विज्ञापन

जब थिएटर के लिए असरानी को अस्पताल में छोड़ना पड़ा था बीमार पत्नी को, यूं किया था अपने वादे को पूरा

हिंदी फिल्मों के दिग्गज कलाकार असरानी को हर पीढ़ी ने पर्दे पर हंसते हुए देखा और पसंद किया, लेकिन बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि पिछले लगभग बारह सालों से वह थिएटर में भी लगातार सक्रिय थे.

जब थिएटर के लिए असरानी को अस्पताल में छोड़ना पड़ा था बीमार पत्नी को, यूं किया था अपने वादे को पूरा
सिर्फ फिल्में ही नहीं थिएटर के प्रति भी असरानी का वही समर्पण था
नई दिल्ली:

हिंदी फिल्मों के दिग्गज कलाकार असरानी को हर पीढ़ी ने पर्दे पर हंसते हुए देखा और पसंद किया, लेकिन बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि पिछले लगभग बारह सालों से वह थिएटर में भी लगातार सक्रिय थे. अभिनेता और निर्देशक नवीन बावा, जिनके नाटक ‘बाप का बाप' में असरानी ने मुख्य भूमिका निभाई, उन्होंने असरानी को याद करते हुए बताया कि इतने बड़े फिल्मी कलाकार ने रंगमंच को जिस निष्ठा और अनुशासन से निभाया, वह अपने आप में मिसाल है.

ये भी पढ़ें: ड्रीम गर्ल 2 नहीं है असरानी की आखिरी फिल्म बल्कि ये दो फिल्में होंगी उनकी आखिरी, एक तो है हॉरर कॉमेडी

नवीन बावा के मुताबिक असरानी ने उनके साथ इस नाटक के सैकड़ों शो किए भारत ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, दुबई और अमेरिका तक. “बारह साल में एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने रिहर्सल से कतराया हो या लाइनें भूली हों,” नवीन बताते हैं. “छह-छह महीने के अंतराल के बाद भी वह शो से पहले अपनी डायरी खोलते और खुद लाइनें याद करते. इतना प्रोफेशनल कलाकार मैंने आज तक नहीं देखा.”

उनकी निष्ठा का सबसे बड़ा उदाहरण वह समय था जब असरानी जी की पत्नी मंजू जी गंभीर रूप से बीमार थीं और उनका हार्ट ऑपरेशन होना था. दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में शो तय था, टिकटें बिक चुकी थीं. नवीन ने शो रद्द करने का सुझाव दिया, लेकिन असरानी जी ने कहा, “नहीं, शो कैंसिल नहीं होगा. मैं करूंगा, तुम बस प्रार्थना करो कि सब ठीक रहे.”

“वो आईसीयू से सीधे रिहर्सल में आए,” नवीन याद करते हैं. “मैंने कहा कि आप रिहर्सल मत कीजिए, बस रीडिंग कर लेते हैं, तो बोले ठीक है. उन्हें सारी लाइनें याद थीं, और उन्होंने एक शब्द नहीं बदला. जिस अनुशासन से वो काम करते थे, वैसा आज शायद ही कोई कलाकार करता हो.”

अगली सुबह असरानी जी छह बजे की फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे, और शाम को पूरे जोश के साथ दो घंटे स्टेज पर परफॉर्म किया. “वो डांस भी करते थे, गाते भी थे, पूरी एनर्जी से शो किया,” नवीन कहते हैं. “शो खत्म होते ही उन्होंने दर्शकों को प्रणाम किया और अगली सुबह की फ्लाइट से मुंबई लौट गए सीधे अस्पताल, जहां मंजू जी का ऑपरेशन होना था.”

नवीन बावा कहते हैं, “इतने बड़े एक्टर होकर भी उन्होंने थिएटर को पूजा की तरह माना. उनके लिए मंच पर जाना एक इबादत थी. मैं उनके साथ दुनिया घूम आया, और हर जगह उनसे कुछ नया सीखा. असरानी जी का जाना सिर्फ थिएटर नहीं, मेरे लिए भी एक निजी क्षति है.”

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com