिशन देते हैं.
कितनी सीटें होती हैं रिजर्व?
दिल्ली में मैनेजमेंट कोटे के तहत स्कूल 5 से 20 फीसदी सीटें रिजर्व रख सकते हैं. यानी अगर स्कूल में 100 एडमिशन होने हैं तो इसमें से 20 सीटें मैनेजमेंट कोटे के तहत रिजर्व रखी जा सकती हैं. स्कूल अपने विवेक से इन सीटों का बंटवारा करते हैं. कुछ स्कूल इस कोटे में टीचर्स या स्टाफ को भी रखते हैं. क्योंकि मैनेजमेंट कोटे को लेकर नियम साफ नहीं हैं, ऐसे में ये हमेशा सवालों के घेरे में रहता है.
EWS के लिए भी अलग से कोटा
दिल्ली के तमाम स्कूलों में मैनेजमेंट कोटा के अलावा EWS कैटेगरी यानी गरीब बच्चों के लिए भी 25 प्रतिशत सीटें रिजर्व रखना जरूरी है. हर स्कूल को इसका पालन करना होता है और इन सीटों को किसी दूसरे बच्चे को नहीं दिया जा सकता है. इसके अलावा जिन बच्चों के भाई-बहन स्कूल में पहले से पढ़ रहे हैं, उन्हें भी प्राथमिकता मिलती है. वहीं जिन लोगों के घर से स्कूल की दूरी सबसे कम है, उनके बच्चों को भी एडमिशन मिलने के चांस सबसे ज्यादा रहते हैं. स्पेशल कैटेगरी में आने वाले बच्चों को भी वरीयता दी जाती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं