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एक बैलून बेचने वाले ने बनाई 2.1 बिलियन की MRF कंपनी, भारतीय कंपनी का अंतरराष्ट्रीय जलवा है कायम

क्या कोई यकीन करेगा कि एक गुब्बारे बेचने वाले ने 17300 करोड़ रुपये यानी 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा की कंपनी खड़ी कर दी. 2021 में कंपनी की वर्थ 22000 करोड़ से ज्यादा की आंकी गई थी. वर्तमान में कंपनी का एक शेयर करीब एक लाक रुपये का है. एक बैलून बेचने वाले ने दो बिलियन डॉलर से ज्यादा की कंपनी क्यों खड़ी कर दी. आज इस कंपनी के साथ विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर से लेकर कई बड़ी हस्तियां जुड़ी हुई हैं. साथ ही कई बॉलीवुड के स्टार भी कंपनी के लिए प्रचार कर चुके हैं. अपने सेगमेंट में यह कंपनी बड़ी इज्जत के साथ बड़े शेयर के साथ कारोबार कर  रही है और लोगों की नजर में भी कंपनी का बड़ा सम्मान है.
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NDTV Profit हिंदी12:27 PM IST, 13 Jun 2023NDTV Profit हिंदी
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क्या कोई यकीन करेगा कि एक गुब्बारे बेचने वाले ने 17300 करोड़ रुपये यानी 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा की कंपनी खड़ी कर दी. 2021 में कंपनी की वर्थ 22000 करोड़ से ज्यादा की आंकी गई थी. वर्तमान में कंपनी का एक शेयर करीब एक लाख रुपये का है. एक बैलून बेचने वाले ने दो बिलियन डॉलर से ज्यादा की कंपनी क्यों खड़ी कर दी. आज इस कंपनी के साथ विराट कोहली(Virat Kohli) , सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) , रोहित शर्मा (Rohit Sharma), ब्रायन लारा (Brian Lara), गौतम गंभीर (Gautam Gambhir),  संजू सैमसन (Sanju Samson),  शिखर धवन (Shikhar Dhawan), पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw), एबी डिविलियर्स (AB de Villiers) आदि कई बड़ी हस्तियां जुड़ी हुई हैं. साथ ही कई बॉलीवुड के स्टार भी कंपनी के लिए प्रचार कर चुके हैं. अपने सेगमेंट में यह कंपनी बड़ी इज्जत के साथ बड़े शेयर के साथ कारोबार कर  रही है और लोगों की नजर में भी कंपनी का बड़ा सम्मान है. 

ये है MRF की कहानी

तमिलनाडु के चेन्नई में स्थापित इस कंपनी का नाम बहुत ही आम है. MRF. नाम तो सुना ही होगा. पूरा नाम Madras Rubber Factory मद्रास रबर फैक्ट्री . कंपनी टायर के अलावा ट्रेड्स, ट्यूब, कनवेयर बेल्ट, पेंट और खिलौने बनाती है. मद्रास रबर फैक्ट्री की शुरुआत एक बैलून बनाने वाली फैक्ट्री के रूप में 1946 में हुई थी. यह फैक्ट्री थिरुवोत्तियूर में शुरू की गई थी. यानी यहां पर बैलून का निर्माण आरंभ किया गया और उसे वहीं से बेचना आरंभ किया गया. टॉय बैलून बनाने से इस कंपनी की शुरुआत हुई थी. वहीं थिरुवित्तोयूर जिसे बाद में मद्रास नाम दिया गया, पर ही कंपनी ने 1952 में ट्रेड रबर बनाने की शुरुआत की. कंपनी को टायर बनाने में दिक्कत आ रही थी तो कंपनी को स्थापित करने वाले केएम मम्मेन मापपिल्लई ने 1960 में मद्रास रबर फैक्ट्री लिमिटेड नाम की कंपनी बनाकर एक विदेशी कंपनी के साथ हाथ मिलाया. यह विदेशी कंपनी मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी थी. यह अमेरिका के ओहियो की कंपनी थी. 

कंपनी को मिला लोगों का प्यार

कंपनी को लोगों का प्यार मिला और उत्पाद को सराहना. भारत में कंपनी ने काफी पैर जमा लिए और दो 1 अप्रैल 1961 को कंपनी ने लेबनान के बेरुत में अपना एक ऑफिस खोला ताकि निर्यात पर कंपनी फोकस कर सके. इस के बाद 1964 में कंपनी का वर्तमान मसलमैन वाला लोगो तैयार हुआ जिसने कंपनी के उत्पाद को बाजार में और गहराई से स्थापित किया. कंपनी ने दो-तीन सालों में इतनी तरक्की कर ली कि 1967 में एमआरएफ अमेरिका को टायर एक्सपोर्ट करने वाली पहली कंपनी बन गई . 

तकनीक और रिसर्च पर फोकस

यह तय है कि कोई भी कंपनी तब तरक्की की राह पर चलती है जब वह समय समय पर उत्पाद में जरूरी रिसर्च और तत्कालीन जरूरतों और मांग के हिसाब से बदलाव करती चलती है. 1973 में  कंपनी ने पहली बार नायलॉन टायर्स का उत्पादन आरंभ किया. इसके बाद कंपनी ने 1978 में बीएफ गुडरिच के साथ मिलाया ताकि नई तकनीक को कंपनी में लगाया जा सके. इस समय तक एमआरएफ कंपनी ने इतनी तरक्की कर ली थी कि इस कंपनी ने मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी का अधिग्रहण कर लिया. इस कंपनी का विलय एमआरएफ लि. में कर लिया गया. कंपनी के मालिकान इस बात पर हमेशा फोकस में रहे कि कंपनी के उत्पाद में निरंतर प्रगति करने के लिए बाजार में आ रही बेहतर तकनीक पर नजर बनाई रखी जाए और जितना संभव हो सके उसे अपनी कंपनी में शामिल किया जाए. इसके चलते मरनगोनी टीआरएस से भी तकनीकी सहयोग की लिए हाथ मिलाया गया. 

बन गई अंतरराष्ट्रीय कंपनी

इसके बाद कंपनी ने 1989 में मारुति की कारों के लिए टायर सप्लाई का बड़ा काम भी मिला. कंपनी इतनी तरक्की कर चुकी थी कि इसके बाद कंपनी ने पेंट्स और एलिवेटर बेल्ट के निर्माण में भी तकनीकि सहयोग से कदम उठाया.  वर्तमान में कंपनी में 10 उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियों का संचालन किया जा रहा है. इनमें से चार तमिलनाडु में, एक केरल, एक गोवा, एक पुदुच्चेरी, दो तेलंगाना और एक गुजरात में हैं.

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