केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के तहत कोर्स और मूल्यांकन के लिए निर्धारित अथॉरिटी के तौर पर अधिकृत किया गया है.
केंद्र ने मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल की पीठ से कहा कि परिषद द्वारा तैयार राष्ट्रीय पाठ्यक्रम प्रारूप (एनसीएफ) 2005 को आरटीई अधिनियम, 2009 के मकसद के लिए कोर्स प्रारूप के तौर पर स्वीकार किया गया है.
कॉमन सिलेबस और कॉमन करिकुलम उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग
सरकार ने इस संबंध में दायर एक याचिका पर अपने हलफनामे में यह जानकारी दी. इस याचिका में छह से 14 साल के सभी बच्चों को कॉमन सिलेबस और कॉमन करिकुलम उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की गयी है.
सरकार ने की याचिका खारिज करने की मांग
सरकार ने याचिका खारिज करने की मांग करते हुए कहा, ‘‘इस दस्तावेज (एनसीएफ, 2005) की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीरीफ की गयी और उसे देश के लिए सृजनशील नागरिक के निर्माण की दिशा में शिक्षण प्रक्रियाओं, मूल्यांकन शिक्षा की गुणवत्ता एवं उसके पहलुओं का समेकन परिभाषित करने के लिए नया रूख तय करने वाला बताया गया है. ’’
सरकार ने कहा, ‘‘एनसीएफ 2005 के तहत अगले कदम के तौर पर एनसीईआरटी नया पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तक लेकर आया है जो सभी कक्षाओं एवं सभी विषय क्षेत्रों के दायरे में पर्यावरण, स्वास्थ्य, सुरक्षा, धर्मनिरपेक्षता, मौलिक अधिकारों एवं नीति निर्देशक तत्वों के महत्व को पर्याप्त स्थान दिया गया है.’’ मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी. याचिका में सरकार को छह से 14 साल के बच्चों के लिए पर्यावरण, स्वास्थ्य, सुरक्षा , समाजवाद, धर्मनिरपक्षेता एवं राष्ट्रवाद पर आधिकारिक पुस्तक उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की गयी है.
(एजेंसियों से इनपुट)
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केंद्र ने मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल की पीठ से कहा कि परिषद द्वारा तैयार राष्ट्रीय पाठ्यक्रम प्रारूप (एनसीएफ) 2005 को आरटीई अधिनियम, 2009 के मकसद के लिए कोर्स प्रारूप के तौर पर स्वीकार किया गया है.
कॉमन सिलेबस और कॉमन करिकुलम उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग
सरकार ने इस संबंध में दायर एक याचिका पर अपने हलफनामे में यह जानकारी दी. इस याचिका में छह से 14 साल के सभी बच्चों को कॉमन सिलेबस और कॉमन करिकुलम उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की गयी है.
सरकार ने की याचिका खारिज करने की मांग
सरकार ने याचिका खारिज करने की मांग करते हुए कहा, ‘‘इस दस्तावेज (एनसीएफ, 2005) की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीरीफ की गयी और उसे देश के लिए सृजनशील नागरिक के निर्माण की दिशा में शिक्षण प्रक्रियाओं, मूल्यांकन शिक्षा की गुणवत्ता एवं उसके पहलुओं का समेकन परिभाषित करने के लिए नया रूख तय करने वाला बताया गया है. ’’
सरकार ने कहा, ‘‘एनसीएफ 2005 के तहत अगले कदम के तौर पर एनसीईआरटी नया पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तक लेकर आया है जो सभी कक्षाओं एवं सभी विषय क्षेत्रों के दायरे में पर्यावरण, स्वास्थ्य, सुरक्षा, धर्मनिरपेक्षता, मौलिक अधिकारों एवं नीति निर्देशक तत्वों के महत्व को पर्याप्त स्थान दिया गया है.’’ मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी. याचिका में सरकार को छह से 14 साल के बच्चों के लिए पर्यावरण, स्वास्थ्य, सुरक्षा , समाजवाद, धर्मनिरपक्षेता एवं राष्ट्रवाद पर आधिकारिक पुस्तक उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की गयी है.
(एजेंसियों से इनपुट)
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