VVS Laxman के लोकपाल को लिखे पत्र के बाद बीसीसीआई ने COA के रवैये को लेकर सवाल उठाए हैं
खास बातें
- हितों में टकराव मामले में मांगा गया था लक्ष्मण से जवाब
- लक्ष्मण ने बीसीसीआई के लोकपाल को लिखा है खत
- खत में महिला टीम का कोच चुनने में COA के रवैये का है जिक्र
हितों में टकराव के मामले में टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman)के भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के लोकपाल को अपनी सफाई में पत्र लिखने के बाद प्रशासकों की समिति (COA)और बीसीसीआई (BCCI) के बीच की कड़वाहट सामने आ गई हैण्बीसीसीआई लोकपाल डी.के. जैन द्वारा क्रिकेटरों की समिति के सदस्य रहते हुए आईपीएल टीम सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) के मेंटॉर का पद संभालने को लेकर लक्ष्मण (VVS Laxman) से सफाई मांगने के बाद इस पूर्व बल्लेबाज ने अपनी सफाई में जो पत्र लिखा उसने कई चीजों की कलई खोल दी है. लक्ष्मण ने अपने पत्र में बताया है कि किस तरह प्रशासकों की समिति (COA) ने दिसंबर-2018 में क्रिकेट सलाहकार समिति (CAC) को महिला टीम का कोच चुनने के लिए महज 24 घंटे दिए थे. लक्ष्मण द्वारा इस बात का खुलासा करने के बाद सीओए की सदस्य डायना इडुल्जी (Diana Edulji)के सीओए अध्यक्ष विनोद राय और बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी से उस समय किए गए वो सवाल ताजा हो जाते हैं जिसमें इडुल्जी ने राय से पूछा था कि महिला टीम का कोच नियुक्त करने के लिए इतनी जल्दबाजी किसलिए?
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बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि इडुल्जी (Diana Edulji) ने जो पक्ष लिया था उसे लक्ष्मण (VVS Laxman) के पत्र से बल मिलता है और यह एक बार फिर बताता है कि सीओए ने किस तरह महिला टीम का कोच नियुक्त करने में गैर पेशेवर रैवया अपनाया. इस अधिकारी ने कहा, "उस समय काफी कहा गया कि इडुल्जी फालतू में बखेड़ा खड़ा कर रही हैं लेकिन लक्ष्मण के पत्र ने काफी चीजें साफ कर दी हैं. यह बात सामने आना हैरानी भरी बात है कि सीओए महान खिलाड़ियों के साथ किस तरह का बर्ताव कर रही है. अगर देखा जाए तो क्रिकेट समिति में उनके पास एक साल और होगा और इसके बाद भारतीय क्रिकेट का क्या होगा पता नहीं. खासकर तब जब आपको पता चलेगा कि उनकी सेवाओं को आपने सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया, जहां तक की सीधे तौर पर नजरअंदाज तक किया."
उन्होंने कहा, "अब इस एजेंडा को सही तरीके से देखना चाहिए. मुद्दा यह नहीं है कि डब्ल्यू.वी. रमन अच्छे या खराब विकल्प थे बल्कि हकीकत यह है कि वह पहले से बीसीसीआई (BCCI)के साथ करार में थे और उनकी सेवाओं को अच्छे से उपयोग में लिया जा सकता था. लेकिन इस मसले को पूरी तरह के नजरअंदाज किया वो भी तब जब फैसला लेने के रास्ते में आपके सामने कई तरह की अड़चनें थीं." लक्ष्मण ने जैन को लिखे पत्र में कहा है, "दिसंबर-2018 में हमें महिला टीम का कोच नियुक्त करने के लिए बनाए गए पैनल में शामिल होने पर फैसला लेने के लिए 24 घंटे से भी कम का समय दिया गया. हम तीनों ने पहले से तय कार्यक्रम और व्यस्तता के कारण समिति में शामिल न होने की बात कही थी." दिसंबर-2018 में इडुल्जी ने महा प्रबंधक (क्रिकेट परिचालन) सबा करीम को पत्र लिखा था महिला टीम के कोच की नियुक्ति के लिए हम गलत रास्ता अख्तियार कर रहे हैं. इस पर फैसला सिर्फ सीएसी ले सकती है और अगर वह मना करती है तब भी सीओए को फैसला लेना होगा. इडुल्जी के ई-मेल का जवाब देते हुए जौहरी ने कोच की नियुक्ति के एड-हॉक समिति के गठन के निर्माण की बात कही थी. (इनपुट: आईएएनएस)
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