सचिन तेंदुलकर के नाम वनडे में 49 शतक हैं (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
क्रिकेट जगत में बल्लेबाजी का लगभग हर रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के लिए 9 सितंबर का दिन बेहद अहम है. इस दिन उनको एक ऐसी उपलब्धि हासिल हुई थी कि फिर उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और हर दिन एक पायदान ऊपर चढ़ते गए. और आप तो जानते ही हैं कि क्रिकेट को अलविदा कहने के समय वह वर्ल्ड के महानतम खिलाड़ी बन चुके थे, जिनके प्रशंसकों में सर डॉन ब्रैडमैन से लेकर लगभग हर बड़ा क्रिकेटर शुमार था और आज भी है. हम आपको बता रहे हैं कि आखिर सचिन ने इस दिन कौन-सी उपलब्धि हासिल की थी.
5 साल तक जूझे, फिर आया यह खास दिन
सचिन तेंदुलकर ने अपने पहले ही टेस्ट मैच में छाप छोड़ दी थी, लेकिन 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे में डेब्यू करने वाले सचिन पहली दोनों पारियों में शून्य पर आउट हो गए थे. निराशाजनक शुरुआत के बावजूद टीम मैनेजमेंट को उन पर भरोसा था और उन्होंने वनडे में उन्हें मौका देना जारी रखा. तीसरी पारी में सचिन ने 39 गेंदों में 36 रन की पारी खेली, लेकिन पहली फिफ्टी के लिए उन्हें 8 मैच तक इंतजार करना पड़ा. नौवें मैच में उनके बल्ले से पहली फिफ्टी निकली और उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ पुणे में 41 गेंदों में 53 रन ठोक दिए. इसके बाद तो रन बनाने का उनका सिलसिला चल निकला, लेकिन इस बीच उनको एक बात का मलाल रहा कि वह बल्लेबाजी की एक पारी में तीन अंक के आंकड़े तक नहीं पहुंच पा रहे थे.
सचिन तेंदुलकर को वनडे में इस उपलब्धि के लिए 5 साल का इंतजार करना पड़ा. इस तक पहुंचने के लिए उन्हें 78 वनडे मैचों में मैदान पर उतरना पड़ा. खास बात यह कि तब तक उनके बल्ले से 2126 रन निकल चुके थे, जिनमें 17 फिफ्टी शामिल थीं और उनका सर्वोच्च स्कोर था 84 रन, जो उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ बनाया था. बस कमी थी तो एक शतक की.
श्रीलंका के खिलाफ पहली फिफ्टी, उसी की धरती पर पहला शतकीय पंच
सचिन तेंदुलकर ने अपनी पहली वनडे फिफ्टी श्रीलंका के ही खिलाफ बनाई थी. संयोग देखिए उन्होंने अपना पहला शतक श्रीलंका के खिलाफ तो नहीं, लेकिन उसी की धरती पर जड़ा. बात 9 सितंबर, 1994 को खेले गए कोलंबो वनडे की है. इस सीरीज का नाम था सिंगर वर्ल्ड सीरीज, जिसमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और पाकिस्तान की टीमें भाग ले रहींं थीं. इस सीरीज का तीसरा मैच कोलंबो में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया.
विनोद कांबली दे रहे थे साथ
इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने ऑलराउंडर मनोज प्रभाकर के साथ ओपनिंग की, दोनों ने पहले विकेट के लिए 87 रन की साझेदारी की, जिसमें सचिन ने 67 रनों का योगदान दिया. हालांकि प्रभाकर तो आउट हो गए, लेकिन सचिन ने अपनी पारी जारी रखी और उनके लिए वह समय आ गया, जिसके लिए वह पिछले 5 साल से तरस रहे थे. उन्होंने 130 गेंदों में 110 रन बनाए, जिसमें 8 चौके और 2 छक्के जड़े. शतक के समय उनके साथ उनके बालसखा विनोद कांबली थे, जो 47 गेंदों में 43 रन बनाकर नॉटआउट रहे, जबकि सचिन को क्रेग मैक्डरमॉट ने बोल्ड किया. इस मैच में भारत ने 31 रन से जीत दर्ज की.
