शिक्षा मंत्रालय का अनोखा अभियान 'पढ़े भारत’, बच्चों में किताबों का शौक और स्किल्स पैदा करना होगा मकसद

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट कर इस अभियान के शुरू होने की जानकारी दी और लिखा कि ‘‘ पुस्तक पढ़ना एक अच्छी आदत है और ये संज्ञानात्मक भाषा एवं सामाजिक कौशल के विकास का शानदार माध्यम है.’’

शिक्षा मंत्रालय का अनोखा अभियान 'पढ़े भारत’, बच्चों में किताबों का शौक और स्किल्स पैदा करना होगा मकसद

एक जनवरी 2022 से शुरू होकर 10 अप्रैल 2022 तक चलेगा ये अभियान

नई दिल्ली:

शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के सीखने के स्तर में सुधार लाने के लिए 1 जनवरी, 2022 से  'पढ़े भारत' अभियान (Padhe Bharat Campaign) की शुरुआत की है. ये अभियान कुल 100 दिनों का होगा और इसका मकसद छात्रों में रचनात्मकता, चिंतन, शब्दावली के साथ-साथ मौखिक तथा लिखित दोनों तरह से अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित करना है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट कर इस अभियान के शुरू होने की जानकारी दी और लिखा कि ‘‘ पुस्तक पढ़ना एक अच्छी आदत है और ये संज्ञानात्मक भाषा एवं सामाजिक कौशल के विकास का शानदार माध्यम है.'' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागरिकों को नियमित रूप से पुस्तक पढ़ने के सुझाव से प्रेरित होकर मैं जीवन पर्यंत पुस्तक पढ़ने की आदत विकसित करने को प्रतिबद्ध हूं.

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प्रधान ने अपने ट्वीट के साथ पांच पुस्तकों की सूची भी जारी की जिन्हें उन्होंने पढ़ने के लिए चुना है. इसमें जेम्स क्लीन रचित एटोमिक हैबिट, रस्किन बांड की अ लिटिल बुक आफ हैप्पीनेस, स्वामी विवेकानंद की रिफ्लेक्शन्स, के राधानाथ राय की चिल्का और फकीर मोहन सेनापति की प्रायश्चित शामिल है. उन्होंने कहा कि वे हर व्यक्ति खासकर युवाओं को पुस्तक पढ़ने की आदत को अपनाने की अपील करते हैं. शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, एक जनवरी 2022 से शुरू होकर 10 अप्रैल 2022 तक चलने वाले इस अभियान में बालवाटिका से आठवीं कक्षा तक के बच्चे हिस्सा ले रहे हैं. इस अभियान में प्रति समूह प्रति सप्ताह एक क्रियाकलाप को इस तरह तैयार किया गया है कि पढ़ाई मनोरंजक बने और पढ़ाई का आनंद बना रहे.

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बयान के अनुसार, क्रियाकलापों को, उम्र के अनुसार उपयुक्त साप्ताहिक कैलेंडर सहित पढ़ाई अभियान पर एक व्यापक दिशानिर्देश तैयार कर राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है. मंत्रालय के अनुसार, ये क्रियाकलाप सरल और आनंददायक हैं. जिन्हें घर पर उपलब्ध संसाधनों के साथ तथा स्कूल बंद होने की स्थिति में माता-पिता, साथियों और भाई-बहनों की मदद से आसानी से पूरा किया जा सकता है.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)