CJI Justice Surya Kant Salary: सुप्रीम कोर्ट में सबसे बड़ा पद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का होता है. हाल ही में जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें चीफ जस्टिस बने हैं, उन्होंने जस्टिस बीआर गवई की जगह ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज थे, इसी के आधार पर उन्हें सीजेआई का पद मिला. सुप्रीम कोर्ट में ही प्रमोशन मिलने के बाद अब जस्टिस सूर्यकांत की सैलरी भी बढ़ गई है. आइए जानते हैं कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के बाकी जजों के मुकाबले कितनी ज्यादा सैलरी मिलेगी.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की सैलरी
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की सैलरी 2,80,000 रुपये महीना होती है. इसके अलावा उन्हें कई तरह के भत्ते और सुविधाएं भी मिलती हैं. हर महीने बेसिक सैलरी का 24% HRA भी सीजेआई को दिया जाता है. इतना ही नहीं हर महीने सत्कार भत्ता भी दिया जाता है, जिसे प्रोटोकॉल और बाकी चीजों पर खर्च किया जाता है. साथ ही 10 लाख रुपये का फर्निशिंग अलाउंस भी मिलता है. सैलरी के अलावा रिटायरमेंट के बाद सीजेआई को 16,80,000 सालाना की पेंशन दी जाती है. इसके अलावा 20 लाख रुपये ग्रैच्युटी के तौर पर मिलते हैं.
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बाकी जजों की कितनी है सैलरी?
सुप्रीम कोर्ट के बाकी जजों की सैलरी सीजेआई के मुकाबले 30 हजार कम होती है. यानी सुप्रीम कोर्ट के एक जज को हर महीने 2,50,000 रुपये का वेतन मिलता है. इसके अलावा बाकी तमाम तरह की सुविधाएं भी मिलती हैं. इसमें सुरक्षा से लेकर आवास और ट्रैवल अलाउंस शामिल होता है. इसी हिसाब से पेंशन भी सीजेआई से थोड़ी कम होती है. सुप्रीम कोर्ट के जजों को रिटायरमेंट के बाद 15,00,000 लाख रुपये सालाना के हिसाब से पेंशन मिलती है. वहीं ग्रैच्युटी की रकम 20 लाख रुपये ही मिलती है. इसके अलावा 8 लाख रुपये का फर्निशिंग अलाउंस भी मिलता है.
हरियाणा से आते हैं सीजेआई सूर्यकांत
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था. उन्होंने 1984 में हिसार से अपनी लॉ यात्रा शुरू की और फिर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए चंडीगढ़ चले गए. इस दौरान उन्होंने कई तरह के संवैधानिक, सर्विस और सिविल मामलों को संभाला, जिसमें यूनिवर्सिटी, बोर्ड, कॉर्पोरेशन, बैंक और हाईकोर्ट को भी रिप्रेजेंट किया. जुलाई 2000 में उन्हें हरियाणा का सबसे कम उम्र का एडवोकेट जनरल बनाया गया. इसके बाद, 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट बनाया गया और 9 जनवरी 2004 को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का परमानेंट जज बनाया गया. इसके बाद 2018 से 24 मई 2019 तक हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर काम किया.
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