इसके बाद तो सचिन तेंदुलकर के बल्ले से शतकों की झड़ी लग गई. फिर चाहे वनडे हो टेस्ट हर जगह सचिन का नाम दर्ज होने लगा. उन्होंने 463 वनडे में 49 शतकों और 96 फिफ्टी के साथ 18426 रन बनाए, जबकि 200 टेस्ट मैचों में 51 शतक और 68 फिफ्टी के साथ 15921 रन ठोके. कुल मिलाकर उनके नाम इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक हैं, जो एक अद्भुत कीर्तिमान है.
5 साल तक जूझे, फिर आया यह खास दिन
सचिन तेंदुलकर ने अपने पहले ही टेस्ट मैच में छाप छोड़ दी थी, लेकिन 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे में डेब्यू करने वाले सचिन पहली दोनों पारियों में शून्य पर आउट हो गए थे. निराशाजनक शुरुआत के बावजूद टीम मैनेजमेंट को उन पर भरोसा था और उन्होंने वनडे में उन्हें मौका देना जारी रखा. तीसरी पारी में सचिन ने 39 गेंदों में 36 रन की पारी खेली, लेकिन पहली फिफ्टी के लिए उन्हें 8 मैच तक इंतजार करना पड़ा. नौवें मैच में उनके बल्ले से पहली फिफ्टी निकली और उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ पुणे में 41 गेंदों में 53 रन ठोक दिए. इसके बाद तो रन बनाने का उनका सिलसिला चल निकला, लेकिन इस बीच उनको एक बात का मलाल रहा कि वह बल्लेबाजी की एक पारी में तीन अंक के आंकड़े तक नहीं पहुंच पा रहे थे.
सचिन तेंदुलकर को वनडे में इस उपलब्धि के लिए 5 साल का इंतजार करना पड़ा. इस तक पहुंचने के लिए उन्हें 78 वनडे मैचों में मैदान पर उतरना पड़ा. खास बात यह कि तब तक उनके बल्ले से 2126 रन निकल चुके थे, जिनमें 17 फिफ्टी शामिल थीं और उनका सर्वोच्च स्कोर था 84 रन, जो उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ बनाया था. बस कमी थी तो एक शतक की.
श्रीलंका के खिलाफ पहली फिफ्टी, उसी की धरती पर पहला शतकीय पंच
सचिन तेंदुलकर ने अपनी पहली वनडे फिफ्टी श्रीलंका के ही खिलाफ बनाई थी. संयोग देखिए उन्होंने अपना पहला शतक श्रीलंका के खिलाफ तो नहीं, लेकिन उसी की धरती पर जड़ा. बात 9 सितंबर, 1994 को खेले गए कोलंबो वनडे की है. इस सीरीज का नाम था सिंगर वर्ल्ड सीरीज, जिसमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और पाकिस्तान की टीमें भाग ले रहींं थीं. इस सीरीज का तीसरा मैच कोलंबो में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया.
विनोद कांबली दे रहे थे साथ
इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने ऑलराउंडर मनोज प्रभाकर के साथ ओपनिंग की, दोनों ने पहले विकेट के लिए 87 रन की साझेदारी की, जिसमें सचिन ने 67 रनों का योगदान दिया. हालांकि प्रभाकर तो आउट हो गए, लेकिन सचिन ने अपनी पारी जारी रखी और उनके लिए वह समय आ गया, जिसके लिए वह पिछले 5 साल से तरस रहे थे. उन्होंने 130 गेंदों में 110 रन बनाए, जिसमें 8 चौके और 2 छक्के जड़े. शतक के समय उनके साथ उनके बालसखा विनोद कांबली थे, जो 47 गेंदों में 43 रन बनाकर नॉटआउट रहे, जबकि सचिन को क्रेग मैक्डरमॉट ने बोल्ड किया. इस मैच में भारत ने 31 रन से जीत दर्ज की.
इसके बाद तो सचिन तेंदुलकर के बल्ले से शतकों की झड़ी लग गई. फिर चाहे वनडे हो टेस्ट हर जगह सचिन का नाम दर्ज होने लगा. उन्होंने 463 वनडे में 49 शतकों और 96 फिफ्टी के साथ 18426 रन बनाए, जबकि 200 टेस्ट मैचों में 51 शतक और 68 फिफ्टी के साथ 15921 रन ठोके. कुल मिलाकर उनके नाम इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक हैं, जो एक अद्भुत कीर्तिमान है.
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