
फिल्म ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' के प्रचार के दौरान वरुण धवन और जाह्नवी कपूर से यह सवाल पूछा गया कि हिंदी बेल्ट के दर्शक तो साउथ के कलाकारों और फिल्मों को खुले दिल से स्वीकारते हैं, लेकिन साउथ में हिंदी फिल्मों और कलाकारों को उतनी सहजता से क्यों नहीं अपनाया जाता? इस सवाल पर वरुण और जाह्नवी दोनों ने खुलकर अपनी राय रखी. वरुण धवन ने कहा, “100 प्रतिशत सहमत. हम हर किस्म और हर तरीके का सिनेमा स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. हमारी सोच काफी आगे बढ़ चुकी है. जैसे हम एक अच्छी जापानी ऐनिमे फिल्म भी देखेंगे. यहां पर आप साउथ की बात करें, तो वर्ल्ड सिनेमा की बात करें, हम लोग उसे भी स्वीकार करते हैं. लेकिन वही स्वीकार्यता हमारे कलाकारों को वहां नहीं मिलती.”
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जाह्नवी कपूर ने बीच में टोकते हुए कहा, “लेकिन मुझे लगता है यह बात लॉजिस्टिकल कारणों पर भी आधारित है क्योंकि वहां की फिल्में जब यहां आती हैं तो डब होती हैं. हमारी भाषा में आती हैं. मुझे लगता है कि उन्हें हमारी कई फिल्में सबटाइटल्स के साथ देखनी पड़ती हैं.”
वरुण ने तुरंत जवाब दिया, “नहीं, हम भी डब करके वहां रिलीज़ करते हैं.” जाह्नवी ने पूछा, “सबसे आखिरी कौन-सी थी?” वरुण बोले, “बहुत सारी फिल्में गई हैं, बहुत बड़ी-बड़ी फिल्में वहां डब करके रिलीज़ हुई हैं.”
जाह्नवी मुस्कुराते हुए बोलीं, “मुझे तो वहां लोग स्वीकार करते हैं.” वरुण ने इसका कारण समझाते हुए कहा, “वो इसलिए क्योंकि आप वहां के प्रोड्यूसर्स, डायरेक्टर्स और एक्टर्स के साथ काम कर रही हैं. यह भी स्वीकार्यता की बात होती है कि हम वहां की फिल्में स्वीकार करते हैं, लेकिन वहां हमारी फिल्में स्वीकार नहीं होतीं. यह सच बात है.”
जाह्नवी कपूर ने हाल ही में जूनियर एनटीआर के साथ ‘देवरा' की है और वह कई और साउथ फिल्मों में भी काम कर रही हैं. इसके अलावा उनकी मां और दिग्गज अदाकारा श्रीदेवी खुद दक्षिण भारत से थीं, इसलिए जाह्नवी का वहां से रिश्ता और भी गहरा है.
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