भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार का रास्ता मुश्किल भरा रहा है, क्योंकि वित्त वर्ष 2015-16 में औसत निवेश सूचकांक वित्त वर्ष 2006-07 के उच्चतम स्तर के मुकाबले लगभग 35 प्रतिशत नीचे रहा है. यह बात सिटीग्रुप की एक रिपोर्ट में कही गई है.
वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी के मुताबिक फरवरी-मार्च 2016 में मासिक निवेश सूचकांक बढ़कर पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. ऐसा डीजल, बिजली, सीमेंट, बीटूमेन, पूंजीगत उत्पादों के आयात और वस्तुओं की गतिविधियों के संकेतकों के सकारात्मक होने के मद्देनजर भी हुआ. अप्रैल-मई 2016 में यह रुझान बरकरार नहीं रहा.
मध्यम अवधि में सतत वृद्धि दर के लिए निवेश में मजबूत सुधार आवश्यक है. दरअसल, निजी क्षेत्र की निवेश वृद्धि में कमी अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है.
मासिक मिश्रित निवेश संकेतक का निर्माण निवेश चक्र की समय पर होने वाली प्रगति पर नजर रखने के लिए किया गया है. यह मौजूदा चक्र की स्थिति के बारे में उसकी पिछली स्थिति से तुलना करते हुए एतिहासिक दृष्टिकोण भी पेश करता है. सिटीग्रुप मासिक निवेश संकेतक को बनाने के लिए 14 विभिन्न मासिक संकेतकों और तीन तिमाही संकेतकों का इस्तेमाल करता है.
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