देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि इस वित्तवर्ष में बढ़कर 5.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले वर्ष यह 4.7 प्रतिशत रही थी। संसद में शुक्रवार को पेश छमाही आर्थिक समीक्षा में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।
वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वृहद आर्थिक परिवेश में सुधार से वृद्धि में सुधार की उम्मीद बंधी है। रिपोर्ट में राजस्व वसूली कमजोर रहने के प्रति आगाह किया गया है।
समीक्षा में कहा गया है कि आने वाले सालों में सात-आठ प्रतिशत की उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल कर ली जाएगी। मुद्रास्फीति में नाटकीय गिरावट का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि कच्चे तेल के दाम में गिरावट आने से इस वर्ष चालू खाते के घाटे को जीडीपी के दो प्रतिशत के आसपास सीमित रखने में मदद मिलेगी।
समीक्षा में अनुमान है कि रिजर्व बैंक मार्च, 2015 तक ब्याज दरों में यथास्थिति बनाए रखेगा। अनुमान है कि रुपये की विनिमय दर का परिदृश्य भी स्थिर होगा। उल्लेखनीय है कि उद्योग जगत धीमी पड़ती औद्योगिक गतिविधियों को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती की लगातार मांग करता आ रहा है।