नई दिल्ली:
एक सर्वेक्षण के अनुसार दिल्ली सरकार एवं नगर निगम के विद्यालयों में हर साल बड़ी संख्या में कक्षा नौवीं एवं ग्यारहवीं के विद्यार्थियों को जानबूझकर उन्हीं कक्षाओं में रोक लिया जा रहा है ताकि कक्षा दसवीं एवं बारहवीं के परीक्षा परिणाम में उत्तीर्णता प्रतिशत में गिरावट के संदर्भ में इन विद्यालयों का ‘घटिया’ प्रदर्शन सामने नहीं आ पाए. सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2013-14 के दौरान 17 फीसदी विद्यार्थी कक्षा नौवीं से दसवीं नहीं जा पाए. वर्ष 2014-15 में यह आंकड़ा बढ़कर 45 फीसदी हो गया और 2015-16 में यह बढ़कर 50 फीसदी हो गया.
इसी तरह वर्ष 2013-14 के दौरान 23 फीसदी विद्यार्थियों को कक्षा बारहवीं में नहीं जाने दिया गया. वर्ष 2014-15 में यह आंकड़ा बढ़कर 35 हो गया. 2015-16 में यह 20 फीसदी रहा. ये निष्कर्ष प्रजा फाउंडेशन ने ‘दिल्ली में सरकारी विद्यालय शिक्षा पर अपनी प्रथम वाषिर्क रिपोर्ट’ में निकाले हैं. उसने एमसीडी के 1709 और दिल्ली सरकार के 1009 विद्यालयों का सर्वेक्षण किया.
फाउंडेशन की संस्थापक और प्रबंध न्यासी निताई मेहता ने इसकी व्याख्या की, शायद ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि विद्यालय सोचते हैं कि यदि वे इन बच्चों को कक्षा दसवीं एवं कक्षा बारहवीं में भेज देंगे तो उनका प्रदर्शन प्रतिशत नीचे आ जाएगा. इससे, इन विद्यालयों में प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में गंभीर संदेह पैदा होता है. सर्वेक्षण के अनुसार इन विद्यालयों में दाखिले की संख्या लगातार गिर रही है जबकि बीच में ही स्कूल छोड़ देने वालों के प्रतिशत में लगातार बढोत्तरी हो रही है.
एमसीडी विद्यालयों में वर्ष 2013-14 के 8,69,540 दाखिले पांच फीसदी घटकर वर्ष 2015-16 में 8,18,707 रह गए. दिल्ली सरकार के विद्यालयों में दाखिले वर्ष 2013-14 के 15,92,813 से 6 फीसदी घटकर वर्ष 2015-16 में 14,92,132 रह गए.
इसी तरह वर्ष 2013-14 के दौरान 23 फीसदी विद्यार्थियों को कक्षा बारहवीं में नहीं जाने दिया गया. वर्ष 2014-15 में यह आंकड़ा बढ़कर 35 हो गया. 2015-16 में यह 20 फीसदी रहा. ये निष्कर्ष प्रजा फाउंडेशन ने ‘दिल्ली में सरकारी विद्यालय शिक्षा पर अपनी प्रथम वाषिर्क रिपोर्ट’ में निकाले हैं. उसने एमसीडी के 1709 और दिल्ली सरकार के 1009 विद्यालयों का सर्वेक्षण किया.
फाउंडेशन की संस्थापक और प्रबंध न्यासी निताई मेहता ने इसकी व्याख्या की, शायद ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि विद्यालय सोचते हैं कि यदि वे इन बच्चों को कक्षा दसवीं एवं कक्षा बारहवीं में भेज देंगे तो उनका प्रदर्शन प्रतिशत नीचे आ जाएगा. इससे, इन विद्यालयों में प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में गंभीर संदेह पैदा होता है. सर्वेक्षण के अनुसार इन विद्यालयों में दाखिले की संख्या लगातार गिर रही है जबकि बीच में ही स्कूल छोड़ देने वालों के प्रतिशत में लगातार बढोत्तरी हो रही है.
एमसीडी विद्यालयों में वर्ष 2013-14 के 8,69,540 दाखिले पांच फीसदी घटकर वर्ष 2015-16 में 8,18,707 रह गए. दिल्ली सरकार के विद्यालयों में दाखिले वर्ष 2013-14 के 15,92,813 से 6 फीसदी घटकर वर्ष 2015-16 में 14,92,132 रह गए.
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